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Prashant Kishore News : बीपीएससी प्रकरण में प्रशांत किशोर ने लिया भरपूर माइलेज, अब जेल, बेल के बाद प्रशांत किशोर का अगला प्लान क्या?

बिहार की राजनीति में नए स्वर देने के लिए आए प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) अब वर्तमान राजनीति के लटके झटके समझ गए हैं. बीपीएससी परीक्षार्थियों के साथ आंदोलनरत प्रशांत किशोर अपने पहले अभियान के दौरान पुलिसिया लाठी चार्ज जैसे मौके को भले साध न सके, रणछोड़ की उपाधि पाई. पर इस असफलता से जो सफलता का मार्ग आमरण अनशन के जरिए ढूंढना चाहा उसमें वह नायक बनकर अब सफल होते नजर आए. क्या रहा प्रशांत किशोर (Prashant Kishore)का मास्टर स्ट्रोक..

आमरण अनशन पर डटे रहे, बीच में अनशन का ब्रेक नहीं होना.

प्रोटेस्ट का वह तरीका जहां मजबूरन प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) को घसीटना पड़ा. यह सिम्पैथी गेनर रहा. अब तो बीपीएससी छात्रों के समर्थन में प्रशांत किशोर का आमरण अनशन लगतार सुर्खियां बटोर रहा है. हालांकि वही कुछ छात्रों का कहना हैं कि पीके ने आंदोलन में सेंधमारी कर अपनी रोटी सेंकी हैं.

आंदोलन की आंच में पीके निखरे या बिखरें ? पाँच पॉइंट में समझे

  • पीके की गिरफ्तारी का एक अलग रंग निखर कर निकला.
  • प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जाने का भी माइलेज मिला.
  • प्रशांत किशोर का बगैर बेल बॉन्ड भरे जमानत के लिए अड़ जाना भी राजनीतिक चर्चा का विषय रहा और मीडिया में छाए सो अलग.
  • पीके का स्वयं बहस करना, सशर्त जमानत लेने से साफ इनकार करना
  • जेल में भी आमरण अनशन जारी रखने की धमकी देना, यह सब पीके की राजनीति के अध्याय हैं जो बिहार की सियासत में फायदा पहुंचा सकता है.

लटके झटके समझ गए पीके

दरअसल, पुलिस लाठी चार्ज के दौरान पीके पर जो भागने का आरोप लगा वह उनकी राजनीत की सीख साबित हुई. वैसे भी पीके रणनीतिकार हैं तो धीरे-धीरे बिहार की रजनीति को समझ ही रहे होंगे. आमरण अनशन पर बैठने, धरना स्थान पर नहीं बैठना, गांधी मूर्ति के सामने बैठने का निर्णय करना यह सब तो चालाकी भरा राजनीतिक कदम है जो जनता से जुड़ने के लिए जरूरत भी है. और अब पीके हर वो अभियान चलाएंगे जहां जनता का मूव उनके साथ चले.

लाभ की राजनीति और जनसुराज

और अब तो लाभ की राजनीति की राह पर तो प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) चल कर यह बात दिया कि चुनावी हथकंडे मुझे भी आते हैं. इसके पहले जातीय समीकरण के रास्ते पीके तो उतर ही गए थे. विधान सभा उपचुनाव एक उदाहरण तो है.


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लाभ की राजनीति का सिरा तो जनसुराज ने पहले खोल ही दिया है. बजाफते घोषणा करते हुए पार्टी के अध्यक्ष मनोज भारती ने सीनियर सिटीजन के लिए आर्थिक सहायता देने की बात की. महिलाओं के लिए विशेष पैकेज की भी घोषणा की. यह संभवतः मध्य प्रदेश की लाडली योजना या झारखंड के मईंया सम्मान की तर्ज पर इस घोषणा को आधार दिया है. उच्च स्तरीय शिक्षा बिहार में सभी गरीब बच्चों के लिए करवाई जाएगी.

मजदूरों के लिए लाभदायक योजना की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि अगर मेरी सरकार सत्ता में आ गई तो मजदूरों को बाहर जाकर मजदूरी नहीं करनी पड़ेगी. जनसुराज सत्ता में आई तो तीन महीने के अंदर बिहार भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा.

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