बहुप्रतीक्षित बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे परियोजना (Buxar Bhagalpur Expresssway) के क्रियान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना का डीपीआर तैयार करने के लिए एजेंसी चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
इसके साथ ही यह पूरी तरह तय हो गया है कि यह परियोजना ग्रीनफील्ड नहीं होगी, बल्कि पहले से मौजूद सड़क को ही फोरलेन के रूप में विकसित किया जाएगा. आरएफपी में इस बात को स्पष्ट किया गया है कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य मौजूदा सड़क को पेव्ड शोल्डर के साथ फोरलेन के रूप में विकसित करना है.
बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे का डीपीआर 2026 के अंत तक होगा तैयार
निविदा के लिए आमंत्रण प्रस्ताव में बताया गया है कि बक्सर से भागलपुर (Buxar Bhagalpur Expresssway) के बीच प्रस्तावित हाइवे को हाई स्पीड कारिडोर अथवा एक्सप्रेसवे के नाम से संबोधित किया गया है. हालांकि परियोजना में एनएच के नाम की जगह टीबीडी का उल्लेख किया गया है, जिसका मतलब है कि इस हाइवे का नंबर अभी तय होना शेष है.
इसमें उल्लेख है कि अनुमानित लंबाई लगभग 240 किलोमीटर के विकास के लिए डीपीआर बनाया जाना है. चयनित एजेंसी को डीपीआर तैयार करने के लिए 270 दिनों का वक्त मिलेगा. इस तरह देखें तो 2026 के अंत तक डीपीआर तैयार हो जाने की उम्मीद है.
बिहटा से पटना तक एलिवेटेड फोरलेन हो रहा तैयार
यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि बक्सर से भागलपुर (Buxar Bhagalpur Expresssway) के बीच सड़क मार्ग की मौजूदा औसत लंबाई करीब 375 किलोमीटर है. बक्सर से भागलपुर के बीच की सीधी हवाई दूरी भी 300 किलोमीटर से अधिक है. पुराने प्रस्तावों में बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे की अनुमानित लंबाई लगभग 360 किलोमीटर बताई गई थी. इस प्रकार ताजा निविदा सूचना से ऐसा लग रहा है कि बक्सर-भागलपुर के बीच मौजूदा सड़क मार्ग के एक हिस्से को ही विकसित करने की तैयारी की गई है.
संभव है बक्सर से पटना तक की सड़क को इसमें छोड़ दिया जाए, क्योंकि बक्सर से कोईलवर-बिहटा तक हाल ही में फोरलेन सड़क चालू की गई है. हालांकि यह हिस्सा एक्सेस कंट्रोल यानी एक्सप्रेसवे के रूप में नहीं है. बिहटा से पटना तक एलिवेटेड फोरलेन हाइवे का निर्माण पहले ही प्रगति पर है.
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भूमि अधिग्रहण की पड़ेगी आवश्यकता
अगर सरकार इस खंड को एक्सप्रेसवे के तौर पर विकसित करने को सहमत होती है, तो पूरे मार्ग में भूमि अधिग्रहण की जरूरत होगी. एक्सप्रेसवे के लिए सड़क की चौड़ाई का मानक 90 मीटर है. महत्वपूर्ण नेशनल हाइवे के लिए यह मानक 70 मीटर, छह लेन हाइवे के लिए 60 मीटर, चार लेन हाइवे के लिए 45 मीटर और पेव्ड शोल्डर के साथ दो लेन हाइवे के लिए चौड़ाई का मानक 30 मीटर निर्धारित है.
फिलहाल बक्सर से भागलपुर (Buxar Bhagalpur Expresssway) के लिए अधिकतर सड़क चार लेन की है. कुछ स्थानों पर भूमि अधिग्रहण पहले ही छह लेन की जरूरत के अनुसार किया गया है.
विधानसभा चुनाव से पहले तय हो सकती है एजेंसी
इसके लिए गत 22 अप्रैल को निविदा का प्रकाशन किया गया है। निविदा में भाग लेने को इच्छुक एजेंसियां 16 जून तक अपना प्रस्ताव दाखिल कर सकेंगी. अगर सब कुछ सही तरीके से होता है, तो उम्मीद है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले डीपीआर बनाने वाली एजेंसी का चयन हो जाएगा.
मंत्रालय ने इस योजना के क्रियान्वयन का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआइ को दिया है. एनएचएआइ बिहार डिवीजन के महाप्रबंधक (तकनीकी) भास्कर मिश्रा ने इस बारे में निविदा सूचना जारी की है.
कई हाइवे को मिलाकर किया जाएगा एक
निविदा सूचना से स्पष्ट है कि बक्सर से भागलपुर (Buxar Bhagalpur Expresssway) के बीच मौजूद कई अलग-अलग एनएच के खंडों को एक कर नया नामकरण किया गया है. इसमें बक्सर से पटना तक एनएच 922, पटना से मुंगेर तक एनएच 31 और मुंगेर से भागलपुर तक एनएच 33 है.
ये सभी सड़कें फोरलेन हैं, सिवाय मोकामा से मुंगेर तक एनएच 31 के 78.5 किलोमीटर लंबी सड़क के. इस तरह मौजूदा रूट की 280 किलोमीटर लंबी दूरी पहले से ही फोरलेन है.