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Lok Sabha Election Result : लोकसभा चुनाव में जिस सीट के दम पर भाजपा ने खिची लकीर, जाने कैसे अयोध्या बन गई टेढ़ी खीर

लोकसभ चुनाव 2024 रिजल्ट (Lok Sabha Election Result ) में एक ओर जहां 400 पार का लक्ष्य लेकर चल रही एनडीए को बड़ा झटका लगा है, लेकिन इसके बावजूद वह सरकार बचाने में सफल रही तो दूसरी ओर, राहल गांधी का खेमा खुश है. हालांकि, कई पार्टियों के मिल जाने के बावजूद वह बीजेपी के बराबर सीट नहीं ला पाई, लेकिन इस रिजल्ट का मतलब बहुत कुछ है…

आम चुनाव में हिंदुत्व की कमंडल राजनीति के सामने एक बार फिर मंडल की जाति राजनीति समांनतर रूप से उभरी, जिसने बीजेपी को अपने दम पर बहुमत पाने से रोका. इस साल 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब बीजेपी हिंदुत्व लहर के सहारे तीसरे टर्म में भी 400 पार की उम्मीद कर रही थी, लेकिन विपक्ष ने हिंदू बेल्ट में अपनी मंडल की सोशल इंजीनयरिंग की बदौलत उस लहर को रोक दिया. एनडीए के हिंदुत्व को विपक्ष ने जातीय समीकरण से काउंटर करने की कोशिश की.


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बीजेपी को रोकने में मंडल आंदोलन

यह एक तरह से 90 के दशक की पुनरावृत्ति हो गई जब राम मंदिर आंदोलन की बदौलत उभरी बीजेपी को रोकने में मंडल आंदोलन सफल हुआ था. दरअसल हिंदी पट्टी में सालों से सवर्णों के हाथों में सत्ता रहने के बाद यह नब्बे के दशक में पिछड़ों के बीच ट्रांसफर हुई. 90 के दशक में कमंडल से पहले मंडल आया था. पिछड़ों को आरक्षण देने वाले मंडल कमीशन की सिफारिश लागू होने के बाद देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा.

अगड़े बनाम पिछड़े की लड़ाई

अगड़े बनाम पिछड़े की लड़ाई ने इसकी शक्ल को पूरी तरह बदल दिया. ठीक उसी समय अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराने जैसी घटना और जय श्री राम के नाम पर राजनीति से कमंडलवाद भी उफान पर आया पर मंडल रथ पर सवार लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव, मायावती जैसे नेताओं ने बीजेपी को रोका.

इस बार भी कहीं न कहीं नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं के शीर्ष काल में अखिलेश, तेजस्वी जैसे नेताओं ने सोशल इंजीनियरिंग की. टिकट देने में यही रणनीति अपनाई. उसका लाभ भी दिखा और नतीजा यह रहा कि जीस राम के नाम पर भाजपा ने राजनीति की बुनियाद रखी उसी बुनियाद की ईट से ईट बज गई.

वही लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election Result ) से पहले अयोध्या में राम मंदिर बनवाकर भाजपा ने उसकी पूरी मार्केटिंग की. ताकि 2024 के चुनाव में अपने 400 पार के आकड़े को जुटा सके. परिणाम यह हुवा कि भाजपा अयोध्या से ही हर गई. जिस अयोध्या के दम पर भाजपा ने पूरे देश में जीत की लकीर खींची थी, वहां भी हार झेलनी पड़ी. यह भी सबक है. संगठन को वोटरों ने बता दिया- हम किसी को भी बर्दाश्त नहीं करेंगे. पार्टी ने यहां तीसरी बार लल्लू सिंह को टिकट दिया था, जिनकी उम्मीदवारी का बहुत विरोध हो रहा था.

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