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Bodh Gaya Name Changed : गया का नाम बोध गया करने की मांग हुई तेज, नीतीश सरकार ने कैबिनेट में बदला था गया का नाम

नीतीश कैबिनेट की बैठक में शुक्रवार को एक अहम फैसला लिया गया. जिसमे बिहार सरकार ने गया जिले का नाम गया जी कर दिया है. अब इसे गया जी के नाम से जाना जाएगा. गया का नाम बदलते ही सोशल मीडिया पर ये बात आग की तरह फैल  गई. कैबिनेट में जिस गया का नाम बदला गया हैं वहा के बोध गया (Bodh Gaya) में पहले से ही बी. टी. एक्ट 1949 को खत्म करने को लेकर बौद्ध धर्मवलबियों द्वरा आंदोलन चल रहा है. इस बीच अब इस नाम को लेकर सोशल मीडिया पर लोग आपत्ति जाता रहे है.

गया का नाम बदलने पर किसने क्या लिखा

बक्सर के राहुल ने अपने फेसबूक पर लिखा है …गया का नाम बदलकर बोध गया (Bodh Gaya) करना चाहिए, क्योंकि पूरे दुनिया में भारत की पहचान तथागत बुद्ध से मिली हैं.

राजनैतिक विश्लेषक सुनील प्रियदर्शी ने लिखा है…. गया प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों में से एक है. जिसे यूनेस्को ने अपने सूची में डाल रखा है. गया में ही गौतम बुद्ध को 35 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हुआ था. बुद्ध के ज्ञानस्थली होने के कारण इस गया को देखने के लिए दुनिया के लगभग 100 से अधिक देशों के लोगों का आना जाना रहता है. बुद्ध ने दुनिया को शांति की देशना दी और जीवन जीने का सही मार्ग बताया. अब तो इस स्थल का नाम बोध गया (Bodh Gaya) कर ही देना चाहिए था.

बिहार की संस्कृति को बारीकी से समझने वाले दयानंद मौर्य ने लिखा है कि मिट्टी का गीलापन जिस प्रकार पेड़ की जड़ को जकड़कर रखता हैं ठीक उसी तरह किसी शहर का नाम उस जगह के ऐतिहासिकता को पकड़कर रखता हैं. इसलिए गया का नाम बोधगया (Bodh Gaya) ही होना चाहिए.


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महात्मा बुद्ध के वजह से पूरी दुनियां में भारत को ख्याति मिली. बुद्ध के वजह से भारत विश्वगुरु कहलाया. लेकिन भारत ने कभी भी महात्मा बुद्ध को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे. बोद्धगया में बी. टी. एक्ट 1949 को खत्म करने के लिए चल रहे आंदोलन पर डबल इंजिन की सरकार लगातार बुलडोजर चला रही है. ऐसी खबर है की कई भंते को जेल भी भेज दिया गया है. कायदे से तो ‘महात्मा बुद्ध’ के सम्मान में गया जिला का नाम बदल कर ‘बोद्धगया’ (Bodh Gaya) जिला करना चाहिए था. लेकिन डबल इंजिन की सरकार और मोदी सरकार को बुद्ध के विचारों से डर लगता है.

यूनेस्को ने बोध गया को विश्व धरोहरो की सूची में शामिल किया है

महाबोधि मंदिर परिसर भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधितविशेषतः प्रबोधनार्थ हेतुचार पवित्र स्थानों में से एक है. इस परिसर में सबसे पहला मंदिर तीसरी शताब्दी ई.पूर्वमें सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था तथा वर्तमान में मौजूद सभी मंदिरों का निर्माणकाल 5वीं या 6वीं शताब्दी के आसपास का है. भारत में गुप्तकाल से आज तक पूर्णतः ईटों से निर्मित यह सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिरों में से एक है.

बोधगया (Bodh Gaya) को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया है, विशेष रूप से बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर को. यह वह स्थान है जहाँ गौतम बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था.

  1. बोधगया का महत्व: बोधगया (Bodh Gaya) बौद्ध धर्म में सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, क्योंकि यहीं पर गौतम बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था.
  2. महाबोधि मंदिर परिसर: यह वह मंदिर परिसर है जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, और यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है.
  3. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल: यूनेस्को ने बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर को 2002 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया था. इस घोषणा से बोधगया के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ावा मिला और इसके संरक्षण में भी मदद मिली.
  4. बोधगया का इतिहास: बोधगया प्राचीन काल से ही बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा स्थल रहा है. बुद्ध के समय में इसे उरुवेला के नाम से जाना जाता था.

फिलहाल शुक्रवार को बिहार कैबिनेट ने गया का नया नामकरण करते हुवे गया जी कर दिया हैं जिसे लेकर बौद्ध अनुआइयों में काफी रोष हैं.

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