आम बजट में 24 हजार करोड़ रुपये के तीन एक्सप्रेस-वे (Vaishali Bodhgaya Expressway) का उपहार बिहार को मिला है. इनमें से एक बुद्ध सर्किट को जोड़ेगा. बोधगया से इस एक्सप्रेस-वे के माध्यम से बौद्ध मतावलंबी (श्रद्धालु) शीघ्र और सुगमता से वैशाली पहुंच सकते हैं.
ये योजना वैशाली के विकास के लिए अहम कड़ी साबित होगी. वर्ष 2010 के जनवरी महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने तीन दिवसीय वैशाली प्रवास में ऐतिहासिक अभिषेक पुष्करणी पोखर के किनारे जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी थीं और इस क्षेत्र के विकास वादा किया था.
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उसके बाद पोखर की लोहे से घेराबंदी की गई. तीन बार मनरेगा योजना से चारों ओर पौधे लगाए गए. विद्युतीकरण भी किया गया. हालांकि पौधे सूख गए, स्ट्रट लाइट जलती नहीं, ऐसे में केंद्रीय बजट में की गई घोषणा से यहां के विकास की उम्मीद जगी है. वैशाली को बौद्ध सर्किट से जोड़ने का रास्ता 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खोला था.
हाजीपुर-सुगौली रेल परियोजना
वैशाली को रेलमार्ग से जोड़ते हुए हाजीपुर-सुगौली रेल परियोजना (Vaishali Bodhgaya Expressway) की नींव डाली गई थी. हालांकि, 20 वर्षों बाद भी यह रेल परियोजना पूरी नहीं हो सकी है. 2020 से हाजीपुर से घोसवर होते हुए वैशाली तक ट्रेन चलने लगी. बाद में इसका विस्तार पारू तक कर दिया गया है.
बुद्ध स्मृति स्तूप का निर्माण
वैशाली में बुद्ध स्मृति स्तूप और बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण चल रहा है. लगभग 72 एकड़ में बन रहे इस परियोजना की अनुमानित लागत 301 करोड़ रुपये थी. इसके लिए वर्क ऑर्डर मार्च 2019 में जारी हुआ था, अक्टूबर 2021 में इसे पूरा करने की अंतिम समय सीमा थी, लेकिन कोरोना संकट के कारण विलंब हुआ. यहां बुद्ध के अवशेष रखे जाएंगे. स्वाभाविक है, इस भव्य संग्रहालय के निर्माण के बाद यहां विश्व भर के बौद्ध देशों के श्रद्धालु एवं अन्य देशों के पर्यटक आएंगे. अब यह स्थल बोधगया से सीधे जुड़ जाएगा तो वहां आने वाले पर्यटक सहजता से वैशाली आ सकेंगे.