बक्सर शुरू से ही एतिहासिक युद्ध की धरती रही हैं. वही इस बार का लोकसभा चुनाव (Buxar Lok Sabha) भी किसी युद्ध से कम नहीं है. दो प्रमुख गठबंधनों एनडीए और इंडिया की चुनौतियां दो अलग-अलग निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़ा दी हैं. इन दोनों की वोट जुगाड़ने की ताकत याहा का परिणाम तय करेगी. बहरहाल, बक्सर की जनता ने अपना मन-मिजाज बना लिया है.
कांटे की लड़ाई है
समृद्ध खेती वाले बक्सर में देह तपा देने वाली गर्मी के साथ ही सियासी पारा भी पराकाष्ठा पर है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का टिकट कटने पर ही यह सीट चर्चा में आ गई थी. भाजपा ने गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर से 2015 में विधायक बने मिथिलेश तिवारी को बक्सर से (Buxar Lok Sabha) उतारा है. वहीं, राजद के पूर्व मंत्री और विधायक सुधाकर सिंह राजद के प्रत्याशी हैं. दोनों में कांटे की लड़ाई है. वहीं, अलग अंदाज व प्रचार से निर्दलीय व पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा सुर्खियों में हैं. वे युवाओं के चहेते बने हुए हैं. बक्सर के डुमरांव से चार बार विधायक रहे पूर्व मंत्री ददन यादव भी निर्दलीय ताल ठोक दिए हैं.
साथ ही पिछले तीन चुनावों से 80 हजार से पौने दो लाख के बीच वोट लाने वाली बसपा ने अनिल कुमार को उतारा है. बसपा का आधार वोट है. मिथिलेश बक्सर के लिये नए हैं. पर, पीएम मोदी के नाम मजबूती दे रहा है. वही सुधाकर सिंह चिर-परिचित चेहरा हैं. रामगढ़ के विधायक हैं और मंत्री रहे हैं. उनके पिता जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं जो बक्सर से सांसद व राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. राजद और माले का आधार वोट उनको ताकत दे रहा है.
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लड़ाई संविधान बचाने की
एक तरफ जहा देश में इंडिया गठबंधन संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रहा हैं. वही एनडीए राम मंदिर और नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनावी मैदान में हैं. फिलहाल बक्सर में सुधाकर, मिथलेश, आनंद मिश्र, अनिल कुमार, ददन पहलवान के अपने अपने समर्थक भरे पड़े हैं. अब बात कुछ नाप तौल कर करें तो संविधान बचाने की लड़ाई में फिलहाल सुधाकर सिंह बक्सर में नमबर 1 की भूमिका निभा सकते हैं. वही मिथलेश तिवारी के हिस्से में जो वोट है वह आनंद मिश्र ने सेंधमारी कर ली हैं. मिथलेश तिवारी को इससे बड़ा नुकसान होता दिख रहा हैं. वही ददन पहलवान भी राजद वोट को तितर वितर करेंगे. फिलहाल बसपा अपने ठोस जनाधार के साथ मजबूत स्थिति में रहेगी.
निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़ाई मुसीबत
दलीय उम्मीदवारों के बीच दो ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार भी है जिन्होंने बक्सर लोकसभा सीट को और भी रोमांचित कर दिया हैं. जिनमे आनंद मिश्रा और ददन पहलवान शामिल हैं. साथ ही बसपा उम्मीदवार के वोट जीत-हार में बड़ी भूमिका अदा करेंगे. वही आनंद मिश्रा का युवाओं में काफी क्रेज है तो वही ददन पहलवान भी जनता में अपना रसूख रखते हैं. बक्सर ज्योति चौक के रहने वाले अजय सिंह कहते हैं- जनता वोट बर्बाद नहीं करेगी. जीतने वाले प्रत्याशी को ही सब वोट करेंगे. बक्सर के विकास कार्यों से वह संतुष्ट हैं, पर बढ़िया अस्तपाल की कमी खलती है.
जानिए बक्सर लोकसभा सीट के मुख्य मुद्दे
- चौसा सुपर थर्मल पावर प्लांट का निर्माण अब तक पूरा नहीं.
- मलई बराज के लंबे समय से पूरा नहीं होने से किसान निराश.
- बक्सर में तीन रेलवे ऊपरी पुलों का निर्माण अधूरा.
- केशवपुर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण नहीं हुवा पूरा.
बहरहाल, लोकसभा के सातवें चरण का प्रचार प्रसार आज शाम 6 बजे समाप्त हो जाएगा. लेकिन सियासी खेल में बक्सर का पारा 1 जून तक गरम रहेगा. दिलचस्प बात ये हैं कि बक्सर को अपना सांसद हर हाल में चुनना है. 1 जून को वोटिंग है और 4 जून को फ़ैसले आ जाएंगे. इस बार सियासी पराक्रम का दिलचस्प गवाह बनने को बक्सर पूरी तरह से तैयार हैं.