बिहार लोकसभा के सातवें चरण का प्रचार प्रसार का शोर थम चुका हैं. लेकिन जहानाबाद (Jehanabad Lok Sabha) के चौक चौराहो पर फुसुर फुसुर चालू हैं. कोई दावे ठोक रहा है तो कोई हा में हा मिल रहा हैं. मगर उन्मे कुछ लोगों ऐसे भी है जो बहती गंगा में हाथ धोने कि फिराक में है. हालांकि उन्हे साइलेंट किलर कहा जाता हैं. उनका मानना है जो जीतेगा उसे जिताएंगे.
जहानाबाद लोकसभा सीट का हाल
बिहार की राजधानी पटना से महज 50 किलोमीटर दूर जहानाबाद (Jehanabad Lok Sabha) में सातवें चरण यानी एक जून को मतदान होना है. जहानाबाद लोकसभा (Jehanabad Lok Sabha) सीट में जहानाबाद, मखदुमपुर, घोसी, कुर्था, अरवल और अतरी विधानसभा सीटें आती हैं. 16 लाख मतदाताओं वाली जहानाबाद सीट पर भूमिहार और यादव वोट निर्णायक होते हैं. इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार खड़े हैं.
राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव इस बार भी जहानाबाद लोकसभा सीट से अपनी क़िस्मत आजमा रहे है. उनका मुख्य मुकाबला जेडीयू के चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी से है. हालांकि बसपा ने याहा से अरुण कुमार को टिकट दिया हैं.
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बाग़ी ही तय करेंगें जीत
राजद से चुनाव लड़ रहे सुरेंद्र यादव की पहचान एक दबंग नेता की है. आरजेडी में उनके प्रभाव को इसी बात से समझा जा सकता है कि 1998 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सिर्फ़ 2004 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें, तो बाक़ी सभी लोकसभा चुनावों में उन्हीं को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. हालाँकि वे हारते रहे. फ़िलहाल सुरेंद्र यादव गया की बेलागंज विधानसभा सीट से विधायक हैं. वो यहाँ से आठ बार विधायक चुने गए हैं.
जेडीयू के निवर्तमान सांसद उम्मीदवार चंद्रेश्वर प्रसाद मोदी और नीतीश कि भरोसे हैं। उन्होंने बीबीसी से कहा हैं, “हम अपनी जीत के प्रति 100 प्रतिशत आश्वस्त हैं. हम जीतने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और किसी को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं मानते. प्रधानमंत्री मोदी का देश विदेश में डंका बज रहा है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम की बदौलत एनडीए का वोटर सब जात का है.
लेकिन जहानाबाद (Jehanabad Lok Sabha) के चुनावी संग्राम को नज़दीक से देखने वालों की मानें, तो बसपा के अरुण कुमार का खड़ा होना चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी की जीत मुश्किल कर सकता है. अरुण कुमार भूमिहार जाति के प्रभावशाली नेता हैं. अरुण कुमार इस सीट से 1999 में सुरेंद्र प्रसाद यादव को 17,287 वोटों से हराकर जेडीयू के टिकट पर सांसद बने थे.
बाद में उन्होंने रालोसपा के टिकट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सुरेंद्र प्रसाद यादव को ही हराकर इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी. बसपा के टिकट पर खड़ा होने से पहले वो लोजपा (आर) में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे, जहाँ से उन्होंने इस्तीफ़ा देकर हाथी का दामन थामा.
क्या कहते है जातीय समीकरण
स्थानीय राजनीति के जानकारों के मुताबिक, “भूमिहार और यादव जाति इस सीट पर निर्णायक हैं. अरुण कुमार को भूमिहार वोट मिलेंगें तो इसका नुक़सान चंद्रेश्वर चंद्रवंशी को होगा. वही अन्य उम्मीदवारों में आशुतोष कुमार भी भूमिहार वोट काटेंगे. मुनीलाल यादव, सुरेंद्र यादव को मिलने वाले यादव वोट का नुक़सान करेंगे. लेकिन ये लोग इतने प्रभावी नहीं है. अरुण कुमार की मौजूदगी जहानाबाद की लड़ाई को त्रिकोणीय बना रही है.
जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र नक्सल प्रभावित इलाक़ा रहा है. 90 के दशक में यहाँ लक्ष्मणपुर बाथे, सेनारी, शंकर बिगहा नरसंहार हुए, जिसकी दहशत आपको अभी भी मतदाताओं की बातों में मिलती है.
सांसद को हम नहीं जानते
यहाँ के नौजवान गौतम कुमार कहते हैं, “सांसद को हम नहीं जानते, लेकिन यहाँ मोदी जी के नाम पर वोट होगा. हमारे गाँव के लिए कुछ नहीं हुआ, लेकिन मोदी जी देश के लिए किए हैं. लेकिन सांसद से नाराज़गी और मोदी से प्यार से इतर रोज़गार भी यहाँ एक प्रमुख मुद्दा है.
जैसा कि नौजवान जितेंद्र कुमार कहते हैं, “हम रोज़गार के मुद्दे पर वोट करेंगें. सिर्फ़ तेजस्वी यादव ही रोजगार की बात कर रहे हैं, बीजेपी वाले तो दागी उम्मीदवारों को वॉशिंग मशीन में धो रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि जहानाबाद (Jehanabad Lok Sabha) के चुनावी ‘वॉर’ में अबकी बार किस उम्मीदवार को मतदाताओं का प्यार मिलेगा.