उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को कुछ ऐसा कहा, जिसके सियासी मायने (Up Politics Crises) निकाले जा रहे हैं और इससे राज्य में पार्टी के भीतर असंतोष की अटकलों को बढ़ावा मिला है. बुधवार शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की है.
इससे पहले केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी एक पोस्ट में कहा, “संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है, संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है.” मौर्य के बयान और बीजेपी में चल रहे बैठकों के दौर के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस सारे घटनाक्रम पर टिप्पणी की है.
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दरअसल केशव प्रसाद मौर्य ने रविवार को लखनऊ में बीजेपी वर्किंग कमेटी की बैठक को संबोधित किया था.सोशल मीडिया पर केपी मौर्य की जिस पोस्ट पर चर्चा हो रही है, उसके शब्द रविवार के संबोधन से ही लिए गए हैं.केशव प्रसाद मौर्य ने उस बैठक में कहा था कि संगठन, सरकार से बड़ा होता है और हमेशा बड़ा ही रहेगा.
उन्होंने लिखा, “मेरे आवास- 7, कालिदास मार्ग के दरवाज़ें सभी के लिए खुले हुए हैं. मैं उप मुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले मैं एक कार्यकर्ता हूं.” साथ ही उन्होंने सभी विधायकों, मंत्रियों और जन-प्रतिनिधियों से पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान करने के लिए कहा था.
जेपी नड्डा से मुलाकात
सोशल मीडिया पर केशव प्रसाद मौर्य की जिस पोस्ट के बाद अटकलों को हवा मिली, उसके पीछे एक वजह पोस्ट की टाइमिंग भी है. इस पोस्ट से एक दिन पहले ही केशव प्रसाद मौर्य ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. ये मुलाकात ऐसे समय हुई थी, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके बीच कथित मतभेदों की ख़बरें पहले से ही सुर्ख़ियों में थीं. वैसे इस मुलाकात के बारे में भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ से या केशव प्रसाद मौर्य की ओर से कुछ भी नहीं कहा गया. उत्तर प्रदेश में (Up Politics Crises) पार्टी के वरिष्ठ मंत्री और नेताओं ने भी इस बारे में चुप्पी साध रखी है.
दिल्ली और लखनऊ में खींचतान?
इस बारे में उत्तर प्रदेश की राजनीति (Up Politics Crises) को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने बीबीसी के सहयोगी संदीप सोनी को बताया, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली केंद्रीयकृत रही है, उसमें वो अपने अलावा संगठन या मंत्रिमंडल में किसी को महत्व नहीं देते हैं. लोग अब तक सह रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि योगी से चुनाव में लाभ मिलेगा.”
उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें घटी हैं और इस वजह से लोग मुखर हो गए हैं. लगता है कि ऐसे लोगों का नेतृत्व केशव प्रसाद मौर्य कर रहे हैं. साल 2017 मौर्य बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और उन्हीं की अध्यक्षता में पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी.
रामदत्त त्रिपाठी के मुताबिक, “माना जाता है कि जो कुछ हो रहा है उसमें कहीं ना कहीं पार्टी हाईकमान का भी हाथ है, माना यही जाता है कि केशव प्रसाद मौर्य हो या भूपेंद्र चौधरी, उन्हें दिल्ली से ही बढ़ावा मिलता है.