Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता आरसीपी सिंह ने एक बार फिर से सीएम नीतीश कुमार पर हमला किया है. आरसीपी सिंह ने दावा किया है कि जब तक नीतीश सीएम हैं तब तक ही जदयू है. उनके पद से हटते ही जदयू खत्म हो जाएगी. वो आखिरी कश तक कुर्सी का मजा लेंगे. इसके साथ ही उन्होंने जातीय गणना के आंकड़े पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जातीय गणना राजद का मेनिफेस्टो है. 2024 लोकसभा चुनाव में पत्ता साफ हो जाएगा.
आरसीपी सिंह ने कहा कि कभी भी इंडिया अलायंस की सरकार नहीं बनने वाली है. जदयू वाले खयाली पुलाव बना रहे हैं. वह जरा चुनाव में जाएं. अभी 16 सांसद हैं, अगले चुनाव में जीरो बटा सन्नाटा हो जाएंगे. कौन सा काम नीतीश कुमार लेकर जनता के बीच जाएंगे. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की गद्दी पर अंतिम कस तक मजा लेंगे. जब तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं , तभी तक जदयू पार्टी बची हुई है. जदयू के कार्यकर्ता पूरी तरह से उदास हैं.
सीएम के आस-पास रहने वाले उनके मित्र
नीतीश कुमार और पूरी जदयू की टीम दिन भर पिछड़ा वर्ग,अति पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति की बात करती है. नीतीश कुमार को किसी जाति से मतलब नहीं है. नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को बना रखा है, वो जाति के आधार पर नहीं हैं. सिर्फ उनकी चॉइस है. भागलपुर के दो मिश्रा बंधु हैं, दोनों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है. क्या वे दोनों जदयू के कार्यकर्ता हैं? मुख्यमंत्री के आसपास जो लोग रहते हैं, वो उनके मित्र हैं. उन्हें समाज या बिहार की राजनीति (Bihar Politics) से कोई लेना-देना नहीं है.
जातीय गणना के आंकड़े पर उठाए सवाल
आरसीपी सिंह का कहना है कि जातीय गणना के जो आंकड़े जारी किए गए हैं, वो सही नहीं है. उनके मुताबिक बिहार सरकार ने शिया समाज, बौद्ध समाज, जैन समाज की गणना की ही नहीं. वहीं क्रिश्चन समाज को हरिजन और पिछड़ा वर्ग जोड़ दिया. जो सरासर गलत है. बहुत सारी जातियों को एक जगह जोड़ दिया गया है.
आरसीपी सिंह के मुताबिक बिहार में 49 ऐसी जातियां हैं, जिनकी आबादी राज्य में 50 हजार से कम है. आज जिनकी आबादी कम बताई गई है उन्हें लग रहा है कि हम कमजोर हो गए, तो आगे हमारा क्या होगा. नीतीश कुमार ने इन आंकड़ों से लोगों को सोचने पर यह विवश कर दिया है कि वे अपने बारे में सोचे, अपनी जातियों और अपनी संख्या के बारे में सोचें.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी देशभक्ति की बात करते हैं.
हमारे वैज्ञानिक जब चांद पर पहुंचते हैं तो कोई उनसे जाति नहीं पूछता, लेकिन नीतीश कुमार सबकी जाति गिनवा रहे हैं. जो आंकड़ा मुख्यमंत्री जी ने प्रस्तुत किया हैं उसमें कुछ जातियों को तो क्लब कर दिया गया है. बहुत सारी जाति है, जैसे वैश्य समाज (बनिया समाज) है. अब बनिया का एक ग्रुप बना दिया गया. उसमें 19 से 20 जाति के लगभग है.
कानू को अलग, तेली को अलग, सोनर को अलग जितने बनिया समाज के लोग हैं. अगर सब को जोड़ दीजिएगा तो उनकी आबादी आज 8% के आसपास है. नीतीश कुमार ने सबको अलग-अलग कर दिया. ये बिहार की राजनीति (Bihar Politics) मे एक नया अध्याय लिखने का काम किये हैं. जो कि बिल्कुल ही गलत हैं.
बिहार में कानून व्यवस्था बद से बदतर हो गई
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बस अपना फायदा देखते हैं. बिहार में जो बेरोजगार हैं, चाहे वह किसी जाति से हैं. जिस प्रकार बिहार में कानून व्यवस्था बद से बदतर हो गई. लोग सुरक्षित नहीं है. मुद्दा ये होगा. नीतीश कुमार के मेनिफेस्टो में जातीय गणना शामिल नहीं था. यह मेनिफेस्टो राजद का था.
नीतीश कुमार आज उनकी गोदी में खेल रहे हैं. चुनाव में लोगों का मन भटकाना चाहते हैं. बिहार के लोग यही पूछ रहे हैं की नीतीश बाबू 2020 में हमने आपको मुख्यमंत्री के पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार के रूप में चुना था. लेकिन आपने जनादेश के साथ विश्वास घात करके महागठबंधन में शामिल हो गए.