Bihar Politics: पटना में हुई जेडीयू की बैठक के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी में जमकर बहस हुई. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार भी मौजूद थे. दोनों नेता के बीच बहस होता देख सीएम नीतीश बिना कुछ कहे वहां से चले गए. मामला इतना बिगड़ गया कि बाद में पार्टी के सीनियर नेताओं ने दोनों को शांत कराया.
बताया जा रहा है कि बैठक से बाहर निकलते हुए ललन सिंह ने अशोक चौधरी को कहा कि जमुई और बरबीघा की राजनीति में बार-बार दखल अंदाजी नहीं करें. वहां बार-बार क्यों जाते हैं. इस पर अशोक चौधरी ने रिएक्ट करते हुए कहा की आप कौन होते हैं कहीं जाने से रोकने वाले. उन्होंने कहा कि हम कहीं जाते हैं तो मुख्यमंत्री से पूछ कर और बता कर जाते हैं.
पूरा मामला समझिए..
दरअसल सीएम हाउस में विधानसभा के प्रभारियों की बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में सीएम नीतीश कुमार खुद सभी से मिल रहे थे. इस बैठक में विधानसभा के सभी 243 प्रभारियों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, मंत्री अशोक चौधरी के अलावा कई अन्य मंत्री शामिल थे.
जानकारी के मुताबिक, बैठक समाप्त होने के बाद सभी निकल रहे थे. इसी दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मंत्री अशोक चौधरी को रोका. दोनों के बीच जमुई और बरबीघा की राजनीति को लेकर बातचीत हुई. सीएम हाउस में मौजूद सूत्रों के मुताबिक, ललन सिंह ने अशोक चौधरी को बरबीघा और जमुई की राजनीति में दखल देने से मना कर दिया.
उन्होंने कहा कि वे बार-बार जमुई और बरबीघा जा रहे हैं और वहां के विधानसभा की राजनीति में दखल दे रहे हैं. इसकी उन्हें शिकायत मिली है. बरबीघा के विधायक भी शिकायत कर चुके हैं. जेडीयू नेता की मानें तो इतना सुनने के बाद अशोक चौधरी भी ललन सिंह को जवाब देने लगे. उन्होंने कहा कि कहीं आने-जाने से रोकने वाले वे कौन होते हैं. वे सारी बातें सीएम नीतीश कुमार से शेयर करते हैं.
बरबीघा के कार्यकर्ताओं ने की है शिकायत
Bihar Politics: ललन सिंह ने इस दौरान अशोक चौधरी से कहा कि बरबीघा के नेताओं ने आपके संबंध में शिकायत की है. हालांकि, ऑफ द रिकॉर्ड नेताओं ने बताया कि अशोक चौधरी का लगातार बरबीघा आना लगा रहता है, लेकिन बरबीघा से जेडीयू विधायक सुदर्शन कुमार के समर्थक जब उनसे मिलना चाहते हैं तो वे उनसे नहीं मिलते हैं. जबकि वे अपने पुराने कांग्रेसी मित्रों के साथ ही यहां वक्त बिताते हैं। इससे जेडीयू के समर्थकों में उनके खिलाफ नाराजगी है. ये बात राष्ट्रीय अध्यक्ष तक भी पहुंचाई गई है.
अब अशोक चौधरी का बरबीघा और जमुई कनेक्शन समझिए
अशोक चौधरी का बरबीघा से पुराना नाता रहा है. इनके पिता महावीर चौधरी कांग्रेस के टिकट से 1980 से 1995 तक बरबीघा के विधायक रहे हैं. अशोक चौधरी के राजनीतिक करियर का आगाज भी बरबीघा से ही हुआ है. कांग्रेस के टिकट पर 2 हजार में वे यहां से पहली बार चुनाव जीते थे. पहली बार विधायक बनने के बाद भी उन्हें राबड़ी सरकार में कारा राज्य मंत्री बना दिए गए थे.
हालांकि, 2005 के बाद वे कभी बरबीघा से चुनाव नहीं लड़े, लेकिन उनका कनेक्शन वहां से बना हुआ है. यही कारण है कि आज भी बरबीघा में बड़ी संख्या में उनके समर्थक हैं. बरबीघा के बाद उन्होंने अपनी किस्मत जमुई लोकसभा चुनाव में भी आजमाई. दो बार वे वहां से लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार हार गए. वहीं, अशोक चौधरी जमुई के प्रभारी मंत्री थे.
नीतीश के करीबी हैं अशोक चौधरी
लगभग दो दशक तक प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति करने के बाद 2018 में अशोक चौधरी जेडीयू में शामिल हुए थे. इसके बाद सीएम ने उन्हें एमएलसी बनाकर मंत्री बना दिए. बहुत कम समय में ही अशोक चौधरी की गिनती सीएम नीतीश कुमार के करीबी नेता में होती है. कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार ने भरी महफिल में अशोक चौधरी के कंधे पर सिर रखकर कहा था कि हम दोनों में काफी प्रेम है.