द भारत: Bihar hindi news: राज्य में जमीन सर्वे को तेजी से निबटाने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बड़ा फैसला किया है. विभाग के भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने खेत का नक्शा (एलपीएम- लैंड पार्सल मैप) के बगैर खेत का कागज (खानापुरी पर्चा) वितरित करने का आदेश जारी कर दिया है. दरअसल नक्शा का निर्माण करने वाले भू-नक्शा साफ्टवेयर के काम नहीं करने से नक्शा लोगों को नहीं दिया जा पा रहा है. इससे अंतिम रूप से खतियान का प्रकाशन करने में देरी हो रही है जिस कारण जमीन सर्वे का काम फंसा हुआ है.
Bihar hindi news: भू-नक्शा साफ्टवेयर का संचालन केंद्र सरकार की एजेंसी एनआईसी करती है. ऐसे में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह एजेंसी एनआईसी नक्शा बनाने में सहयोग नहीं कर रही है. जिस कारण जमीन सर्वे का काम बाधित है. ऐसे में विभाग सचिव सह भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जय सिंह ने सभी बंदोबस्त पदाधिकारियों को ऐसे 600 मौजों में खानापुरी पर्चा एक सप्ताह में वितरित करने का आदेश जारी कर दिया है. इससे भूमि सर्वेक्षण के काम में तेजी आएगी और जमीन सर्वे का काम (अंतिम रूप से प्रकाशन) तेजी से पूरा हो सकेगा.
ये परेशानी जिस कारण जमीन सर्वे का काम है बाधित
एनआईसी द्वारा बनाए गए भू-नक्शा सॉफ्टवेयर में आ रही समस्या के कारण काफी समय से सैकड़ों मौजों (गांवो) में एलपीएम जेनरेट नहीं हो पा रहा था. इस कारण करीब 600 मौजों का काम रुका पड़ा है. बिहार में पहले चरण में 20 जिलों के 89 अंचलों के 4927 गांवाें में भूमि सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है, इनमें से करीब 550 मौजों में ही सर्वेक्षण का काम अब तक पूरा हो पाया है. वहीं 1500 मौजों का अभी प्रारूप प्रकाशित हुआ है। अब सरकार के इस नये निर्देश से प्रारूप प्रकाशित उन करीब 1500 मौजों और रुके पड़े 600 मौजों यानि कुल 2100 मौजों में अंतिम प्रकाशन यानि सर्वे का काम अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा. इस तरह अगले 3 महीने में पहले चरण के चयनित 4927 गाँवों में से कुल 2700 गांवों में सर्वे का काम खत्म हो जाएगा.
ऐसे होता है जमीन सर्वे का काम पूरा
सबसे पहले किस्तवार (गांव की बाउंड्री और उसके अंतर्गत खेत का नक्शा निर्माण) होता है। फिर खानापुरी (खेत का मालिक तय करना) करके खानापुरी पर्चा (खेत का कागज यानि कच्चा खतियान) तैयार होता है. फिर खेसरा पंजी (खेत का आंकड़ा) तैयार कर खेत का नक्शा (एलपीएम- लैंड पार्सल मैप) और खेत का कागज (खानापुरी पर्चा) संबंधित जमीन मालिक को दिया जाता है. इन दस्तावेजों के आधार पर जमीन मालिक को सर्वेक्षण की जानकारी मिलती है. तब वो उन दस्तावेजों में किसी भी गलत प्रविष्टि के खिलाफ दावा/आपत्ति दायर करते हैं. उसके बाद पूरी तरह से जांच करके खतियान का अंतिम रूप से प्रकाशन होता है.