बिहार की राजनीति कोई बाउवा का खेल नहीं हैं, जो सभी को आसानी से समझ में आ जाए, यहा बड़े से बड़े धुरंधर भी एक झटके में पटखनिया खा जाते हैं. आपने देखा होगा, देश की बड़ी पार्टी कही जाने वाली बीजेपी के कई बड़े सुरमा भी 2020 चुनाव के बाद दरकिनार हो गए. फिलहाल बिहार की राजनीति को नहीं समझ पाना एक तरह से नजर बंद का खेल है, और इस खेल में कही पे निगाहे और कही पे निशाना होता हैं. यानी दिखाया कुछ और किया कुछ जाता हैं.
चिराग पासवान के जीजा और जमुई सांसद अरुण भारती ने जब ये कहा कि चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ सकते हैं तो बिहार की सियासत में खलबली मच गई.
कही पे निगाहे कही पे निशाना
चिराग ने खुद भी कहा कि अगर पार्टी चाहती है तो वो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ सकते हैं. इतनी सी खबर विरोधी खेमे तो क्या JDU में भी आग लगाने के लिए काफी थी. क्योंकि JDU सांसद और मंत्री ललन सिंह ने 2022 में खुद कहा था कि JDU को नीचे गिराने के लिए चिराग मॉडल का इस्तेमाल किया गया. ऐसे में चिराग का विधानसभा चुनाव 2025 लड़ने का ऐलान जैसा बयान भी खलबली मचाने के लिए काफी था.
चिराग के बयान के बाद छिड़ गई नई बहस
इसके बाद तो बिहार में यहां तक बहस छिड़ गई, सवाल जवाब तक होने लगे कि चिराग बिहार की किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. सवाल ये भी उठे कि केंद्रीय मंत्रियों को राज्य के चुनाव में उतारना तो बीजेपी की रणनीति थी, इसे लोजपा रामविलास ने अपनी टेक्निक क्यों और किसलिए बनाया? बात तो चिराग पासवान के बिहार के डेप्युटी सीएम यानी उपमुख्यमंत्री पद तक की होने लगी है. लेकिन क्या ये सब कुछ वैसा ही है, जैसा दिख और बताया जा रहा है?
चिराग पासवान का चुनाव लड़ना केवल एक बहाना
राजनीतिक विश्लेषक सुनिल प्रियदर्शी ने चिराग पासवान के हालिया बयानों को देखते हुवे बताते हैं कि चिराग पासवान का फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का कोई इरादा ही नहीं है. जिस तरह से उपेन्द्र कुशवाहा अपने मुद्दों के साथ बिहार में महारैली कर रहे है ठीक उसी रेस में चिराग पासवान भी लगे हैं. और इन दोनों दलों के रैलियों के नाम भले ही कुछ और हो, मगर मनसा केवल शक्ति प्रदर्शन ही हैं. ताकि एनडीए में अपनी धाक जमी रहे हैं. चिराग भी इसी काम में लगे हुवे है. कुल मिलाकर चिराग पासवान अंदुरुनी प्रेशर बढ़ाकर 25 वाली सीट को 35 करने के जुगाड़ में लगे हैं.
सूत्र के अनुसार बीजेपी चिराग को बिहार विधानसभा चुनाव में 28 सीटें तक देने की सोच रही है. लेकिन चिराग पासवान चाहते हैं कि इन सीटों को किसी तरह, किसी भी दांव से 35 तक ले जाया जाए. चिराग का विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कहना उसी दांव का हिस्सा है. इसी को सियासत में प्रेशर पॉलिटिक्स भी कहा जाता है.