वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को केंद्रीय बजट पेश किया. इसमें सरकार ने नई पेंशन योजना (NPS) ‘वात्सल्य’ (NPS Vatsalya Scheme) का एलान किया है. योजना के मुताबिक अब माता-पिता और अभिभावक अपने नाबालिग बच्चों के नाम पर इस योजना में निवेश कर सकेंगे. नाबालिग बच्चों के वयस्क होने पर उनके खाते को सामान्य एनपीएस खाते में परिवर्तित कर दिया जाएगा. इस योजना से युवाओं का वित्तीय भविष्य सुरक्षित होगा.
एनपीएस वात्सल्य योजना की शुरुआत
एनपीएस वात्सल्य योजना (NPS Vatsalya Scheme) की शुरुआत अभी नहीं हुई है. बजट में सिर्फ एलान किया गया है. सरकार का कहना है कि जल्द ही योजना को शुरू किया जाएगा. एनपीएस वात्सल्या योजना नाबालिगों की एक योजना है, जिसमें माता-पिता योगदान कर सकते हैं. इस योजना के तहत बच्चे के 18 साल के होने पर सामान्य एनपीएस में बदल दी जाएगी. एनपीएस को केंद्र सरकार ने शुरू किया है, ताकि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन प्राप्त हो सके.
हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए 2009-10 से ही एक केन्द्र प्रायोजित योजना “मिशन वात्सल्य” यानी बाल संरक्षण सेवा योजना शुरू की है.
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क्या है एनपीएस?
एनपीएस एक टैक्स सेविंग स्कीम है. इस योजना के मुताबिक 18 से 60 साल के बीच कोई भी व्यक्ति अपना एनपीएस खाता देश के किसी भी बैंक में खोल सकता है. 60 साल की उम्र के बाद निवेशक को धनराशि का एक हिस्सा मिलता है. जबकि दूसरा हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलता है. अभी तक कोई भी नाबालिग इस योजना में निवेश नहीं कर सकता था. मगर अब वात्सल्य के तहत नाबालिग के नाम पर भी माता-पिता निवेश कर सकेंगे. पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) एनपीएस को रेगुलेट करती है.
एनपीएस में होते हैं दो तरह के खाते
एनपीएस की शुरुआत सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए की गई थी. हालांकि 2009 में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी इसका लाभ दिया गया है. इस योजना में टियर-1 और टियर-2 के तहत निवेश किया जा सकता है. टियर-1 को रिटायरमेंट खाता और टियर-2 को वॉलंटरी खाता कहा जाता है.
हर साल निवेश करना जरूरी
एनपीएस वात्सल्य योजना (NPS Vatsalya Scheme) क तहत जब आप खाता खुलवाते हैं तो टियर-1 में 500 रुपये और टियर-2 में 1000 का निवेश करना होता है. एनपीएस एक नियमित निवेश योजना है. इसमें हर साल योगदान देना अहम है. सेवानिवृत्त होने पर निवेश राशि का 60 फीसदी हिस्सा एकमुश्त मिलता है. वहीं बाकी बचा 40 फीसदी हिस्सा पेंशन स्कीम के तहत मिलता है.