बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के अगले कदम पर चर्चा चल रही है. भाजपा और जेडीयू के रिश्तों में दरार, लालू यादव के बयान और तेजस्वी यादव के साथ नीतीश की छवि ने अटकलों को हवा दी है कि नीतीश महागठबंधन से जुड़ सकते हैं.
बिहार की राजनीति में फिर से उबाल है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) क्या फिर पलटी मारेंगे? राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए इन दिनों चर्चा का यही विषय है. विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं, ऐसे में नीतीश कुमार की चुप्पी और राजद नेताओं के बयान आग में घी का काम कर रहे हैं.
वहीं गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद भाजपा और जेडीयू के रिश्तों में दरार दिख रही है. लालू यादव ने नीतीश के लिए अपने दरवाज़े खुले बताए हैं. जबकि तेजस्वी यादव और नीतीश की एक तस्वीर ने भी अटकलों को हवा दी है. खरमास के बाद क्या होगा, इस पर सबकी निगाहें हैं.
ये भी पढ़ें..
- Nitish Kumar Resign : सोशल मीडिया पर उड़ गई नीतीश कुमार के इस्तीफे की खबर, वायरल क्लिप में नीतीश कुमार ने गठबंधन की स्थिति पर जताई चिंता
- Bihar Weather : बिहार में दिखेगा ठंड का विकराल रूप, अगले 72 घंटे में बदलेगा मौसम का मिजाज
10 साल में नीतीश कुमार का पांच बार मन बदला
- नीतीश कुमार मार्च 2000 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन उस वक्त सरकार केवल सात दिन ही चली. लेकिन 2005 में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और दूसरी बार सीएम बने. 2010 में भी एनडीए के सहयोग से नीतीश कुमार तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे. लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी.
- 2013 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 के लिए नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाया, इससे नीतीश कुमार नाराज हो गए. नीतीश कुमार ने बीजेपी से रिश्ता तोड़ लिया. नीतीश कुमार ने सीएम पद छोड़ कर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. वो करीब एक साल तक मुख्यमंत्री रहे.
- 2015 में नीतीश कुमार ने आरजेडी-कांग्रेस के सथ गठबंधन सरकार बनाई. इसके साथ ही नीतीश कुमार पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2017 में तेजस्वी यादव पर सीबीआई की ओर से लगे आरोपों के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से रिश्ता तोड़ लिया. बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार छठी बार सीएम बने.
- 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े और सातवीं पर सीएम की कुर्सी पर बैठे. लेकिन 2022 में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बीजेपी से अलग हो गए. आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई और आठवीं पर सीएम के रूप में शपथ ली. लेकिन यह सरकार भी करीब डेढ़ साल ही टिक सकी और जनवरी 2024 में बीजेपी के संग मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार ने नौंवी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
नीतीश कुमार के हर शब्द के कई मायने
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हर शब्द के कई मायने निकाले जा रहे हैं. वे हमेशा सोच-समझकर बोलते हैं. पहले भी उन्होंने विवादित मुद्दों पर दूसरों से बयान दिलवाए हैं, खुद कम बोले हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. वे कई मुद्दों पर चुप हैं. लेकिन उनके पार्टी के लोग जो बोल रहे हैं, वो उनकी मर्ज़ी के बिना नहीं है. नीतीश कुमार दबाव की राजनीति में माहिर हैं. देखना होगा कि एनडीए पर उनका दबाव कितना असर करता है. या फिर वे राजद के साथ जाएँगे?
दही-चूड़ा भोज में बनेगी अगली रणनीति
बिहार में चुनाव से कुछ महीने पहले सियासी पारा चढ़ गया है और दही-चूड़ा भोज के बहाने राजनीतिक अटकलें तेज हैं. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के करीबी कहते हैं कि जब उन्हें कोई बड़ा फैसला लेना होता है, तो वे चुप हो जाते हैं. अभी भी वे कम बोल रहे हैं. गृह मंत्री के बयान के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री ने सफाई दी है. लेकिन नीतीश की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है.
लालू प्रसाद के बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं. अगर नीतीश महागठबंधन में आते हैं, तो उनका स्वागत है. लालू के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. जब नीतीश कुमार से राजद के साथ गठबंधन पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा-‘क्या बोल रहे हैं?’ इससे स्थिति और भी उलझ गई है.
नीतीश और तेजस्वी की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें दोनों बातचीत करते दिख रहे हैं। इस तस्वीर ने भी राजनीतिक अटकलों को बढ़ावा दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या दोनों दल फिर से साथ आ सकते हैं?