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Emperor Ashoka Birth Anniversary: 29 मार्च को मनाई जाएगी सम्राट अशोक महान की जयंती, आठवीं संगीति में शामिल होंगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

सम्राट अशोक महान की जयंती (Emperor Ashoka Birth Anniversary) बिहार में 16 अप्रैल को मनाई जाएगी. राष्ट्रीय एकता, अखण्डता एवं लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाली राष्ट्र समर्पित संगठन, सम्राट अशोक क्लब शाखा विहार द्वारा चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती (Emperor Ashoka Birth Anniversary) पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में मनाने की तैयारी चल रही है.

राजकीय अवकाश घोषित होने के बाद की ये आठवीं संगीति हैं

इसकी जानकारी सम्राट अशोक क्लब शाखा “विहार” के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर भीष्म कुमार ने दी हैं. उन्होंने बताया कि इस बार सम्राट अशोक महान की जयंती को उत्सवी माहौल में मनाने का फैसला लिया गया है. यह विहार में राजकीय अवकाश घोषित होने के बाद की ये आठवीं संगीति हैं, जो पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल (गाँधी मैदान के पास) में दिनांक 29 मार्च दिन बुधवार को मनाई जाएगी. तथा इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संस्था ने पूरी ताकत झोंक रखी है.


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आपको बता दे कि सम्राट अशोक महान की जयंती विहार में राजकीय अवकाश घोषित होने के बाद की ये आठवीं संगीति हैं. ऐसा माना जा रहा है की इस बार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे.

वही सम्राट अशोक क्लब के विहार प्रदेश महासचिव शाक्य महातम मौर्य ने बताया कि दुनियाँ में पहली बार सीमाओं की अवधारणा को तोड़कर भारत की वैज्ञानिकता से प्रमाणित धर्म सस्कृति के माध्यम से सम्राट अशोक महान ने लोक कल्याणकारी कार्य करके पड़ोसी राज्यों से मधुर सम्बन्ध बनाकर पहली बार ग्लोबल संस्कृति की बुनियाद रखी और इसे अशोक काल एवं समृद्धिका स्वर्ण काल कहा गया. वैसे चक्रवर्ती सम्राट का पटना ही नहीं बल्कि भारत के हर घर-घर में मनाना चाहिए.

सम्राट अशोक की चर्चा किये बिना अधुरा है भारत

आपलोगों को विदित है कि सम्पूर्ण मगध का क्षेत्र जो आज बिहार और झारखण्ड कहलाता है. कभी यह प्रदेश स्तम्भों, स्तूपों, शिलालेखों एवं बुद्ध विहारो का प्रदेश हुआ करता था. बुद्धं शरणं गच्छामि की ध्वनि से सारा विहार ध्वनित रहता था. यहाँ हजारों विदेशी शिक्षा ग्रहण करने आया करते थे.

सम्राट अशोक ने बुद्ध के संदेशों को सम्पूर्ण विश्व में फैलाकर भारत को विश्वगुरू और विश्वविजेता होने का गौरव दिलाया. वर्तमान भारत का संविधान भी तथागत बुद्ध एवं सम्राट अशोक महान के लोक कल्याणकारी नीतियों का ही दस्तावेज है. परन्तु भारत के आमलोग इन तथ्यों से अनभिज्ञ है.

सम्राट अशोक क्लब संविधान की मूलभावना को आमजनमानस में जागृत करना चाहता है. दुनिया में पहली बार सीमाओं की संकीर्ण अवधारणा को तोड़कर भारत की वैज्ञानिकता से प्रमाणित धर्म संस्कृति के माध्यम से सम्राट अशोक महान ने लोक कल्याणकारी कार्य कर के पड़ोसी राज्यों से मधुर संबंध बनाकर पहली बार “ग्लोबल संस्कृति” की बुनियाद रखी. फाह्यान ( 399-414) शताब्दी में भारत आया था तब उसने सम्राट अशोक महान के मानव और राष्ट्र निर्मित आदर्शो को याद करने के लिए प्रतिवर्ष चैत अष्टमी को भारी संख्या में पाटलिपुत्र में लोगों को उत्सव आयोजन करते हुए खुद देखा था. (Ref. A Record of Buddhistic, PP79 by Fa-Hien Legge James).

डा० ओमप्रकाश यादव के अनुसार

सम्राट अशोक ने विजय के क्षण में भी शस्त्र विजय को तिलांजली देकर धम्म विजय का मार्ग चुना और जिन मानवीय मूल्यों की स्थापना की, उसके कारण ही भारत अखण्ड रह सका. युद्ध न करते हुए शांति स्थापना की बात विश्व में सर्वप्रथम सम्राट अशोक (Emperor Ashoka Birth Anniversary) ने कही. लेकिन आज महान भारत भूमि पर जाति-पाति, छुआछूत, अस्पृश्यता, सम्प्रदायिकता, मन की संकीर्णता इस कदर बढ़ती जा रही है जैसे सामाजिक जीवन से जीवन मूल्यों व मानवीय संवेदना का बिल्कुल लोप हो गया है, निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्यों के प्रतीक अशोक के दमन का स्पष्ट निरादर है.

भाषाविद् एवं इतिहासकार प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद सिंह के अनुसार

“सम्राट अशोक आज भी इतिहास में एक स्तंभ के रूप में मानें जाते हैं, उनके चिंतन की स्मृति आज भी उनके शिलालेखों में विद्यमान है एवं जन्मदिन मनाने की परम्परा सर्वप्रथम सम्पूर्ण विश्व में सम्राट अशोक महान की ही देन है.

वही भारतीय इतिहास के युवा विचारक और चिंतक डा0 सच्चिदानंद मौर्य के अनुसार: “विश्व के इतिहास में नैतिकता और समृद्धि का स्वर्ण काल है अशोक का काल.

सम्राट अशोक क्लब एक राष्ट्र समर्पित संगठन है जो राष्ट्र की एकता, अखण्डता एवं साम्प्रदायिक समन्वय हेतु अशोकाष्टमी, धम्म विजय दिवस, राष्ट्रीय प्रतीक सम्मान समारोह के माध्यम से सम्प्रदाय, जाति, धर्म, आदि से उपर उठकर राष्ट्रीय भावना पैदा करने एवं भारतीय संविधान का समाज बनाने हेतु अग्रसर है साथ ही उग्र साम्प्रदायिकता को खत्म कर भारत की राष्ट्रीयता को पुष्ट करना चाहता है. आज लोगों में अपने-अपने सम्प्रदाय एवं पांधिक चिन्हों के प्रति जो आस्था है वह अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति नहीं है.

धार्मिक सहिष्णुता के प्रवर्तक, वसुधैव कुटुम्बकम के जनक, लोक कल्याणकारी संस्कृति के संवाहक, महान सम्राट अशोक के जन्मदिन चैत मास द्वितीय पक्ष अष्टमी को बिहार में राजकीय अवकाश घोषित एवं सम्राट अशोक कन्वेंशन सेन्टर में सम्राट अशोक महान की आदमकद प्रतिमा लगाकर राजकीय समारोह मनाने की घोषणा करके माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक एवं सराहनीय कार्य किया है.

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