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Bihar Jamin Sarvey : जमीन का कोई दस्तावेज नहीं है, जमीन खरीदी लेकिन दाखिल खारिज नहीं की, जाने अब क्या होगा

बिहार में 4 महीने से जारी जमीन सर्वे (Bihar Jamin Sarvey) में लोगों के बीच भ्रम फैला हुआ है. इस कारण सर्वे की गति आगे नहीं बढ़ पा रही है. आए दिन लोगों के बीच आपसी विवाद की सूचना आ रही है. यह देखते हुए मंगलवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने लोगों के बीच फैले इसी भ्रम को दूर करने के लिए जमीन पर अधिकार (स्वामित्व) से जुड़े आम सवालों के जवाब के साथ अधिसूचना जारी की है.

विभाग ने माना कि बिहार में भू अभिलेखों (दस्तावेजों) की स्थिति ठीक नहीं है. कैडस्ट्रल सर्वे (Bihar Jamin Sarvey) को 100 साल और रिविजनल सर्वे को हुए 50 साल से ज्यादा समय बीत चुका है. बाढ़, अगलगी, दीमक लगने से बड़ी संख्या में जमीन के कागजात नष्ट हो गए हैं. ऐसी स्थिति में लोगों में डर है कि कागजात के अभाव में कहीं जमीन हाथ से निकल ना जाए. इसी डर को दूर करने के लिए विभाग ने अधिसूचना जारी कर मामलों को स्पष्ट किया है. बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 के लागू होने की तिथि से ही ये निर्देश मान्य होंगे.


11 पॉइंट में जानिए, कैसे बिना दस्तावेज के आपकी रहेगी जमीन

  1. दखल-कब्जा और लगान की रसीद है, पर दस्तावेज नहीं है तो भी खाता खुल जाएगा.
  2. शांतिपूर्वक दखल-कब्जा और पड़ोसी की जमीन बिक्री वाले दस्तावेज, विनिमय या निबंधित बंटवारा की चौहद्दी में नाम है तो खाता खुल जाएगा.
  3. न जमाबंदी है, न लगान रसीद है. सिर्फ दखल- कब्जा है. ऐसे में खाता बिहार सरकार के नाम से खुलेगा पर अवैध दखलकार का नाम अभ्युक्ति कॉलम में दर्ज किया जाएगा.
  4. बंटवारे में असहमति है तो संयुक्त खाता खुलेगा. वहीं, आपसी सहमति पर हस्ताक्षरित बंटवारा किया गया है तो सभी हिस्सेदारों का खाता अलग-अलग खोला जाएगा.
  5. पंचनामा या मौखिक बंटवारा है. जमीन पर दखल-कब्जा भी है. ऐसे में लिखित सहमति के आधार पर अलग-अलग खाते खुल जाएंगे.
  6. निबंधित जमीन खरीदी है. इसका म्यूटेशन नहीं कराया गया है। ऐसे में शांतिपूर्ण दखल-कब्जा और केवाला की सत्यता के आधार पर खाता खुल जाएगा. म्यूटेशन अनिवार्य नहीं है.
  7. शपथ पत्र के जरिए महिला संपत्ति छोड़ दें. या फिर पिता की जमीन की वसीयत में बेटी का नाम ना हो. तब वंशावली में महिलाओं का नाम नहीं देना होगा.
  8. पहले के सर्वे के खतियान के समय से ही गैर मजरुआ मालिक/अनाबाद बिहार सरकार की भूमि पर आवासीय दखल है। ऐसे में मालिकाना हक मिल जाएगा.
  9. हस्ताक्षरित बंटवारे के अनुसार अलग-अलग खाता खुल जाने के बाद किसी हिस्सेदार ने प्रपत्र 8 या 14 में आपत्ति कर संयुक्त खाता खोलने का अनुरोध किया तो फिर से संयुक्त खाता खोल दिया जाएगा.
  10. जमाबंदी या लगान रसीद अपडेट नहीं हैं तो जमीन के वास्तविक दखल के अनुसार खतियान बन जाएगा.
  11. गैरमजरुआ जमीन की हुकुमनामा के आधार पर पहली जनवरी 1946 के पहले से कट रही रसीद और दखल के आधार पर स्वामित्व निर्धारण होगा. भले ही जमींदारी रिटर्न उपलब्ध नहीं हो.

इसकी जरूरत क्यों पड़ी

मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल का कहना है कि राज्य में जमीन (Bihar Jamin Sarvey) के झगड़े का प्रमुख कारण भूमि पर मालिकाना हक है. इसी कारण से लैंड सर्वे एवं बंदोबस्त की प्रक्रिया के तहत हर खेसरा के स्वामित्व एवं अधिकारिता का निर्धारण किया जा रहा है. इससे जमीन के झगड़े खत्म होंगे. जमीन की अधिकारिता निर्धारण की दिशा में ये महत्वपूर्ण कदम है. अब लोग लैंड सर्वे में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे. इससे सर्वे (Bihar Jamin Sarvey) की रफ्तार तेज होगी.


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सरकार के इस फैसले से क्या फायदा होगा

बिहार के सभी अंचलों में भूमि सर्वे (Bihar Jamin Sarvey) का काम शुरू हो चुका है. स्वघोषणा (Self declaration) जमा करने का काम चल रहा है. ऐसी स्थिति में इस अधिसूचना के बाद रैयतों को सुविधा होगी. अब भ्रम और संशय की स्थिति समाप्त होगी. सर्वे का काम तेजी से होगा.

क्यों हो रहा जमीन सर्वे

बिहार में जमीन सर्वे (Bihar Jamin Sarvey) का काम काफी वक्त से रुका हुआ था. इससे मालिकाना हक और विवादों को सुलझाने में आसानी होगी. 38 जिलों के सभी 445 प्रखंड में यह काम चल रहा है. सर्वे से जमीन विवाद में कमी आने की संभावना है. ड्रोन और GPS के इस्तेमाल से जमीन की माप और सीमांकन हो रहा है. जमीन मालिकों को जमीन से जुड़े कागजात में सुधार और अपडेट का मौका मिलेगा.

बिहार में जमीन सर्वे की पूरी टाइमलाइन

बिहार में पहला लैंड सर्वे (Bihar Jamin Sarvey) साल 1890 के बाद शुरू हुआ था, जो 1920 यानी 30 सालों तक चला था. 1980 से पहले के जमीन के खतियान और बंटवारे का दस्तावेज कैथी लिपि में हैं. 2011 में लैंड सर्वे के लिए एक्ट बनाया गया. 2012 में लैंड सर्वे की प्रक्रिया शुरू हुई. सबसे पहले हवाई सर्वे करवाया गया. 2013 से लेकर 2016 तक फोटोग्राफी हुई.

इसके बाद प्रोसेस में 2 साल लगे. एक्ट में 2012 और 2017 में और नियमावली में 2019 में संशोधन हुआ. फिर कोर्ट के निर्देश पर टेक्निकल गाइडलाइन बनाई गई और बिहार में जमीन सर्वेक्षण शुरू हुआ. इसके तहत पूरे सूबे का डिजिटाइज्ड मैप तैयार किया गया है.

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