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लोकसभा चुनाव 2024 में नहीं लागू होगी 33% महिला आरक्षण का नियम, जनगणना और परिसीमन के बाद ही मिलेगा फायदा

लोकसभा चुनाव 2024: आज लोकसभा में पेश 128वें संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक के मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेंशन डिलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा. ये परिसीमन इस विधेयक के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही होगा.

आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन कराना लगभग असंभव है. इससे साफ है कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इस बार आरक्षण लागू नहीं होगा. यानी यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है.

बिल के पास होने के बाद लोकसभा में 181 महिला सांसद होंगी

कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि हम ऐतिहासिक बिल लाने जा रहे हैं. अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी. यह आरक्षण सीधे चुने हुए जाने वाले जन प्रतिनिधियों के लिए लागू होगा. यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा. लोकसभा की कार्यवाही 20 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है

महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने श्रेय लेने की कोशिश की. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर हंगामा हुआ. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान बिल लाया गया था. यह बिल अभी मौजूद है। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम नया बिल लाए हैं.

आप जानकारी दुरुस्त कर लीजिए.

लोकसभा चुनाव 2024: इसके बाद विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी को लेकर हंगामा किया. इनका कहना था कि उन्हें बिल की कॉपी नहीं मिली है. सरकार का कहना था कि बिल को अपलोड कर दिया गया है. मोदी ने कहा- भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए; पीएम की स्पीच की 5 बड़ी बातें

कौन कहां बैठेगा, व्यवहार तय करेगा: अभी चुनाव तो दूर हैं और जितना समय हमारे पास बचा है. मैं मानता हूं कि यहां जो जैसा व्यवहार करेगा, यह निर्धारित करेगा कि कौन यहां बैठेगा, कौन वहां बैठेगा. जो वहां बैठे रहना चाहता है, उसका व्यवहार क्या होगा, इसका फर्क आने वाले समय में देश देखेगा.’

हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही घटित होता है

हमारा भाव जैसा होता है, वैसे ही कुछ घटित होता है. यद् भावं तद भवति…! मुझे विश्वास है कि भावना भीतर जो होगी, हम भी वैसे ही भीतर बनते जाएंगे. भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए. संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है. यह दलहित के लिए नहीं है.

कैबिनेट मेंबर्स हैं. दुनिया में सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं, जहां की कैबिनेट्स में महिलाओं की तादाद 50% या उससे ज्यादा है. इसमें भी खास बात ये है कि पावर सेंटर्स से ताल्लुक रखने वाली इन महिलाओं के पास वुमन एंड जेंडर इक्वैलिटी, फैमिली एंड चिल्ड्रन अफेयर्स, सोशल अफेयर्स और सोशल सिक्योरिटी जैसे डिपार्टमेंट्स हैं.

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