केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार ने उद्योग जगत और आम जनता को एकल उपयोग वाले प्लास्टिक (Single Use Plastic, SUP) के उत्पादों पर पाबंदी (Polythene ban) की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिया है और उसे उम्मीद है कि एक जुलाई से इसे लागू करने में सभी का सहयोग मिलेगा.
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत 19 एसयूपी उत्पादों को उपयोग से बाहर (Polythene ban) करने के लिए अधिसूचना जारी की गई है और किसी भी तरह के उल्लंघन पर जुर्माना या जेल की सजा समेत दंडनीय कार्रवाई का सामना करना होगा. इस बारे में सजा का विवरण अधिनियम की धारा 15 में है.
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उद्योग जगत में हलचल
उद्योग जगत के कुछ प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं होने की बात कहने के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर यादव ने कहा, ‘एक जुलाई, 2022 तक 19 चिह्नित एसयूपी उत्पादों को उपयोग से बाहर करने की अधिसूचना अगस्त 2021 में जारी कर दी गई. हमने पर्याप्त समय दिया. हमने उन्हें भविष्य के लिए निश्चिंतता प्रदान की, उन्हें समझाया और अधिकतर ने इसका समर्थन किया.
मंत्री ने कहा, ‘मैंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और सरकार को एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल बंद करने में उनके सहयोग की उम्मीद है. मंत्रालय ने पिछले साल 12 अगस्त को अधिसूचना जारी करके एक जुलाई, 2022 से पालीस्टाइरीन और विस्तारित पालीस्टाइरीन समेत चिह्नित एसयूपी वस्तुओं के उत्पादन, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध की अधिसूचना जारी की थी.
इस तरह के उत्पाद पर लगेगा बैन
सरकार ने जिन उत्पादों को प्रतिबंध (Polythene ban) करने का प्लान तैयार किया हैं, इन एसयूपी वस्तुओं में ईयरबड, गुब्बारों, झंडों, कैंडी, आइसक्रीम की प्लास्टिक की स्टिक, थर्मोकोल, प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, छुरी, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के डिब्बों, निमंत्रण पत्र, सिगरेट के पैकेट की पैकिंग में इस्तेमाल रैपिंग पेपर और 100 माइक्रोन से कम की प्लास्टिक या पीवीसी के बैनर आदि शामिल हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार भारत में हर साल करीब 2.4 लाख टन एसयूपी का उत्पादन होता है. देश में प्रति व्यक्ति एसयूपी उत्पादन 0.18 किलोग्राम प्रति वर्ष है. अधिकारियों ने कहा कि एफएमसीजी क्षेत्र में पैकेजिंग में इस्तेमाल प्लास्टिक पर पाबंदी नहीं है लेकिन यह विस्तृत विनिर्माता जवाबदेही (ईपीआर) दिशा-निर्देशों के तहत आएगी. यादव ने कहा कि सरकार 2018 से एसयूपी उत्पादों के उपयोग पर पाबंदी के लिए काम कर रही है.