पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) की रिहाई का रास्ता अब साफ हो गया है. उनकी रिहाई में आ रही सबसे बड़ी रुकावट को सरकार की तरफ से खत्म कर दिया गया है. सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन किया है. इस संशोधन में उस वाक्यांश को हटा दिया गया है जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था.
भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था
आपको बता दें कि 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की भीड़ द्वारा पहले पिटाई, फिर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. ऐसा आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन (Anand Mohan) ने ही उकसाया था. साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी.
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कानून के जानकार कहते हैं इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिना जाएगा, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी. इस संशोधन के बाद आनंद मोहन के परिहार की प्रक्रिया अब आसान हो जाएगी.
रिहाई के लिए बदले गए नियम
बिहार की रिमिशन (परिहार) की पॉलिसी-1984 में 2002 में दो बड़े बदलाव किए गए थे. बदलाव के तहत 5 कैटेगरी के कैदी को नही छोड़ने का प्रावधान शामिल किया गया था. ये ऐसे कैदी होते हैं, जो एक से अधिक मर्डर, डकैती, बलात्कार, आतंकवादी साजिश रचने और सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी होंगे.
उनके छोड़ने का निर्णय सरकार लेगी. आनंद मोहन सरकारी अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या की सजा काट रहे हैं. वे इस मामले में 14 साल की सजा काट चुके हैं. हालाँकि अब बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ दीखता नजर आ रहा है.