लोकसभा चुनाव के बाद अब बिहार (Bihar Politics) बीजेपी में बड़े फेरबदल की तैयारी शुरू हो गई है. पार्टी सूबे में अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल सकती है.
सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) प्रदेश अध्यक्ष के साथ राज्य के डिप्टी सीएम भी हैं. एक व्यक्ति एक पद के नियम के कारण उनका इस्तीफा तय माना जा रहा है. फरवरी में ही उनके इस्तीफा की चर्चा थी, लेकिन चुनाव के कारण फेरबदल का जोखिम पार्टी ने नहीं लिया. अब चुनाव बीत जाने के बाद एक बार फिर से प्रदेश नेतृत्व में फेरबदल की बात की चर्चा तेज हो गई है.
जिस कुशवाहा वोटर्स को लुभाने के लिए पार्टी ने उन्हें ये जिम्मेदारी दी थी. उसमें वे पूरी तरह फेल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ लालू यादव एनडीए के इस कोर वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल रहे हैं. यही कारण है कि चुनाव के तुरंत बाद बीजेपी का एक बड़ा धड़ा अब सम्राट चौधरी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहा है.
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पार्टी के भीतर शुरू हुआ सम्राट का विरोध
अश्विनी चौबे (Ashwini Choubey) ने हाल ही में खुल कर सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) की मुखालफत की हैं. वे सम्राट चौधरी को आयातित माल बता चुके हैं. चौबे लगातार ये मांग कर रहे हैं कि अध्यक्ष का पद उसी व्यक्ति को मिलना चाहिए जो मूल रूप से संगठन यानी संघ का का हो. इसके पहले पार्टी के पूर्व सांसद हरि मांझी (Hari Manjhi) भी सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) को लोकसभा के प्रदर्शन का जिम्मेदार (Bihar Politics) ठहरा चुके हैं. माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर एक बड़ा धड़ा है जो सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) का संगठन में विरोध कर रहा है.
संगठन में नए अध्यक्ष पर चिंतन मनन शुरू
बीजेपी सूत्रों की माने तो बिहार बीजेपी विधानसभा का चुनाव नए प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ने पर विचार कर रही है. चुनाव अभी डेढ़ साल दूर है, ऐसे में नए अध्यक्ष के पास अपनी टीम के गठन और तैयारी का पर्याप्त वक्त भी होगा. इसे लेकर सियासी गलियारे में कई नामों की चर्चा है. इनमें सबसे ऊपर संजीव चौरसिया (Sanjeev Chaurasia) और जनक चमार (Janak Chamar) का नाम है. हालांकि ऑन रिकॉर्ड पार्टी के कोई नेता फिलहाल इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
संजीव चौरसिया- संघ (RSS) के करीबी
संजीव चौरसिया (Sanjeev Chaurasia) का नाम संघ से जुड़ा है. 2015 से वे लगातार दो बार दीघा से विधायक रहे हैं. उनके पिता गंगा प्रसाद को बिहार बीजेपी (BJP) का फाउंडर मेंबर माना जाता है.
वे सिक्किम के राज्यपाल भी रह चुके हैं. संघ में पैठ के साथ चौरसिया के पास संगठन का अनुभव है. चौरसिया संगठन में उपाध्यक्ष, महामंत्री, सचिव के पद पर रह चुके हैं. वही चौरसिया (Sanjeev Chaurasia) अतिपिछड़ा वर्ग से आते हैं तो इस लिहाज से भी ये इस पद के लिए फिट बैठते हैं. ऐसे में इन्हें चुनाव से ठीक पहले अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
जनक राम -भाजपा का दलित चेहरा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिस दूसरे नाम की चर्चा तेजी से हो रही है, वो जनक चमार (Janak Chamar) का है. इनके पास भी फिलहाल दो पद है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति विभाग के मंत्री के साथ ये फिलहाल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता भी हैं. जनक चमार (Janak Chamar) की गिनती भाजपा (BJP)के दलित चेहरे के रूप में होती है.
पार्टी लोकसभा से राज्यसभा और राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक में सवर्ण, पिछड़ा और अतिपछड़ा के साथ कुशवाहा को सेट कर चुकी है. लगभग 20 फीसदी से ज्यादा आबादी वाले दलित का प्रतिनिधित्व फिलहाल पार्टी की तरफ से संतोषजनक तरीके से नहीं दिया गया है. जनक राम (Janak Chamar) पिछले 11 वर्षों में दो बार नीतीश कैबिनेट (Nitish cabinet) में मंत्री बन चुके हैं. एक बार गोपालगंज से सांसद रह चुके हैं. ऐसे में इनके पास सरकार से लेकर संगठन तक में काम करने का अनुभव है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष के बदलने के बाद फैसला संभव
प्रदेश स्तर पर बदलाव से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के बदले जाने की चर्चा है. नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाने के बाद ही प्रदेश में बदलाव की बात कही जा रही है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है. उन्हें केंद्र में हेल्थ मिनिस्टर की जिम्मेदारी दी चुकी है. ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) का बदलना तय माना जा रहा है. इसके बाद बिहार समेत कई चुनावी राज्यों (Bihar Politics) के प्रदेश नेतृत्व के बदलाव के आसार हैं.