पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफ़नामे में ‘द केरला स्टोरी’ फ़िल्म (The Kerala Story) पर लगाए गए प्रतिबंध का बचाव किया है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि फ़िल्म में ‘हेट स्पीच है और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर दिखाया गया है.’
इस मूवी से राज्य में हिंसा भड़क सकती है
बीबीसी के सहयोगी सुचित्र मोहंती को मिली जानकारी के अनुसार बंगाल सरकार ने कहा, “ख़ुफ़िया रिपोर्टों में क़ानून व्यवस्था बिगड़ने, सांप्रदायिक विवाद, चरमपंथी गुटों के बीच झड़प की आशंका जताई गई थी. फ़िल्म में हेट स्पीच (नफ़रती बयान) हैं, जो गलत जानकारियों पर आधारित हैं. इससे राज्य में हिंसा भड़क सकती है. वित्तीय नुक़सान किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं है.
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‘द केरला स्टोरी‘ फ़िल्म पाँच मई को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी. इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “हमारे पास ऐसी ख़ुफ़िया जानकारी थी कि अगर राज्य में फ़िल्म दिखाई गई तो इससे शांति भंग हो सकती है.”
द केरला स्टोरी को बंगाल में बैन करने की बात
“राज्य में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है. इसलिए राज्य ने किसी भी नफ़रती हिंसा के मामले को टालने के इरादे से प्रतिबंध लगाया गया है.” फ़िल्म बनानेवालों की ओर से पश्चिम बंगाल में ‘द केरला स्टोरी‘ (The Kerala Story) को बैन करने के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर बंगाल सरकार अपना जवाब दाखिल किया है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के बैन पर सवाल किए थे. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि फ़िल्म ऐसे राज्यों में भी दिखाई जा रही है जिसकी आबादी की संरचना पश्चिम बंगाल जैसी ही है. ऐसे में पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर रोक क्यों लगाई है.