द भारत: भाकपा माले के राष्ट्रीय महाधिवेशन की उपलब्धि क्या रही. यह अंतिम दिन यानी 20 फरवरी को पता चलेगा. लेकिन महाधिवेशन में यह मांग उठने लगी कि तमाम लेफ्ट पार्टियों को मिलकर एक लेफ्ट पार्टी बना लेनी चाहिए. यह मांग मार्क्सवादी समन्वय समिति के प्रेसीडेंट अरुप चटर्जी ने की है.
विचारधारा में थोड़े अंतर की वजह से सभी अलग-अलग: अरुप चटर्जी ने एक निजी चैनल से बात चित में बताया कि छोटी-छोटी जितनी भी लेफ्ट की पार्टियां हैं देश भर में थोड़ी, थोड़ी विचारधारा और नेतृत्व के मुद्दे पर ये सभी अलग-अलग हैं. आज समय की जरूरत है कि सभी लेफ्ट पार्टियों को मर्ज करके एक लेफ्ट पार्टी ऑफ इंडिया बनायी जाए
बहस करके गतिरोध को खत्म किया जाए: वे कहते हैं कि हम आशा करते हैं कि भविष्य में लेफ्ट की राजनीति को जिंदा रखना है और आगे बढ़ाना है तो लेफ्ट की सभी पार्टियां को मिलकर एक हो जाना चाहिए. इसमें दिक्कत क्या है? इस सवाल पर अरुप चटर्जी कहते हैं कि हमें लगता है जमीनी स्तर पर कोई दिक्कत इसमें नहीं है, दिक्कत लीडरशिप को लेकर है. इसको गतिरोध को बहस करके खत्म किया जाए.
टकराव सबसे ज्यादा पद को लेकर: लेफ्ट की सभी पार्टियों को मर्ज करके एक लेफ्ट एक पार्टी बनती है तो पद को लेकर टकराव होगा कि कौन व्यक्ति कौन सा पद लेगा? इस सवाल पर अरुप चटर्जी कहते हैं कि हां टकराव सबसे ज्यादा इसी बात को लेकर है, जिस कारण लेफ्ट अलग-अलग बंटी हुई है. लेकिन अगर लेफ्ट राजनीति को जिंदा रखना है तो तमाम बातों को छोड़कर आगे बढ़ना ही होगा.
लेफ्ट की ये तीनों पार्टियां सबसे खास: बता दें बिहार में तीन प्रमुख लेफ्ट पार्टियां हैं- सीपीएम, सीपीआई और सीपीआई एमएल. देश में इसके अलावा अन्य कई छोटी-छोटी लेफ्ट पार्टिया भी हैं. लेकिन खास तौर पर विलय का मामला इन्हीं तीनों के बीच सबसे पहले होगा! ये तीनों एक हो गईं तो छोटी-छोटी अन्य पार्टियां भी एक अम्ब्रेला के नीचे आ सकती हैं.