बिहार में अगस्त महीने में सर्वे (Bihar Jamin Survey) का काम शुरू हुआ है. बीस अगस्त से शुरू हुई इस प्रक्रिया में किसानों और रैयतों को कभी बातों को समझने में दिक्कत हो रही है. दूसरी बात ये है कि अधिकारियों की ओर से उनसे कई कागजात की मांग की जा रही है. किसानों और रैयतों को कागजात जमा करने के लिए समय भी दिया जा रहा है. बिहार के 45 हजार गांवों में सर्वे की प्रक्रिया जारी है.
इस बीच जमीन पर हक जताने वाले कागजों की मांग ग्रामीणों से की जा रही है. इसमें सबसे ज्यादा जो महत्वपूर्ण है, वो है जमीन का खतियान. यदि जमीन पुश्तैनी है. उसके अलावा वो पूर्वजों जैसे- परदादा, दादा और पिताजी के नाम से है. वैसे रैयतों को खतियान जमा करना जरूरी बताया जा रहा है. इसी से जमीन पर मालिकाना हक को साबित किया जा सकता है. खतियान को राजस्व कर्मी भी मान रहे हैं. कुल मिलाकर खतियान रहने से काम आसान हो जा रहा है.
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रैयतों में बेचैनी
कई गांव के ग्रामीणों की मानें, तो वे लोग लगातार जमीन सर्वे (Bihar Jamin Survey) को लेकर जिला प्रशासन के राजस्व एवं अभिलेखागार कार्यालय में दौड़ लगा रहे हैं. इसे हासिल करने में रैयतों को पसीने छूट जा रहे हैं. इन दिनों सभी जिलों के अंचल कार्यालय में भी भीड़ देखी जा रही है. इतना ही नहीं रिकॉर्ड रूम में रखे गए खतियान की प्राप्ति के लिए जिला रिकॉर्ड रूम में लोग वहां तैनात कर्मचारियों से गुहार लगाते दिख रहे हैं.
दूसरी सबसे बड़ी बात जो निकलकर सामने आई है कि सर्वे को लेकर कुछ लोगों ने अपना धंधा शुरू कर दिया है. वे लोग दलाली लेकर लोगों को खतियान दिलाने का काम कर रहे हैं. कई दलाल अनुमंडल कार्यालय में पैसे लेकर रिकॉर्ड खतियान और खाता-खेसरा के साथ बाकी डिटेल देने के नाम पर पैसे ऐंठ रहे हैं.
ऐसे मिलेगा खतियान
हम आपको बताते हैं कि आप अपने पैतृक जमीन के खतियान को कैसे निकाल सकते हैं. इसके लिए किसी को पैसे देने की जरूरत नहीं है. इसके लिए आपको दलालों के चक्कर में भी पड़ने की जरूरत नहीं है. आपकी तमाम जमीनों (Bihar Jamin Survey) के खतियान जिले के रिकॉर्ड रूम में उपलब्ध हैं. आपको वहां पहुंच कर रिकॉर्ड रूम के कर्मचारी से संपर्क करना है.
उसके सहयोग से जमीनों का खाता, खेसरा और थाना नंबर देकर चिरकूट के लिए फाइल करना है. चिरकुट में दर्ज खाता खेसरा से कर्मचारी आपकी जमीन का खतियान खोज देंगे. जिसका पक्का नकल आपको आसानी से मिल जाएगा. इन दिनों लगातार लोग खतियान की कॉपी निकालने के लिए दर्जनों चिरकुट फाइल कर रहे हैं.
लोगों में भ्रम की स्थिति
उधर, राजस्व कर्मियों की मानें, तो कई मामलों में लोगों में भ्रम की स्थिति है. कई लोग मृत्यु प्रमाण पत्र के चक्कर में फंस गए हैं. कई लोग बेवजह का एफिडेविट करा रहे हैं. ऐसा नहीं करना होता है. खतियान लेने के लिए जिला प्रशासन और अनुमंडल कार्यालय में काफी भीड़ लग रही है. सर्वे के टेंशन से लोगों की नींद उड़ गई है.
कार्यालय खुलते ही लोगों की भीड़ गेट पर जमा हो जा रही है. निबंधन कार्यालय और जिला अभिलेखागार कार्यालय से कागजात निकालने के लिए जुटी भीड़ में वैसे लोग ज्यादा शामिल हैं, जो काफी गरीब हैं किसान हैं. वहीं अन्य प्रदेशों में जॉब करने वाले लोग भी भाग कर बिहार पहुंचे हैं. वे लोग भी अपना खतियान निकालने के प्रयास में जुटे हुए हैं.
पट्टीदार के नाम पर जमीन
सबसे बड़ी दिक्कत ये भी सामने आ रही है कि कई लोगों की जमीन उनके परिवार के नाम नहीं होकर उनके पट्टीदार के नाम पर ही रह गया है. फिर उनके नाम से 1919 में सर्वे हो गया. अब उस जमीन पर मालिकाना हक साबित करने के लिए लोगों को वंशावली के अलावा अमीन शेड्यूल , मृत पिता और दादा की मृत्यु का प्रमाण पत्र और नया पुराना सर्वे (Bihar Jamin Survey) खतियान निकालना पड़ रहा है.