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Sneha Kushwaha Murder Case : बिहार की छात्रा स्नेहा कुशवाहा की संदिग्ध मौत पर बक्सर में आक्रोश मार्च, हत्यारों को फांसी की मांग

स्नेहा कुशवाहा (Sneha Kushwaha Murder Case) को न्याय दिलाने को लेकर पूरे बिहार में जन आक्रोश है. जगह जगह कैन्डल मार्च और आंदोलन जारी हैं. वही बुधवार को बक्सर में सर्वलोक हित समाज पार्टी जिला इकाई बक्सर द्वारा सासाराम तकिया की बेटी 17 वर्षीय छात्रा स्नेहा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत मामले को लेकर एक दिवसीय आक्रोश मार्च निकाला गया.

आक्रोश मार्च में स्नेहा को न्याय दो, स्नेहा हम शर्मिंदा है-तेरे कातिल जिंदा हैं, योगी-मोदी शर्म करो, जैसे नारों को बुलंद किया गया. आक्रोश मार्च शहीद भगत सिंह चौक से ज्योति चौक होते हुए समाहरणालय बक्सर तक निकाला गया. पार्टी द्वारा जिला पदाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन देने के बाद आक्रोश मार्च को समाप्त किया गया.

पार्टी ने मुख्य रूप से चार  मांगे रखी.

  1. स्नेहा कुशवाहा (Sneha Kushwaha Murder Case) के हत्या की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए.
  2. स्नेहा के हत्यारों को फांसी की सजा दी जाए.
  3. स्नेह कुशवाहा के मृत शरीर को स्वयं पोस्टमार्टम कर शव को स्वयं जलाया गया, जिसमें दोषी पुलिसकर्मियों पर उचित कार्रवाई की जाए.
  4. स्नेहा के परिजनों को 50 लाख की आर्थिक मुआवजा दी जाए.

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जब तक न्याय नहीं तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय सत्यनारायण मौर्य से पूछे जाने पर कहा कि जब तक पार्टी द्वारा की गई मांग पूरी नहीं की जाती है तब तक पार्टी किसी भी सूरत में बैठने वाली नहीं है. नेता ने कहा कि हम इस आंदोलन को और तेज करेंगे.

जाने पूरा मामला क्या हैं?

वाराणसी के रामेश्वरम गर्ल्स हॉस्टल में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रही बिहार के सासाराम की 17 वर्षीय छात्रा स्नेहा कुशवाहा (Sneha Kushwaha Murder Case) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वाराणसी पुलिस इसे आत्महत्या का मामला बता रही है, जबकि पीड़ित परिवार का दावा है कि उनकी बेटी की हत्या हुई है. यह मामला 1 फरवरी का है, जब छात्रा का शव भेलूपुर स्थित रामेश्वरम गर्ल्स हॉस्टल में मिला. इस मामले को आज 19 दिन हो गए मगर अब तक स्नेहा के परिजन ना उम्मीद हैं.

पुलिस ने जल्दबाजी में शव का पोस्टमार्टम करवाया

मृतका के परिजनों का दावा है की उनकी बेटी स्नेहा कुशवाहा (Sneha Kushwaha Murder Case) की मौत की सूचना पुलिस या हॉस्टल प्रशासन की ओर से नहीं दी गई. बल्कि उन्हें बनारस में रहने वाले एक जानकार से इस घटना की जानकारी मिली. जब परिवार हॉस्टल पहुंचा, तो देखा कि स्नेहा का शव फंदे से लटका नहीं था, बल्कि उसे पहले ही नीचे उतारकर बेड पर लिटा दिया गया था. परिजनों के अनुसार, पुलिस ने जल्दबाजी में शव का पोस्टमार्टम करवाया और बिना परिजनों की अनुमति के ही अंतिम संस्कार के लिए दबाव डाला.

आक्रोश मार्च में महिलाएं एवं पुरुष भी शामिल हुए. मुख्य रूप से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश मौर्य, मुन्ना जी, राजेश्वर मौर्य, वीरेंद्र सिंह, श्रवण धोबी, धर्मेंद्र मौर्य, कपिल मुनि, निर्मल सिंह, धनंजय सिंह, लवकुश सिंह, विनोद कुशवाहा, कमलेश मौर्य, सागर सम्राट, सहित सैकड़ो की संख्या में पार्टी करें तथा कार्यकर्ता मौजूद रहे. मार्च में शामिल लोगों की एक ही मांग थी कि स्नेहा को न्याय (justice sneha kushvaha) दिलाने के लिए सरकार न्यायिक कमेटी गठित करे और दोषी पुलिस कर्मियों एवं उसकी हत्या में शामिल दोषियों को सजा दी जाए.

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