द भारत:- आसान नहीं होता है सदियों से सहने, दबे और हाशिए पर रहने को अपनी नियति मान चुके वंचितों को जगाना, उन्हें समान होने का विश्वास दिलाना! यह वह मैसेज है जो राजद की तरफ से पार्टी के संस्थापक लालू प्रसाद को उनके 75वें जन्मदिन के अवसर पर ट्विटर पर पोस्ट किया गया है.
मैसेज में लिखी गई बातें साफ बताती है कि कैसे लालू प्रसाद ने अपने राजनीतिक सफर में उन दबे कुचले लोगों, जो कि खुद हाशिए पर रहने को अपनी नियति मान चुके थे, उन्हें समाज में समान होने का विश्वास दिलाया। आज भी यह सफर जारी है.
लालू प्रसाद आज अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं. करीब 5 साल बाद अपने समर्थकों के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके बर्थडे पर पार्टी की तरफ से व्यापक स्तर पर आयोजन किया जा रहा है.
लालू प्रसाद के जन्मदिन को लेकर पार्टी में कितना उत्साह है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश कार्यालय को हरे रंग की रोशनी में रंग दिया गया है. पार्टी ऑफिस को दुल्हन की तरह सजाया गया है. राजधानी पटना में राजद कार्यकर्ताओं ने सड़क किनारे पोस्टर भी लगाए हैं.
राजद कार्यालय के सामने भी कई तरह के पोस्टर कार्यकर्ताओं द्वारा लगाया गया हैलालू प्रसाद आज अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं। करीब 5 साल बाद अपने समर्थकों के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके बर्थडे पर पार्टी की तरफ से व्यापक स्तर पर आयोजन किया जा रहा है.
लालू प्रसाद के जन्मदिन को लेकर पार्टी में कितना उत्साह है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे प्रदेश कार्यालय को हरे रंग की रोशनी में रंग दिया गया है. पार्टी ऑफिस को दुल्हन की तरह सजाया गया है. राजधानी पटना में राजद कार्यकर्ताओं ने सड़क किनारे पोस्टर भी लगाए हैं. राजद कार्यालय के सामने भी कई तरह के पोस्टर कार्यकर्ताओं द्वारा लगाया गया है.
लालू प्रसाद की जीवन यात्रा अनेक उतार-चढ़ावों, उपलब्धियों और विफलताओं से भरी रही है, जिसमें उन्हें ढेर सारा प्यार मिला, तो तीखी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा।’ लालू प्रसाद यादव के बारे में ये बातें सोनिया गांधी ने ‘गोपालगंज टू रायसीना : माई पॉलिटिकल जर्नी’ किताब के प्रस्तावना में कही है. उनके जीवन की राजनीतिक यात्रा पर केंद्रित इस किताब को नलिन वर्मा और लालू यादव ने लिखा है.
लालू प्रसाद ने अपनी जीवनी ‘गोपालगंज टू रायसीना’ में लिखा है कि मेरा जीवन बेहद मामूली ढंग से शुरू हुआ. मेरे आसपास सब कुछ इतना साधारण था कि उससे साधारण कुछ और हो ही नहीं सकता. उन्होंने बताया, ‘हम लगातार इसी भय में जीते थे कि हमारे सिर के ऊपर की छत कोई तूफान न उड़ा ले जाए या बरसात में उससे पानी न चूने लगे.
चारा घोटाला का दाग आज भी नहीं मिटा: 1995 में बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए लालू प्रसाद पर पशुपालन विभाग में 950 करोड़ रुपए का चारा घोटाला का आरोप लगा. यह वह घोटाला था, जिसने लालू प्रसाद की पूरी जिंदगी बदल दी.
पहले मुख्यमंत्री का पद गंवाया. फिर कई बार जेल भी जाना पड़ा. अब भी इस घोटाले की जांच पूरी नहीं हुई है और लालू प्रसाद 28 साल बाद भी इस घोटाले के दाग को मिटा नहीं सके हैं. इस घोटाले के कारण लालू प्रसाद की छवि एक भ्रष्ट नेता की बन गई.