लोकसभा (Buxar Lok Sabha ) के सातवें और अंतिम चरण में बिहार में 8 सीटों पर 1 जून को वोट डाले जाएंगे. आखिरी चरण में राजधानी की दो सीट पाटलिपुत्र, पटना साहिब के साथ-साथ सीएम के क्षेत्र नालंदा समेत काराकाट, बक्सर, आरा, जहानाबाद और सासाराम में मतदान होगा.
बक्सर शुरू से ही एतिहासिक युद्ध की धरती रही हैं. वही इस बार का लोकसभा चुनाव (Buxar Lok Sabha) भी किसी युद्ध से कम नहीं है. दो प्रमुख गठबंधनों एनडीए और इंडिया की चुनौतियां दो अलग-अलग निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़ा दी हैं. इन दोनों के वोट जुगाड़ने की ताकत यहा का परिणाम तय करेगी. बहरहाल, बक्सर का रुख किधर है आइए जानते हैं.
बागी बदलेंगे वोट का समीकरण
बक्सर में एनडीए (NDA) उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी और महागठबंधन से राजद के सुधाकर सिंह के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. चुकी केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटने के बाद बक्सर हॉट सीट बन गया है. वही बसपा के अनिल कुमार, निर्दलीय कैंडिडेट आनंद मिश्रा और ददन पहलवान ने भी बक्सर में लड़ाई को टफ कर दिया है.
अगर इनके साथ वोट का समीकरण बदला तो परिणाम भी चौंकाने वाला आ सकता है. हालांकि अब तक ठोस विजन राजद के सुधाकर, बसपा के अनिल कुमार और निर्दलिय आनंद मिश्र का ही दिख रहा हैं. भाजपा पिछले साल की भांति इस बार भी मोदी और राम मंदिर के मुद्दे पर ही टिकी हुई हैं.
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बक्सर लोकसभा सीट का दावेदार कौन
बहुजन समाज पार्टी को पिछले तीन चुनावों से 80 हजार से पौने दो लाख के बीच वोट मिलते रहे हैं. इस बार बसपा ने अनिल कुमार को उतारा है. बसपा का अपना कैडर वोट है. बक्सर प्रखण्ड अंतर्गत पड़री के रहने वाले दीपक बताते हैं कि इस बार बहुजन समाज पार्टी अनिल कुमार को मौका मिलना चाहिए.
पिछले पैतीस वर्षों में बक्सर में भाजपा और राजद का शासन रहा है जिसके दौरान साल दर साल बक्सर पिछड़ता चला गया. इसलिये इस बार जनता परिवर्तन चाहती है, जनता चाहती है की बाकी जिलों की तरह बक्सर का भी विकास हो. यहां भी विश्वविद्यालय और आधुनिक अस्पताल बनें. बक्सर में कानून का राज स्थापित हो। इसलिए बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अनिल कुमार को सांसद बनना चाहिए.
5 किलो राशन में कितना दम
मिथिलेश तिवारी बक्सर के लिये नए हैं. पर, पीएम मोदी का नाम उन्हे मजबूती दे रहा है. डुमराव अनुमंडल के बेलाव निवासी मृत्युंजय कुशवाहा कहते है कि पहले बिहार को गंदी नजर से देखा जाता था, अब नीतीश कुमार के चलते बिहार की गरिमा बढ़ी हैं. अपहरण और छिनैती के युग को हम वापस नहीं लाना चाहते. मोदी ने गरीबों को 5 किलो राशन दिया है और आगे भी मिलेगा. इसलिए सभी को एनडीए के पक्ष में वोट करन चाहिए.
संविधान को बचाने की लड़ाई
बक्सर के लिए सुधाकर सिंह चिर-परिचित चेहरा हैं. रामगढ़ के विधायक हैं और मंत्री रहे हैं. उनके पिता जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं जो बक्सर से सांसद व राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. राजद और माले का आधार वोट उनको ताकत दे रहा है. हालांकि 2009 को छोड़ दें तो भाजपा यहां 1996 से लगातार जीतती आई है. साल 2009 में बक्सर लोकसभा सीट से आरजेडी के जगदानंद सिंह को जीत मिली थी, इस बार उनके बेटे सुधाकर सिंह जीत के लिए जोर लगा रहे हैं.
ब्रह्मपुर निवासी मिथलेश सिंह कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में हैं. इस बार देश और संविधान को बचाने के लिए जो लड़ाई लड़ रहा है उसे वोट करना चाहिए. जो रोजगार की बात करें उसे वोट देना चाहिए. देश बचेगा तभी तो हम भी रहेंगे.
भाजपा और राजद की प्रतिष्ठा दाव पर
बक्सर लोकसभा सीट मिथलेश तिवारी और सुधाकर सिंह के लिए प्रतिष्ठा बन गई है. वही आईपीएस की नौकरी छोड़कर निर्दलीय उम्मीदवार आनंद मिश्र की कुर्बानी भी यहाँ के युवाओ को प्रभावित कर रही हैं. साल 2014 और 2019 में भाजपा से सांसद रहे अश्विनी चौबे का टिकट कटना राजद के लिए फायदेमंद रहा है, लेकिन दो निर्दलीय कैंडिडेट पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा और ददन पहलवान ने दोनों दलों का समीकरण बिगाड़ दिया है. हालांकि बसपा का अपना वोट सुरक्षित दिख रहा हैं.
वही इंडिया अलाइन्स में मुकेश साहनी की वीआईपी के आने से अति पिछड़े वर्गों (ईबीसी) का साथ भी सुधाकर के साथ हैं. साथ ही राजद की ए टू जेड राजनीति की बात करें तो अपने पारंपरिक टैग एमवाई ( मुस्लिम-यादव ) को भी साधने में भी जुटी हुई हैं. हालांकि ददन पहलवान भी आरजेडी के वोट काटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है, वहीं बागी बीजेपी उम्मीदवार मिश्रा एनडीए के वोट बेस में सेंध लगा सकते हैं.
लोकसभा के 6 विधानसभा सीटो पर इंडिया अलाइन्स का कब्जा
बक्सर लोकसभा सीट (Buxar Lok Sabha) के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. फिलहाल आरजेडी के पास तीन (रामगढ़, दिनारा और ब्रह्मपुर), कांग्रेस के पास दो (बक्सर और राजपुर) और सीपीआई (एमएल) के पास एक (डुमरांव) है. लोकसभा सीट के छह विधानसभा सीटो पर इंडिया अलाइन्स (INDIA) का कब्जा हैं. भारतीय जनता पार्टी को एक भी विधानसभा सीट पर जीत नसीब नहीं हुई हैं. ऐसे में बक्सर लोकसभा (Buxar Lok Sabha ) सीट भाजपा के लिए आसान नहीं दिख रही.
बात करें बक्सर में कुल वोटरों की संख्या तो कुल 19 लाख 23 हजार 164 मतदाता है. जिनमे 10 लाख 6 हजार 224 पुरुष और 916923 महिला वोटर हैं. वही थर्ड जेंडर की संख्या सिर्फ 17 है. बहरहाल बक्सर की जनता ने अपना मन-मिजाज बना लिया है. कल यानी 1 जून को वोटिंग होनी है. और चार जून को नतीजे आ जाएंगे.