बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार मायावती की बीएसपी 243 विधानसभा सीटों (Bihar Assembly Elections) पर अकेले चुनाव लड़ेगी. बिहार में मजबूत प्रत्याशियों के चयन के लिए नेशनल को-ऑर्डिनेटर रामजी गौतम और बिहार प्रभारी अनिल कुमार को सौंपी गई है.
पार्टी के नवनियुक्त चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद के लिए भी बिहार चुनाव एक अग्निपरीक्षा की तरह है. उन्हें संगठन के स्तर पर साबित करना होगा कि वे मायावती की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने की काबिलियत रखते हैं. बिहार में मिली सफलता ही उन्हें BSP का भविष्य का नेता साबित करेगी.
बिहार में बीएसपी की कमजोर कड़ी
बिहार की राजनीति को बारीकी से समझने वाले पत्रकार सुनिल प्रियदर्शी कहते हैं, बसपा का यूपी से सटे जिलों में एक मजबूत आधार है. लेकिन, उसके साथ समस्या यह है कि बसपा के टिकट (Bihar Assembly Elections) पर जीतने वाले विधायक बहुत जल्द पाला बदल लेते हैं. आकड़ों के हिसाब से बात करें तो 2000 में बसपा के 5 विधायक जीते.
मगर सभी विधायक कुछ ही समय बाद लालू के साथ उनकी राजद में शामिल हो गए. और ये कारवां रुका यहीं नहीं रुका. बाद के हर चुनाव में ये देखने को मिला. पिछली बार 2020 के चुनाव में बसपा के इकलौते विधायक मो. जमा खान भी लेट लतीफ़ जदयू में शामिल हो गए और होकर मंत्री बनाए गए.
साल 2000 चुनाव (Bihar Assembly Elections) में बसपा से जीते विधायकों की सूची
- पश्चिम चंपारण के धनहा विधानसभा से राजेश सिंह विधायक बने
- अररिया के फरबिससगंज से जाकिर हुसैन खान विधायक बने
- बक्सर के राजपुर विधानसभा से छेदी लाल राम विधायक बने
- मोहनिया विधानसभा से सुरेश पासी विधायक बने
- चैनपुर विधानसभा से महाबली सिंह विधायक बने
बीएसपी का बिहार में अपना कोर वोटर जरूर है मगर इसके जीते हुवे विधायक वाम दलों की तरह वैचारिक नहीं हो पाते. और जीतते ही दल बदलने की जुगत में लग जाते हैं. नतीजा ये है कि कोर वोटर होने के बाद भी बहुजन समाज पार्टी को हर बार अपनी जमीन तलाश करना पड़ती हैं.
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बसपा को बिहार से उम्मीद
बसपा वर्तमान में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. यूपी जैसे राज्य, जहां से बीएसपी उभरी, वहां उसका अब सिर्फ एक विधायक है. लोकसभा में कोई नुमाइंदगी नहीं है. 2024 लोकसभा में पूरे देश में बसपा सिर्फ 2 फीसदी वोट ही पा सकी. यूपी में उसका वोट शेयर गिरकर 9.35 फीसदी रह गया. लोकसभा के बाद महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बसपा खाता नहीं खोल पाई. राष्ट्रीय पार्टी बने रहने के लिए भी बिहार का चुनाव (Bihar Assembly Elections) बसपा के लिए अहम है.
4 विधानसभा उपचुनावों में BSP के आकड़ें
बिहार में नवंबर, 2024 के 4 विधानसभा उपचुनावों का रिजल्ट भले ही एनडीए के पक्ष में गया हो. लेकिन, बसपा ने रामगढ़ सीट पर दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी. बसपा प्रत्याशी सतीश यादव इस सीट पर कई राउंड तक भाजपा प्रत्याशी अशोक सिंह पर बढ़त बनाए थे.
फाइनल राउंड में वह सिर्फ 1362 वोटों से हारे थे. उन्हें 60 हजार 895 वोट मिले थे. भाजपा के विजयी प्रत्याशी अशोक सिंह को 62 हजार 257 मत मिले थे. तीसरे नंबर पर रहे राजद के अजीत सिंह को 35 हजार 825 वोट मिले थे. जबकि प्रशांत किशोर की जन-सुराज पार्टी के प्रत्याशी सुशील कुशवाहा 6 हजार 513 वोट पाकर चौथे नंबर पर थे.
बीएसपी के लोकसभा चुनाव के आकड़ें
बसपा को लोकसभा 2024 में बिहार में कुल 7.44 लाख (1.75 फीसदी) वोट मिले थे. तब बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. 7 सीटों औरंगाबाद, भागलपुर, बक्सर, गया, जहानाबाद, कटिहार, सासाराम पर तीसरे स्थान पर रही थी. 6 सीटों अररिया, दरभंगा, गोपालगंज, हाजीपुर, जमुई, झंझारपुर, काराकाट, मधेपुरा, मधुबनी, महाराजगंज, पश्चिमी चंपारण, पाटलिपुत्र, पटना साहिब, पूर्णिया, उजियारपुर और वैशाली में चौथे स्थान पर थी.
बक्सर में बसपा प्रत्याशी अनिल कुमार को 1 लाख 14 हजार 714, जहानाबाद में अरुण कुमार को 86 हजार 380, झंझारपुर में गुलाब यादव को 73 हजार 884 वोट मिले थे. इसके अलावा बसपा को सासाराम में 45 हजार 598, गोपालगंज में 29 हजार 272, काराकाट में 23 हजार 657 वैशाली में 21 हजार 436 औरंगाबाद में 20 हजार 309 और वाल्मीकि नगर में 18 हजार 816 वोट मिले थे.
बसपा के रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि पार्टी के जोर लगाने पर इन लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 10 से 15 सीटों को जीता जा सकता है. ऐसे में हाथी मजबूत साथी की तलाश में जुट चुकी है. चुकि बिहार में अच्छा प्रदर्शन करने का फायदा फिर 2027 में यूपी चुनाव में भी मिलेगा.