समाजवादी पार्टी अपने घोसीत उम्मीदवार को किनारे करते हुवे कन्नौज की खोई हुई सीट पुनः हासिल करने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को आखिरकार खुद ही मैदान में उतरना पड़ा. इंडिया खेमे को भरोसा है कि पहले चरण में उसके हिस्से तीन से चार सीटें आएंगी. आपको बता दें कि चौथे चरण के लिए 13 मई को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन का आज आखिरी दिन है. उनके नामांकन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है. अगले चरणों में इसे बनाए रखने और उत्साह कायम रखने के लिए भी अखिलेश यादव ने मैदान में उतरने का निर्णय लिया.
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वहीं, स्थानीय संगठन ने अखिलेश यादव से मिलकर स्पष्ट कर दिया था कि तेज प्रताप यादव के लड़ने पर उतना समर्थन नहीं मिल पाएगा, जितना अखिलेश यादव को बतौर प्रत्याशी को मिल सकता है.
सोमवार तक कन्नौज से तेज प्रताप यादव उम्मीदवार थे
दरअसल, कन्नौज वाली सीट पर मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को सोमवार को ही उम्मीदवार बनाया गया था. हालांकि, पहले से ही सपा कार्यकर्ताऔधि मांग की थी कि अखिलेश यादव को ही कन्नौज से चुनाव लड़ना चाहिए. मंगलवार को कुछ कार्यकर्ता और नेता लखनऊ में अखिलेश से मिले और चुनाव मैदान में उतरने का अनुरोध किया. अखिलेश यादव ने मंगलवार की शाम को अमर उजाला से बातचीत में खुद चुनाव लड़ने के स्पष्ट संकेत दे दिए थे.
स्थानीय कार्यकर्ता कर रहे थे फैसले का विरोध
बताते हैं कि कन्नौज में उठापटक तो सोमवार को तेज प्रताप के नाम के एलान के साथ ही हो गई थी. तेज प्रताप की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से ही समाजवादी पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता इस फैसले का विरोध कर रहे थे. कन्नौज के सपा नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल अखिलेश यादव से मिला और पूरी स्थिति से अवगत कराया.
2012 में डिंपल निर्विरोध बनी थीं सांसद
अखिलेश यादव 2000 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी से सांसद चुने गए थे. वह 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देने के चलते 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल निर्विरोध चुनी गई थीं. 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 के चुनाव में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गईं.