अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को लेकर रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह कहते हैं कि भारतीय सेना में किसी का चार साल के लिए शामिल होना बहुत कम समय है और अगर ये अच्छा आइडिया था तो इसे चरणों में लागू किया जाना चाहिए था. चिंता ये भी है कि इतने कम वक़्त में कोई युवा मिलिट्री ढांचे, स्वभाव से ख़ुद को कैसे जोड़ पाएगा.
वो कहते हैं, “चार साल में से छह महीने तो ट्रेनिंग में निकल जाएंगे. फिर वो व्यक्ति इन्फैंट्री, सिग्नल जैसे क्षेत्रों में जाएगा तो उसे विशेष ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी, जिसमें और वक़्त लगेगा. उपकरणों के इस्तेमाल से पहले आपको उसकी अच्छी जानकारी हासिल होनी चाहिए.”अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) में ये कैसे संभव है.
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नव सिखिया कोई हवाई जहाज़ हाथ तक नहीं लगाने देगा
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह की फ़िक्र है कि इतना वक़्त ट्रेनिंग आदि में गुज़र जाने के बाद कोई भी व्यक्ति सेवा में कितना आगे बढ़ पाएगा. वो कहते हैं, “वो व्यक्ति एयरफ़ोर्स में पायलट तो बनेगा नहीं. वो ग्राउंड्समैन या मेकैनिक बनेगा. वो वर्कशॉप में जाएगा. चार साल में वो क्या सीख पाएगा? कोई उसे हवाई जहाज़ हाथ नहीं लगाने देगा. अगर आपको इन्फ़ैंट्री में उपकरणों की देखभाल नहीं करनी आती तो वहां आप काम नहीं कर पाएंगे.”
“अगर आप युद्ध में किसी अनुभवी सैनिक के साथ जाते हैं तो उसकी मौत पर क्या चार साल की ट्रेनिंग लिया हुआ व्यक्ति उसकी जगह ले पाएगा? ये काम ऐसे नहीं होते. इससे सुरक्षा बलों की कुशलता पर असर पड़ता है.
किसी भी युद्ध के लिए अनुभवी और परिपक्व दिमाग़ की ज़रूरत होती है
रिटायर्ड मेजर कहते हैं कि भारत को युद्ध के बजाय इंसर्जेंसी या राजद्रोह से ख़तरा है, जिससे निपटने के लिए एक अनुभवी और परिपक्व दिमाग़ की ज़रूरत होती है. उधर, रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना के मुताबिक़ सरकार के इस क़दम से भारतीय सेना की प्रोफ़ाइल छह साल कम हो जाएगी, जिससे उसे फ़ायदा होगा.
वो कहते हैं, “अगर आप लोगों को आईटीआई से लेते हैं तो वो तकनीकी रूप से अच्छे होंगे. पुराने लोगों को तकनीकी तौर पर सशक्त करना मुश्किल होता है. ये पीढ़ी तकनीकी मामले में ज़्यादा सक्षम है.” रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना के मुताबिक इस योजना से सेना को ये आज़ादी होगी कि सबसे बेहतरीन 25 प्रतिशत सैनिकों को रखे और बाकी को जाने दे.
वो कहते हैं, “अभी हमारा सिस्टम है कि अगर कोई जवान भर्ती हो गया और उसके बारे में लगा कि वो ठीक नहीं है तो जब तक उसके खिलाफ़ अनुशासन या अक्षमता का केस न चलाया जाए उसे नहीं निकाला जा सकता.” इसी बहस के बीच सरकारी घोषणा आई है कि चार साल पूरा करने के बाद अग्निवीरों को असम राइफ़ल और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज़ में प्राथमिकता दी जाएगी.