लोकसभा चुनाव में बेहतरीन परफॉर्म करने के बाद जेडीयू (Nitish Kumar Politics) अब केंद्र में मुख्य भूमिका में आ गई है. जेडीयू ने एनडीए के समर्थन का ऐलान कर दिया है. उसके साथ ही ये कहा जा रहा है कि जेडीयू केंद्र के मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी चाह रही है. उसके लिए पार्टी नेताओं की ओर से बयानबाजी शुरू है.
केंद्र में अगली सरकार के गठन के लिए भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों पर काफी हद तक निर्भर रहने के बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मानजनक प्रतिनिधित्व दिए जाने की उम्मीद कर रही है. नीतीश ने 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में केवल एक स्थान की पेशकश को ठुकरा दिया था, और उसके बाद उनकी पार्टी ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था.
NDA में TDP के बाद जदयू भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी बनकर उभरी है. नाम नहीं बताने की शर्त पर जेडीयू के एक शीर्ष नेता ने कहा कि पार्टी की नजर कैबिनेट की तीन सीट पर है, जिससे उसे जाति गणना का प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है, जो अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण है.
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जेडीयू के अंदर चर्चा
बिहार में 12 लोकसभा सीटें जीतने वाली जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और हमारे नेता नीतीश कुमार जी के द्वारा तय किया जाएगा. कुमार ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू को कितने मंत्री पद मिलनी चाहिए, इस बारे में निर्णय हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (नीतीश कुमार) करेंगे, लेकिन यह सम्मानजनक होना चाहिए.
मुख्यमंत्री के गृह जिला नालंदा से 1995 से विधायक और उनके करीबी माने जाने वाले श्रवण कुमार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में सम्मानजनक प्रतिनिधित्व के बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया, और कहा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, इस बारे में निर्णय लिया जाना चाहिए.
तीन मंत्री पद की डिमांड
जेडीयू के सूत्रों ने कहा कि पार्टी को चुनाव से पहले कथित तौर पर तीन कैबिनेट पद और एक राज्य मंत्री (एमओएस) पद देने का वादा किया गया था. 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद यह जदयू का तीसरा सबसे अच्छा प्रदर्शन है जब पार्टी ने क्रमशः आठ और दो सीटें जीती थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 16 सीटें जीती थीं.
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार (Nitish Kumar Politics) की नजर खासकर तीन मंत्रालयों पर पड़ी हुई हैं. जिनमें रेलवे, वित और ग्रामीण विकास शामिल हैं. वही अपनी पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों के लिए बड़े मंत्रालयों में कृषि, जल संसाधन एवं भारी उद्योग जैसे विभागों की मांग भी कर सकते हैं.
नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर हमारे सांसदों को ये मंत्रालय मिलते हैं, तो यह जेडीयू को बिहार के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्राप्त करने में मदद करेगा और इससे राज्य में विकास कार्यों में तेजी आएगी.
पार्टी में मंत्री पद की दौड़
पार्टी के भीतर मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माने जाने वालों राज्यसभा सांसद संजय झा, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (मुंगेर), कौशलेंद्र कुमार (नालंदा) रामप्रीत मंडल (झंझारपुर) और लवली आनंद (शिवहर) का नाम शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि पार्टी केंद्रीय मंत्रिमंडल में उच्च जाति, अन्य पिछड़ी जाति, अत्यंत पिछड़ी जाति और एक महिला सांसद को भेजने का प्रयास करेगी. इसके अलावा जदयू नेता इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि वह राज्य के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा जैसी अपनी लंबे समय से लंबित मांगों पर कायम रहेंगे.
पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी (Nitish Kumar Politics) ने बुधवार को कहा था कि जेडीयू राजग में है और इसमें बना रहेगा. लेकिन बिहार की वित्तीय स्थिति और अर्थव्यवस्था से संबंधित कुछ मांगे हैं जिन्हें केंद्र द्वारा संबोधित करने की आवश्यकता है.
चौधरी ने कहा था कि बिहार अपने वित्त का प्रबंधन स्वयं कर रहा है. हम देश के सबसे गरीब राज्यों में से हैं. जदयू बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज की अपनी मांग पर कायम हैं.