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Property Mutation : क्या रजिस्ट्री करते ही आपकी हो जाती है प्रॉपर्टी ? या ये काम भी करना होता है जरूरी

हर किसी का सपना होता कि उसका एक अपना घर या फिर खुद की कोई प्रॉपर्टी हो. अगर आपने भी हाल ही में खुद का मकान या फिर प्रॉपर्टी खरीदी है तो उसकी सिर्फ रजिस्ट्री कराना ही काफी नहीं है. बल्कि उस प्रॉपर्टी का म्यूटेशन (Property Mutation) यानी दाखिल-खारिज भी कराना अति आवश्यक होता हैं.

जी हां, हम बात कर रहे हैं म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी की. ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि जमीन की रजिस्ट्री हो जाने के बाद खरीदने वाला उसका मालिक हो जाता है, लेकिन रजिस्ट्री के बाद भी आपको म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी कराना बहुत जरूरी है.


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आखिर क्या होता है म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी?

म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी (दाखिल-खारिज) का मतबल है कि जब सरकारी रिकॉर्ड में ओनरशिप डीटेल्स को अपडेट करने का प्रोसेस कंप्लीट किया जाता है. प्रॉपर्टी म्यूटेशन (Property Mutation)बेचने वाले से खरीदार तक ओनरशिप के ट्रांसफर की कानूनी मान्यता का दस्तावेज होता है. इसमें हेरीटेज, गिफ्ट, सेल्स, डिवाइडेशन, या प्रॉपर्टी ट्रांसफर के किसी दूसरे कानूनी साधन के कारण प्रॉपर्टी की ओनरशिप में बदलाव को दर्शाने के लिए रिकॉर्ड में बदलाव किया जाता है.

क्यों म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी है जरूरी?

इस बात का ध्यान रखें कि केवल रजिस्‍ट्री कराने से ही आप जमीन के पूरे मालिक नहीं बन जाते हैं. न ही आपके पास उस प्रॉपर्टी के पूरे अधिकार आ जाते हैं. रजिस्‍ट्री केवल ओनरशिप के ट्रांसफर का डॉक्‍यूमेंट ही है न कि ओनरशिप का. रजिस्‍ट्री कराने के बाद जब आप उस रजिस्‍ट्री के आधार पर म्यूटेशन (Property Mutation) करा लेते हैं. तब आप पूर्ण रूप से उस संपत्ति के मालिक बन जाते हैं. इसलिए कभी भी अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो केवल रजिस्‍ट्री कराकर ही निश्चिंत न हो जाएं. उस प्रॉपर्टी का म्यूटेशन भी जरूर करवाएं.

यह है म्यूटेशन से जुड़ा हुआ नियम

म्यूटेशन करने के नियम और समय अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग ही हैं. कुछ राज्‍यों में म्यूटेसन रजिस्‍ट्री होने के 45 दिनों बाद तक कराया जाता है. प्रॉपर्टी म्यूटेशन मालिकाना हक टैक्स रिकॉर्ड का कंनफर्मेशन है. प्रॉपर्टी का म्यूटेशन न कराने पर प्रॉपर्टी टैक्स भरने में भी आपको परेशानी हो सकती है.

अगर भविष्य में प्रॉपर्टी बेचते हैं तो खरीदार आपसे म्यूटेशन पेपर्स जरूर चेक करेगा. इन्हें न दिखाने पर प्रॉपर्टी बेचने में दिक्कत भी होगी. इसके अलावा प्रॉपर्टी का म्यूटेशन न कराने से धोखाधड़ी का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में प्रॉपर्टी खरीदते समय आपको सबसे ज्यादा ध्यान रजिस्ट्री के कागजों पर रखने के साथ-साथ म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी पर भी रखना चाहिए.

प्रॉपर्टी का म्यूटेशन करने के फायदे

अगर आप प्रॉपर्टी का म्यूटेशन (Property Mutation) कराते हैं तो आपको कई सुविधाएं मिलती हैं. इन सेवाओं में यूटिलिटी कनेक्शन जैसे पानी, बिजली, गैस प्राप्त करना, सब्सिडी या अनुदान प्राप्त करना आदि. आप प्रॉपर्टी के अगेन्स्ट लोन ले सकते हैं. लोकल एडमिनिस्ट्रेशन एक्टिविटीज में भी आपके लिए भाग लेना आसान हो जाएगा.

म्यूटेशन रिकॉर्ड ओनरशिप के प्रूफ के तौर पर करते हैं और खरीदार को प्रॉपर्टी के मालिक के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम बनाते हैं. इसके अलावा कभी भी किसी संपत्ति को आप सेल डीड के माध्यम से खरीदते हैं या फिर किसी अन्य साधन से अर्जित करते हैं तो उस डॉक्यूमेंट के साथ संबंधित ऑफिस पर उपस्थित होकर संपत्ति का म्यूटेशन करवा लेना चाहिए.

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