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Nitish Kumar Politics : चुनाव के दौरान पकड़ा था हाथ में कमल, अब कमल को ही कर लिया काबू में, जानिए कैसे नीतीश पॉलिटिक्स के आगे सरेंडर हुई बीजेपी

बिहार में कभी अपने दम पर चुनाव लड़ने का दम भरने वाली भाजपा अब नीतीश (Nitish Kumar Politics) की स्ट्रेटजी पर काम करेगी. लोकसभा चुनाव का परिणाम आते ही भाजपा ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है. सम्राट चौधरी के बयान से यह साफ हो गया है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा नीतीश को आगे रखेगी. यह बदलाव लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद दिख रहा है.

चुनाव के दौरान मोदी के रोड शो में नीतीश कुमार हाथ में कमल पकड़कर चल रहे थे, लेकिन चुनाव के बाद ही उन्होंने कमल को काबू में कर लिया है.जानिए लोकसभा चुनाव के साथ ही कैसे बदल गई भाजपा की स्ट्रेटजी और नीतीश से किनारा करने वाले क्यों नीतीश को बना रहे अगुवा..

पहले सम्राट चौधरी का बयान जानिए

पटना में आयोजित भाजपा की बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मीडिया के सवाल पर कहा कि 2025 में नीतीश (Nitish Kumar Politics) की अगुवाई में चुनाव लड़ने में हर्ज ही क्या है. बिहार में 25 प्रतिशत एनडीए को सफलता नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिली है. हार पर समीक्षा की बात करते हुए सम्राट चौधरी ने कहा नीतीश कुमार के नेतृत्व में 1996 से भारतीय जनता पार्टी है, आगे भी रहेगी.


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लोकसभा चुनाव के पहले और बाद का हाल

लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार मोदी और शाह के पीछे-पीछे चल रहे थे. नीतीश कुमार पर पार्टी को भरोसा भी कुछ खास नहीं दिख रहा था. यही कारण है कि मोदी के साथ भाजपा के दिग्गजों का दौरा बिहार में कुछ ज्यादा ही हुआ. नीतीश कुमार की मोदी के सामने क्या स्थिति थी, इसका अंदाजा पटना में आयोजित मोदी के रोड शो से लगाया जा सकता है. रोड शो के दौरान नीतीश हाथ में कमल का फूल लेकर मोदी के साथ दिखाई पड़े. इसे लेकर मोदी से अधिक चर्चा बिहार के सीएम नीतीश कुमार की होने लगी. वह इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी किए गए.

राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का कमल थामना सवाल

मोदी के रोड शो में नीतीश का कमल हाथ में लेकर लोगों का अभिवादन करना इसलिए सवालों में था क्योंकि वह एक राष्ट्रीय पार्टी के मुखिया हैं, वह दूसरी पार्टी का चिन्ह लेकर रोड शो में घूम रहे थे. यह लोगों के लिए बड़ा सवाल था. हालांकि बाद में जब नीतीश को इसका एहसास हुआ था, तब उन्होंने कमल को नीचे कर लिया था.

एक्सपर्ट ने तो उस समय मान लिया था कि नीतीश कुमार मोदी के सामने सब कुछ भूल गए हैं. नीतीश को तो पूरी तरह से निरीह माना जाने लगा था. इस पर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने तो यहां तक कह दिया था कि भाजपा ने नीतीश कुमार को कमल का झुनझुना थमा दिया है.

भाजपा का चुनाव चिन्ह लेकर घूमना नीतीश कुमार को सवालों के घेरे में ले आया था. नीतीश कुमार जैसे नेता का ऐसा करना उनकी राजनीति जीवन का आखिरी चरण माना जाने लगा था.

2025 में भाजपा करेगी नीतीश से समझौता

मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि सम्राट का बोलना मतलब केंद्रीय नेतृत्व का स्टैंड है. यह बात साफ हो गई है कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे. हालांकि इससे भाजपा काे कोई नुकसान नहीं है, लेकिन बयान से यह बात भी साफ हो गई है कि 2025 में कुछ सीटों पर भाजपा नीतीश कुमार से समझौता भी करने को तैयार है. चर्चाएं तो यह भी हो रही थीं कि चुनाव में नीतीश को सेंट्रल पॉलिटिक्स में भेज दिया जाएगा. बिहार में भाजपा अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन लोकसभा चुनाव का परिणाम आते ही हालात पूरी तरह से बदल गए हैं.

भाजपा की मजबूरी भी जानिए

एक्सपर्ट कहते हैं कि मजबूरी क्या होती है यह भाजपा से देखना चाहिए, प्रधानमंत्री के रोड शो में नीतीश के हाथ में कमल का चिन्ह थमा दिया गया था. आज स्थिति ऐसी है कि नीतीश ने कमल को ही काबू में कर लिया है. मृत्युंजय कुमार कहते हैं कि जब राजद और जेडीयू की सरकार थी तक कई बार बीजेपी अपने दम पर बिहार में 2025 में सरकार बनाने का दम भर रही थी. नीतीश जब एनडीए में आए तो भी भाजपा का यही प्लान था कि केंद्र में सत्ता आएगी तो नीतीश को कमजोर कर दिया जाएगा.

एक तरह से यह भाजपा का नीतीश के आगे सरेंडर है. यह भाजपा के लिए मजबूरी भी है क्योंकि भाजपा थोड़ा भी चालाकी करेगी तो नीतीश का गेम केंद्र से लेकर बिहार की सत्ता में खलल डाल सकता है.

अब बात 1996 से नीतीश के नेतृत्व की

साल 1994 में नीतीश कुमार ने कुर्मी सम्मेलन किया था. नीतीश के कुर्मी सम्मेलन से पहले लालू ने बड़ा सम्मेलन किया था. इसके बाद भाजपा के साथ अलायंस हुआ था. नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने पूरे बिहार की यात्रा की थी. 1996 लोक सभा चुनाव में समता पार्टी बीजेपी के साथ चुनाव लड़ी थी, समता पार्टी के नेता जार्ज फर्नांडीज और नीतीश कुमार थे, वह आठ सीट जीते थे. साल 2000 के पहले नीतीश कुमार और सुशील मोदी का संयुक्त प्रचार भी हुआ था. उस समय झारखंड भी बिहार में शामिल था.

मोदी और नीतीश की जॉइंट रैली होती थी, एक साल करीब यात्रा चली थी. साल 2000 में विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश चीफ मिनिस्टर बने और मोदी डिप्टी सीएम बन गए थे. सम्राट वही दौर को दुहराना चाह रहे हैं.

एक्सपर्ट आगे कहते हैं जहां तक सम्राट के बयान का मायने है तो इससे यही संदेश दिया जा रहा है कि नीतीश (Nitish Kumar Politics) को गार्जियन की भूमिका में लाना है. नीतीश के सामने अब अदब से रहना है. नीतीश को लेकर अब संयमित बयान देना है. पार्टी का अध्यक्ष अब पार्टी का स्टैंड बता रहा है.

भाजपा ने यह मान लिया है कि बिहार में नीतीश (Nitish Kumar Politics) ही ताकतवर है. यह स्टैंड भी क्लियर कर दिया है कि अब 2025 का चुनाव नीतीश के दम पर ही लड़ा जाएगा. नीतीश कुमार भी अब और मजबूत होते दिख रहे हैं. वह अपनी हर शर्त को ऐसे ही मनवाएंगे. केंद्र की बात हो या राज्य की नीतीश ऐसी स्थिति में हैं, वह जो चाहेंगे वह हो जाएगा.

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