इरडा ने एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है, जिसमें पॉलिसी (Life insurance Policy) कराने वाली कपंनियों को पहले पॉलिसी ईयर के बाद स्पेशल सरेंडर वैल्यू (Surrender Value ) का पेमेंट करने का आदेश दिया गया है. बशर्ते एक पूरे वर्ष का प्रीमियम प्राप्त हो गया हो.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI ऐसे जीवन बीमा पॉलिसी (Life insurance Policy) धारकों को बड़ी राहत दी है, जो किसी कारण वस बीमा के पहले साल में ही पॉलिसी सरेंडर करना चाहते हैं. इरडा ने सभी जीवन बीमा कंपनी से कहा है कि लाइफ इंश्योंरेस के पहले साल सरेंडर वैल्यू की सुविधा दें. पहले पॉलिसी के शुरुआती सालों में बीमा रद्द करने पर बीमाधारकों को कोई वैल्यू नहीं मिलती थी.
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1 साल के बाद पॉलिसी सरेंडर पर मिलेगी स्पेशल सरेंडर वैल्यू
बीमा नियामक ने एक मास्टर सर्कुलर जारी किया है, जिसमें पॉलिसी कराने वाली कपंनियों को पहले पॉलिसी ईयर के बाद स्पेशल सरेंडर वैल्यू (Surrender Value ) का पेमेंट करने का आदेश दिया गया है. बशर्ते एक पूरे वर्ष का प्रीमियम प्राप्त हो गया हो. इसके अलावा इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने अपने मास्टर सर्कुलर में कहा कि पांच साल से कम के लिमिटेड प्रीमियम पेमेंट टर्म वाली पॉलिसियों और सिंगल प्रीमियम पॉलिसियों के लिए , एसएसवी प्रथम पूर्ण-वर्ष के प्रीमियम या एकल प्रीमियम की प्राप्ति के तुरंत बाद देय होनी चाहिए.
पहले ये था नियम
बता दें कि पहले अगर कोई पॉलिसी होल्डर पॉसिसी खोलने के एक साल के अंदर सरेंडर करना चाहता था, तो उसे सरेंडर वैल्यू नहीं मिलती थी. ऐसा इसलिए था, क्योंकि पहले इरडा के नियम के अनुसार, 2 साल के बाद बीमा सरेंडर करने पर ही उसे कुल प्रीमियम का 30 फीसदी मिलता था.
जबकि 3 साल तक प्रीमियम भरने के बाद पॉलिसी सरेंडर करने पर कुल प्रीमियम का 35 प्रतिशत वैल्यू दी जाती थी. इसके अलावा 4 से लेकर 7 साल के बीच कोई पॉलिसी सरेंडर करने पर 50 प्रतिशत सरेंडर वैल्यू दी जाती थी. वहीं, पॉलिसी की समय अवधि पूरी होने से 2 साल पहले पॉलिसी रद्द करने पर बीमाधारकों कुल प्रीमियम का 90 फीसदी वैल्यू थी.
बीमा कंपनियों के मार्जिन पर पड़ेगा असर
बता दें कि नए लाइफ इंश्योरेंस नियमों के तहत पहले में लाभ भुगतान शुरू करने का प्रस्ताव है,जो जीवन बीमा कंपनियों के मार्जिन पर काफी असर डालेगा. हालांकि, कुछ बीमाकर्ताओं का मानना है कि इसका उतना प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि 85 प्रतिशत से अधिक पॉलसियां शुरुआती 1 वर्ष के बाद भी एक्टिव रहती हैं.