केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मराठी, पाली (Pali Language), प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया. मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर पीएम मोदी ने बधाई दी. उन्होंने कहा कि मराठी भारत का गौरव है.
भारत की सबसे प्राचीन भाषा है पाली
पालि (Pali Language) भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात भाषाओं में एक है जिसे भारत की सबसे प्राचीन ज्ञात लिपि ब्राम्ही लिपि में लिखा जाता था. इसका प्रमाण सम्राट अशोक के शिलालेखों और स्तंभों से प्राप्त होता है. बुद्धकाल में पालि भाषा भारत के जनमानस की भाषा थी. तथागत बुद्ध ने अपने उपदेश पालि में ही दिए है.
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‘पाली और मराठी भारत का गौरव’
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, पाली (Pali Language) और मराठी भारत का गौरव है. इस अभूतपूर्व भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर बधाई. यह सम्मान हमारे देश के इतिहास में मराठी के समृद्ध सांस्कृतिक योगदान को मान्यता देता है. मराठी हमेशा से भारतीय विरासत की आधारशिला रही है. मुझे यकीन है कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से और भी कई लोग इसे सीखने के लिए प्रेरित होंगे.’
अश्विनी वैष्णव ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘सरकार ने मराठी, पाली (Pali Language) , प्राकृत, असमी और बंगाली को शास्त्रीय भाषा (क्लासिकल लैंग्वेज) का दर्जा देने का फैसला किया है.’ उन्होंने कहा कि लिंग्विस्टिक एक्सपर्ट्स की कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर इन भाषाओं को चुना गया. उन्होंने कहा, ‘इन भाषाओं में 1500 से 2000 साल तक का लिटरेचर है, कंटीन्यूटी है, पुराने इंस्क्रिप्शन हैं और ओरल ट्रेडिशन भी है. इन सबका ध्यान रखकर फैसला किया गया.’
‘यह एक ऐतिहासिक निर्णय है और यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए सरकार के हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने, हमारी विरासत पर गर्व करने और सभी भारतीय भाषाओं तथा हमारी समृद्ध विरासत पर गर्व करने के दर्शन के अनुरूप है.’ सरकार ने कहा कि शास्त्रीय भाषाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में काम करती हैं, तथा प्रत्येक समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सार को प्रस्तुत करती हैं.
क्या है शास्त्रीय भाषा?
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को ‘शास्त्रीय भाषा’ के रूप में भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया तथा उसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 2013 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था जिसमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था. इस प्रस्ताव को भाषा विज्ञान विशेषज्ञ समिति (एलईसी) को भेज दिया गया था. एलईसी ने शास्त्रीय भाषा के लिए मराठी की सिफारिश की.
महाराष्ट्र चुनाव से पहले बड़ा फैसला
महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह राज्य में एक बड़ा चुनावी मुद्दा था. महाराष्ट्र सरकार ने 2013 में मराठी के लिए प्रस्ताव दिया था. इसके बाद बिहार, असम और वेस्ट बंगाल की ओर से पाली, प्राकृत, असमी और बंगाली के लिए प्रस्ताव आए थे. केंद्र सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को क्लासिकल लैंग्वेज की एक नई कैटेगरी बनाई थी और तब तमिल को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था. 2005 में संस्कृत को यह दर्जा मिला। इनके अलावा अब तक मलयालम, ओडिया, तेलुगु और कन्नड़ को भी यह दर्जा दिया जा चुका है.