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राष्ट्रिय पंक्षी मोर का जलवा,नाचता है सबको पता है,मगर ये आग भी लगाता है, ये पहली बार देखा गया

द भारत :- राष्ट्रिय पंक्षी मोर है सुना था, वह नाचता है सुना था मगर आग भी लगा देता यह पहली बार देखा गया,सोशल मिडिया पर पर आग लगा देने वाला मोर, सोमवार को सुबह से सोशल मिडिया के ट्विटर हैंडल पर “राष्ट्रिय पंक्षी मोर है” सबसे टॉप पर ट्रेंड कर रहा है. अब से पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया था कि राष्ट्रिय पंक्षी मोर के लिए पूरा देश उमड़ पड़ा हो.

हालाँकि यह खबर ट्विटर पर ट्रेंड करने की मुख्य वजह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोर के साथ बिताये कुछ पल को साँझा किया है. इनके पोस्ट से ट्विटर हैंडल पर अनेको लोगो ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

राष्ट्रिय पंक्षी मोर को लेकर पूरा भारतीय इन्स्ताग्राम से लेकर ट्विटर पर उमड़ पड़ा है, सबने राष्ट्रिय पंक्षी मोर है लिखकर  अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. वही किसी ने लिखा कि, नानी तेरनी मोरनी को मोर ले गए, बाकि जो बचे थे, काले चोर ले गए.

आनन्द मनिन्दा लिखते है:- “मोर राष्ट्रीय पक्षी” है #ट्वीटर_ट्रेंड जारी है, “वन्य प्राणी सरंक्षण अधिनियम” के तहत घरों में मोर रखना, पालन करना कानूनन जुर्म है। 7 साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना है।

इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव मोर पालने को लेकर काफी सकते में आ गये थे, ऐसे में क्या देश के प्रधानमंत्री अपने पदों का दुरुपयोग कर उक्त कानून का उल्लंघन नहीं किया है?

क्यों राष्ट्रिय पंक्षी है मोर:- पंखो को फैलाए हुए मोर को कार्तिकेय (मुरुगन) का वाहन माना जाता है। ये ज़्यादातर खुले वनों में वन्यपक्षी की तरह रहते हैं। नीला मोर भारत और श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी है। नर की एक ख़ूबसूरत और रंग-बिरंगी फरों से बनी पूँछ होती है, विशेष रूप से बसन्त और बारिश के मौसम में जिसे वो खोलकर प्रणय निवेदन के लिए नाचता है,

मोर की मादा मोरनी कहलाती है। जावाई मोर हरे रंग का होता है। बरसात के मौसम में काली घटा छाने पर जब यह पक्षी पंख फैला कर नाचता है तो ऐसा लगता मानो इसने हीरों से जरी शाही पोशाक पहनी हुई हो; इसीलिए मोर को पक्षियों का राजा कहा जाता है।

पक्षियों का राजा होने के कारण ही प्रकृति ने इसके सिर पर ताज जैसी कलंगी लगायी है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। हमारे पड़ोसी देश म्यांमार का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर ही है। ‘फैसियानिडाई’ परिवार के सदस्य मोर का वैज्ञानिक नाम ‘पावो क्रिस्टेटस’ है। अंग्रेजी भाषा में इसे ‘ब्ल्यू पीफॉउल’ अथवा ‘पीकॉक’ कहते हैं।

संस्कृत भाषा में यह मयूर के नाम से जाना जाता है। मोर भारत तथा श्रीलंका में बहुतायत में पाया जाता है। मोर मूलतः वन्य पक्षी है, लेकिन भोजन की तलाश इसे कई बार मानव आबादी तक ले आती है। मोर प्रारम्भ से ही मनुष्य के आकर्षण का केन्द्र रहा है। राजा-महाराजाओं को भी मोर बहुत पसंद रहा है।

मोरो को पालने वाले मोरिय कहलाये, आगे चलकर मोरिय के नाम से एक गणराज्य (भारत,नेपाल का तराई क्षेत्र और पाकिस्तान का भू भाग) की सथापना हुई जहा के राजा महामानव तथागत गौतम के पिता राजा सुध्योधन थे. मोर राजाओ महाराजाओ के दरबार में अक्सर देखने को मिलते थे.

प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के राज्य में जो सिक्के चलते थे, उनके एक तरफ मोर बना होता था।चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान के सिंघासन के दोनों इर्द गिर्द मोर बने रहे थे, मुगल बादशाह शाहजहाँ जिस तख्त पर बैठते थे, उसकी संरचना मोर जैसी थी।

दो मोरों के मध्य बादशाह की गद्दी थी तथा पीछे पंख फैलाये मोर। हीरों-पन्नों से जरे इस तख्त का नाम तख्त-ए-ताऊस’ रखा गया। अरबी भाषा में मोर को ‘ताऊस’ कहते हैं।

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