अक्सर अपने निर्णायक फैसले से सियासत की गलियों में हलचल मचाने वाले जेडीयू सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर एक बार फिर से सबकी नजरे टिकी हुई हैं. आपको बता दें कि दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब मे 29 जून को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने वाली हैं. उसी दिन पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की भी बैठक होगी.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सुबह 11 बजे से होनी है. तय कार्यक्रम के अनुसार, सुबह 10 बजे से राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक होगी. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) शुक्रवार को इन बैठकों में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना होंगे.
ये भी पढ़ें…
- Bihar Politics : BJP और JDU नेताओं के अनर्गल बयान, क्या विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार को साइड करने का प्लान
- Bihar Politics News : सियासी अखाड़ें में सीएम नीतीश के बेटे को लाने की तैयारी, जाने क्या कहा जेडीयू के नेताओ ने
नीतीश कुमार ले सकते हैं बड़ा फैसला
दिल्ली में हो रही जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को पार्टी के लोगों द्वारा रुटीन प्रक्रिया बताया जा रहा हैं. मगर इस बैठक को लेकर बिहार से लेकर दिल्ली तक हलचल तेज हैं. वो ये कि इसके पहले जब जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई उनमे पार्टी को हमेशा से एक नया नेतृत्व मिला हैं.
वही पहली बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने आरसीपी सिंह (RCP Singh) को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. तो दूसरी बार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपी तो तीसरी बार ललन सिंह (Lalan Singh) की जगह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को ही पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंप दी.
क्या नया अध्यक्ष चुना जायेगा ?
अध्यक्ष के लिहाज से पार्टी में बहुत ज्यादा दावेदार नहीं हैं. ललन सिंह मंत्री बन चुके हैं. संजय झा राज्यसभा में संसदीय दल के नेता हैं. दोनों सवर्ण समाज से आते हैं. एक व्यक्ति एक पद की परिभाषा के चलते ललन सिंह अध्यक्ष नहीं बनेंगे. वैसे भी विधानसभा के लिहाज से अब जो सोशल इंजीनियरिंग विपक्ष कर रहा है उसमें जेडीयू में सवर्ण अध्यक्ष फिट नहीं बैठेगा. इस लिहाज से संजय झा भी अध्यक्ष की रेस से आउट दिख रहे हैं।
अति पिछड़ी जाति से आने वाले रामनाथ ठाकुर एक दावेदार पिछली बार माने जा रहे थे. अब वो भी मंत्री हैं। ऐसे में अब रेस में वो भी नहीं हैं. अब जो चर्चा हो सकती है वो हो सकती है नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार की. कौशलेंद्र कुर्मी जाति से आते हैं जो जेडीयू का आधार वोट बैंक है. कौशलेंद्र मजबूत दावेदार हो सकते हैं. पहले भी आरसीपी सिंह इस जाति के अध्यक्ष थे. औ वो भी नालंदा से ही थे. कौशलेंद्र के खिलाफ जो बात जाती है वो ये है कि वो संगठन के आदमी नहीं हैं. उनका मास कनेक्शन नहीं है. ऐसे में एक नया नाम जो तेजी से चर्चा में है वो नाम है मनीष वर्मा का
कौन हैं मनीष वर्मा ?
मनीष वर्मा नीतीश कुमार के सलाहकार हैं. कुर्मी जाति के हैं और नालंदा के रहने वाले हैं. मनीष वर्मा लोकसभा चुनाव में सक्रिय थे. और इकलौते ऐसे जेडीयू नेता थे जो जेडीयू के हर उम्मीदवारों के क्षेत्र में गए और वहां जाकर रणनीति बनाई. बात की और अपना समीकरण तैयार किया. मनीष चुनाव बाद भी घूम रहे हैं. ऐसे में इनको मजबूत दावेदार और नीतीश कुमार के उतराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है. मनीष आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. अभी बिहार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है. मनीष अभी संगठन में किसी पद पर नहीं हैं. लेकिन संगठन के जरिए पार्टी की कमान सौंपे जाने की गुंजाइश है.
नीतीश अपना पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखना चाहते हैं
मनीष वर्मा को नीतीश अगर डायरेक्ट अध्यक्ष नहीं भी बनाते हैं तो कार्यकारी अध्यक्ष या फिर संगठन महासचिव बनाकर पार्टी सौंप सकते हैं. आरसीपी सिंह को भी पहले उन्होंने संगठन महासचिव बनाया था बाद में अध्यक्ष. बहुत मुमकिन है कि मनीष वर्मा को इसी बार नीतीश राज्यसभा भी भेज सकते हैं. मनीष वर्मा को अहम जिम्मेदारी देकर नीतीश अपना कंट्रोल पार्टी पर बनाए रख सकते हैं. जातीय समीकरण भी सधेगा और पार्टी में कोई विरोध भी नहीं होगा.