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Bihar Politics : विधानसभा चुनाव से पहले बिछने लगी राजनीति की बिसात, शाह मात के खेल में कुशवाहा नेता की बढ़ी डिमांड

जातियों के जोड़ तोड़ से चल रही बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में इस समय कोइरी जाति की पूछ बढ़ गई है. जिनमे मुख्य रूप से उपेन्द्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, श्री भगवान सिंह कुशवाहा और अभय कुशवाहा शामिल हैं. ये अलग बात है कि सभी अलग अलग दल से जुड़े हुवे हैं.

अति पिछड़े की तरह कुशवाहा (कोइरी) भी राजनीति के केंद्र में आ गए. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने सात कुशवाहा उम्मीदवार उतारा. जीत तो दो की ही हुई, लेकिन इसने पहले से चल रहे जातियों के समीकरण को उलट पलट कर रख दिया.


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बिहार में कुशवाहा की आबादी छह प्रतिशत

जातीय गणना की रिपोर्ट के अनुसार, यादव के बाद कुशवाहा आबादी में दूसरे स्थान पर हैं. जाति आधारित गणना में कुशवाहा की आबादी छह प्रतिशत से अधिक बताई गई है. यह आबादी आगामी विधानसभा चुनाव में राजद के माय (MY) समीकरण से जुड़ जाती है तो एनडीए को भारी नुकसान होगा. इसकी भरपाई के लिए एनडीए भी पहला कदम उठ चुका है.

फिलहाल बिहार में राज्यसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट रिक्त है. ये तीनों एनडीए के खाते में जा रही हैं. इनमें एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट पर कुशवाहा उम्मीदवार हो सकते हैं. वैसे एनडीए से कुशवाहा की दूरी 2020 के विधानसभा चुनाव के समय ही नजर आ गई थी. तब उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, महागठबंधन के साथ थी. मगर अब सब कुछ ठीक हैं.

अभय कुशवाहा की बढ़ी अहमियत

राजद ने नवनिर्वाचित सांसद अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाकर एनडीए पर और दबाव बढ़ा दिया है. अब एनडीए भरपाई की कोशिश में है. क्योंकि 2005 से विधानसभा के पिछले चुनाव तक यही माना जा रहा था कि कुशवाहा एकमुश्त एनडीए के साथ है. मगर एनडीए (NDA) इस बात से परेशान है की लोकसभा की तरह विधानसभा चुनाव में भी कुशवाहा वोटरों ने बेरुखी दिखाई तो क्या होगा?

राज्यसभा भेजे जाएंगे उपेंद्र कुशवाहा

2020 में 16 कुशवाहा विधायक बने, जिनमें नौ महागठबंधन के दलों के थे. एनडीए के घटक दलों-भाजपा और जदयू के क्रमशः चार और तीन विधायक जीते. उसके बाद एनडीए नेतृत्व ने भरपाई का प्रयास किया. उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से जुड़े. और जदयू ने उन्हें विधान परिषद में भेजा. बाद में उपेंद्र जदयू से अलग हो गए. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नाम से नई पार्टी बनाई और एनडीए के घटक बने है. फिलहाल 2024 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद एनडीए उपेन्द्र कुशवाहा को अब राज्यसभा भेजने की तैयारी जुटी है. जो कि लगभग तय ही हैं.

सम्राट चौधरी की बढ़ी हैसियत

बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में मिनटों में खेल बदलने वाले नीतीश कुमार को जातियों की राजनीति करने में महारथ हासिल हैं. ये एक ऐसे नेता है जो आने वाले 6 महीनों कि प्लानिंग पहले ही कर लेते है. जिसका उदाहरण उमेश कुशवाहा हैं जिन्हे वह पहले से ही जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बैठा रखे हैं. इसके बाद बिहार की राजनीति में कुशवाहा जाति को लेकर ये असर हुवा कि भाजपा ने भी कुशवाहा कार्ड खेलते हुवे सम्राट चौधरी को नेतृत्वकारी टीम में शामिल किया. बारी-बारी से वे विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री बनाए गए.

श्री भगवान कुशवाहा बनेंगे MLC

बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने में अभी 6 महीने बाकी है. इस बीच राजद ने कुशवाहा जाति को वरीयता देते हुवे सांसद अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाकर फिर से खलबली मचा दी हैं. मगर इस खेल में जेडीयू कहा पीछे रहने वाली हैं. लगे हाथ नीतीश कुमार ने भी अपने पुराने नेता और पूर्व मंत्री श्री भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद भेजने का ऐलान कर दिया हैं.

आपको बता दें कि उपेन्द्र कुशवाहा स्वयं अपनी पार्टी ( राष्ट्रीय लोक मोर्चा) के मुखिया है. तो सम्राट चौधरी भाजपा नेता है जो प्रदेश अध्यक्ष से प्रमोशन के बाद फिलहाल उनकी पार्टी ने उन्हे बिहार का डिप्टी सीएम बनाया हैं. बात श्री भगवान कुशवाहा की करें तो बिहार की राजनीति में इनका अपना रसूख हैं. वह कई बार पार्टियां बदल चुके है फिलहाल जेडीयू में घर वापसी कर चुके हैं. वही अभय कुशवाहा जेडीयू से नाता तोड़ राजद से लोकसभा सीट पर औरंगाबाद से सांसद निर्ववचित हुवे हैं.

तीन जातियों को मिलाकर बना था त्रिवेणी संघ

वर्ष 1934 में कोइरी, कुर्मी और यादव जाति को मिलाकर त्रिवेणी संघ बना था. बिहार के संदर्भ में त्रिवेणी संघ में शामिल यादव और कुर्मी को राज्य की गद्दी मिल गयी. अभी कुशवाहा को बिहार की सत्ता चलाने का अवसर नहीं मिला है. तब से अब तक कुशवाहा समाज में राजनीतिक भागीदारी की कवायद चल रही है.

बिहार के सियासी (Bihar Politics) दाव पेच के बाद उभरे उपेन्द्र कुशवाहा, सम्राट चौधरी, श्री भगवान सिंह कुशवाहा और अभय कुशवाहा ऐसे नेता बन चुके है जो आगामी विधानसभा चुनाव में कुशवाहा जाति को गोलबंद करने में अहम भूमिका निभा सकते है. इस कारण ईनपर सभी दलों की नजर टिकी हुई हैं. और यही वजह है कि कुशवाहा की पुछ दिनों दिन लगातार बढ़ती ही जा रही हैं.

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