भारतीय सेना (Agneepath Scheme) में 68 प्रतिशत उपकरण पुराने हैं, 24 प्रतिशत उपकरण आज के और आठ प्रतिशत स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट कैटिगरी के. वजह साफ़ है. साल 2021-22 में रक्षा बजट का 54 प्रतिशत तन्ख्वाहों और पेंशन पर खर्च हुआ था. 27 प्रतिशत कैपिटल खर्च पर, यानी नए कामों को अंजाम देने में. बाक़ी का खर्च स्टोर, उपकरणों की देखभाल, सीमा पर सड़कें, रिसर्च, प्रबंधन पर हुआ.
एक आँकड़े के मुताबिक़ पिछले 10 सालों में रक्षा पेंशन पर ख़र्च में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि रक्षा बजट में औसत बढ़ोत्तरी 8.4 प्रतिशत की है. रक्षा बजट में पेंशन का प्रतिशत 26 प्रतिशत तक बढ़ा फिर कम होकर 24 पर पहुंचा.
ये भी पढ़ें..
सरकार की घोषणा ऐसे वक़्त आई है जब देश में नौकरी का न मिलना एक बड़ी समस्या है. भारतीय अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था सीएमआईई के महेश व्यास के मुताबिक़ भारत में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है क्योंकि जिस दर पर लोगों को नौकरी की ज़रूरत है, रोज़गार उस तेज़ी से नहीं बढ़ रहा है.
PM @narendramodi reviewed the status of Human Resources in all departments and ministries and instructed that recruitment of 10 lakh people be done by the Government in mission mode in next 1.5 years.
— PMO India (@PMOIndia) June 14, 2022
उनके मुताबिक कोविड के सबसे बुरे काल में जहाँ भारत में बेरोज़गारी दर 25 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, अभी ये दर सात प्रतिशत है. शहरी इलाक़ों में लंबे समय से युवाओं (15-29 साल) में बेरोज़गारी दर 20 प्रतिशत से ऊपर मंडरा रही है. ऐसे में प्रधानमंत्री की अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की मंत्रालयों और डिपार्टमेंट की भर्ती (Agneepath Scheme) की घोषणा को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है.