द भारत: बिहार की सियासत के लिहाज से 20 फरवरी का दिन उलट फेर भरा रहा. एक तरफ जहां उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर से नीतीश कुमार का साथ छोड़ एक नई पार्टी का ऐलान किया तो वहीं दूसरी तरफ जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बड़ी होशियारी से तेजस्वी यादव के नेतृत्व को नकार गए.
उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के ऐलान के ठीक बाद जेडीयू ऑफिस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ललन सिंह ने कहा कि 2025 की बात 2025 में देखेंगे. अभी नीतीश कुमार जेडीयू के नेता हैं और वही पार्टी का नेतृत्व करेंगे. जेडीयू का किसी पार्टी में विलय नहीं हो रहा है. ललन सिंह के इस बयान को इस लिहाज से भी खास माना जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार ने खुद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में 2025 का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.
ललन सिंह का ये बयान उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के ठीक बाद आया है. उन्होंने भले डैमेज कंट्रोल करने के इरादे से ये बातें कही, लेकिन उनके इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि जेडीयू के नेता भी फिलहाल तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. भीतरखाने नाराजगी का माहौल है. ये बात ललन सिंह भी जानते हैं कि अगर चुनाव से पहले इस तरह की बातें जोर पकड़ी तो पार्टी के अंदर बागियों की संख्या बढ़ सकती है.
उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी का भी सबसे प्रमुख कारण यही माना जा रहा है. कुशवाहा 2021 में जेडीयू ज्वाइन करने के बाद ही खुद को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी मानने लगे थे. गाहे-बगाहे वे इस पर अपनी बात भी रखते थे. लेकिन पहले आरजेडी के साथ गठबंधन और फिर तेजस्वी को उत्तराधिकारी चुनने के बयान ने उनकी उम्मीदों पर पूरी तरह पानी फेर दिया. इसके बाद उन्होंने नेतृत्व पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया.
पहले कुशवाहा के बयान के मायने समझिए,…: उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से अपना इस्तीफा देते वक्त सीधे तौर नीतीश कुमार पर हमला बोला. उन्होंने कहा- नीतीश कुमार ने पार्टी को गिरवी रख दिया है. नीतीश जी पड़ोसी के घर में उत्तराधिकारी ढूंढ रहे हैं.
अब जेडीयू का कोई भी बड़ा नेता इस सवाल का सीधा जवाब देने से बच रहा है. उपेंद्र कुशवाहा के बागी होने के बाद ये सवाल एक बार फिर से उठने लगे हैं कि आखिर नीतीश कुमार के बाद जेडीयू का नेतृत्व कौन करेगा? क्या जेडीयू में नंबर-2 बनने वाले को पार्टी से किनारा लगा दिया जाता है.