वाराणसी के एक छात्रावास में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रही बिहार के सासाराम की 17 वर्षीय छात्रा स्नेहा कुशवाहा (Sneha Kushwaha Murder Case) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वाराणसी पुलिस इसे आत्महत्या का मामला बता रही है, जबकि पीड़ित परिवार का दावा है कि उनकी बेटी की हत्या हुई है. यह मामला 1 फरवरी का है, जब छात्रा का शव भेलूपुर स्थित रामेश्वरम गर्ल्स हॉस्टल में मिला.
परिजनों को नहीं दी गई सूचना
मृतका के परिजनों का दावा है की उनकी बेटी स्नेहा कुशवाहा (Sneha Kushwaha Murder Case) की मौत की सूचना पुलिस या हॉस्टल प्रशासन की ओर से नहीं दी गई. बल्कि उन्हें बनारस में रहने वाले एक जानकार से इस घटना की जानकारी मिली. जब परिवार हॉस्टल पहुंचा, तो देखा कि स्नेहा का शव फंदे से लटका नहीं था, बल्कि उसे पहले ही नीचे उतारकर बेड पर लिटा दिया गया था. परिजनों के अनुसार, पुलिस ने जल्दबाजी में शव का पोस्टमार्टम करवाया और बिना परिजनों की अनुमति के अंतिम संस्कार के लिए दबाव डाला.
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सियासी गलियारों में गूंजा मामला
इस घटना को लेकर बिहार के कई बड़े नेताओं ने योगी सरकार से न्यायिक जांच की मांग की है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह घटना अति दुखद है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे हत्या करार दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की.
सासाराम से कैंडल मार्च
स्नेहा कुमारी को न्याय दिलाने के लिए कुशवाहा सभा भवन सासाराम से कैंडल मार्च निकाला गया. समाजसेवी सत्यनारायण स्वामी, रविंद्र सिंह अधिवक्ता, संजय कुमार सिंह,विवेक कुमार, विकास कुमार, चंद्रशेखर सिंह ,रवि पासवान ,अमित पासवान ,जयशंकर शर्मा, शिवनाथ कुशवाहा और स्नेहा के माता-पिता एवं उनके परिवार के लोग के नेतृत्व में विशाल केंडल मार्च कुशवाहा सभा भवन से निकाल कर कचहरी मोड़ तक गया.
जिसमें महिलाएं एवं पुरुष शामिल हुए. इस कैंडल मार्च में शामिल लोगों का एक ही मांग था कि स्नेहा को न्याय (justice sneha kushvaha) दिलाने के लिए सरकार न्यायिक कमेटी गठित करे और दोषी पुलिस कर्मियों एवं उसकी हत्या में शामिल दोषियों को सजा दी जाए.