लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बिहार की राजनीति में एक बड़ा संकेत देते हुए कहा है कि अगर पार्टी तय करती है, तो वह विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब वह बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, बशर्ते पार्टी और गठबंधन को इससे लाभ होता हो.
चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरा राजनीति में आने का कारण सिर्फ बिहार रहा है. मैं दिल्ली में पला-बढ़ा, मुंबई में काम किया, लेकिन जब देखा कि बिहार के लोगों को दूसरे राज्यों में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, तब यह सोच कर राजनीति में आया कि एक ऐसा बिहार बनाना है जहां लोगों को पलायन न करना पड़े.’
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तीन बार सांसद, अब पूरा ध्यान बिहार पर
चिराग पासवान ने बताया कि वह लगातार तीन बार—2014, 2019 और 2024 में सांसद बने हैं, लेकिन अब उन्हें लगता है कि दिल्ली में रहकर वह अपने राज्य के लिए उस स्तर पर काम नहीं कर पा रहे हैं, जैसी उनकी मूल सोच रही है. उन्होंने कहा, ‘अब मुझे पूरी तरह से बिहार में रहना होगा, पूरा बिहारी बनकर रहना होगा.’
क्या चिराग विधानसभा चुनाव लड़ेंगे?
इस सवाल पर चिराग ने साफ किया कि यह फैसला पार्टी के व्यापक मंथन और सर्वे के बाद ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सर्वे और आंकड़े यह बताते हैं कि उनके चुनाव लड़ने से पार्टी और गठबंधन को लाभ होगा, तो वह निश्चित रूप से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहेंगे। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि पार्टी का नेता जब खुद मैदान में उतरता है तो कार्यकर्ताओं में उत्साह और जोश बढ़ता है, और इससे चुनावी परिणाम भी प्रभावित होते हैं।
व्यक्तिगत रूप से भी चुनाव लड़ने को तैयार
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह निजी तौर पर इस बार चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, तो चिराग ने कहा, ‘अगर पार्टी कहती है, तो मैं कल ही बिहार जाकर पूरी तरह से लग जाऊंगा. मेरा समर्पण पूरी तरह से बिहार के लिए है. अगर पार्टी की राय होगी कि इससे फायदा होगा, तो मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा. लेकिन 2025 का चुनाव लडूंगा या 2030 का, ये पार्टी तय करेगी.’
जेडीयू को बैकफूट पर लाने में चिराग का अहम योगदान
एनडीए से बागी होकर चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पार्टी LJP (R) ने बिहार 2020 चुनाव में 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें भले ही उन्हे 1 सीट नसीब हो पाई थी. मगर वोट का जो प्रतिशत (5.66%) था वो काफी अच्छा था. LJP (R) को 23,83,457 वोट मिले थे. और ये आँकड़े जेडीयू को बैकफूट पर लाने में अहम योगदान साबित हुई थी.
2005-10 के बाद लगातार वीस चुनाव में जेडीयू का ग्राफ नीचे गिरता आया हैं. इसका सबसे बड़ा कारण उनके सहयोगी दल ही हैं. 2025 में बीजेपी एक बार फिर से सीएम नीतीश के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी. चिराग पासवान (Chirag Paswan) यदि एनडीए से बागी होकर फिर से मैदान में आते है तो निश्चित ही जेडीयू को इसका भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ सकता हैं. और इस बीच बीजेपी बहुमत में आ जाती है तो वो अपना सीएम फेस का फैसला बदल भी सकती हैं.