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CPI, NCP समेत इन पार्टियों का गिरा वोट बैंक ग्राफ: चुनाव आयोग ने छिन लिया राष्ट्रीय पार्टी का तमगा

चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रे सीपीआई और (CPI,NCP) से नेशनल पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है. इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर देशभर में 6 प्रतिशत से कम हुआ है. इससे पहले BSP से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया गया था.

CPI, NCP बाहर कर दिया गया

शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी एनसीपी (NCP) का दर्जा अब राष्ट्रीय पार्टी का नहीं रहा, जबकि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो गया है. सोमवार को चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय पार्टियों की एक नई सूची जारी की है जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया सीपीआई (CPI) और ममता की टीएमसी को भी इस सूची से बाहर कर दिया गया है.

नगालैंड की स्टेट पार्टी का दर्जा मिला

लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को नगालैंड की स्टेट पार्टी का दर्जा मिला है. जबकि त्रिपुरा में स्टेट पार्टी के तौर पर हाल ही में बनी टिपरा मोथा को जगह मिली है. वॉइस ऑफ़ पीपुल पार्टी का मेघालय में स्टेट पार्टी होने का दर्जा भी छिन गया है.


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बीआरएस का आंध्र प्रदेश की स्टेट पार्टी का दर्जा भी ख़त्म कर दिया गया है. हाल ही में के. चंद्रशेखर राव की टीआरस का नाम परिवर्तन कर बीआरएस बनाया गया था. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में आरएलडी का स्टेट पार्टी का दर्जा चला गया है. पश्चिम बंगाल में आरएसपी (रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी) का भी स्टेट पार्टी का दर्जा ख़त्म कर दिया गया है.

वही चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (AAP) को नेशनल पार्टी का दर्जा दिया है. नेशनल पार्टी के लिए AAP को गुजरात या हिमाचल में 6% से ज्यादा वोट शेयर पाने की जरूरत थी. गुजरात में AAP को करीब 13% वोट शेयर मिला है. ऐसे में वह नेशनल पार्टी बन गई है. किसी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी होता है. AAP इससे पहले 3 राज्यों दिल्ली, पंजाब और गोवा में 6% से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर चुकी है.

क्या कहते हैं नियम

किसी पार्टी को निम्‍न तीन नियमों में से कम से कम एक पूरा करने के आधार पर राष्‍ट्रीय पार्टी का तमगा दिया जाता है.

  1. पहला: पार्टी को कम से कम चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल हुआ हो.
  2. दूसरा: लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिली हों.
  3. तीसरा: पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो.

राष्ट्रीय पार्टी को मिलने वाले फायदे

  1. राष्ट्रीय पार्टियां अपना सिंबल या चुनाव चिन्ह देश भर में सुरक्षित कर सकती हैं.
  2. राष्ट्रीय पार्टियां चुनाव प्रचार में अधिकतम 40 स्टार प्रचारक रख सकती हैं साथ ही इनके यात्रा खर्च को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं रखा जाता है.
  3. राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय पार्टियों को सब्सिडी दर पर पार्टी अध्यक्ष और पार्टी कार्यालय के लिए एक सरकारी बंगला किराए पर मिलता है.
  4. आम चुनावों के दौरान राष्ट्रीय पार्टियों को आकाशवाणी पर प्रसारण के लिए ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट बैंड्स मिलते हैं. यानी राष्ट्रीय पार्टियों को सरकारी चैनलों पर दिखाए जाने का समय तय होता है.

राष्ट्रीय पार्टियों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की जरूरत होती है. अन्य पार्टियों को 2 प्रस्तावक चाहिए. अनरिकग्नाइज्ड पार्टियों और निर्दलीयों को 5 प्रस्तावकों की जरूरत होती है. राष्ट्रीय पार्टियों को मतदाता सूची के दो सेट मुफ्त में दिए जाते हैं. साथ ही इनके उम्मीदवारों को आम चुनावों के दौरान एक प्रति मुफ्त मिलती है.

भारत में पॉलिटिकल पार्टी को चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड कराना पड़ता है. भारत में कोई भी चुनाव लड़ सकता है और अपनी पॉलिटिकल पार्टी बना सकता है। भारत में कुल 2,858 पार्टियां हैं. इनकी 3 कैटेगरी है…

गैर मान्यता प्राप्त पार्टी

  1. ऐसी पार्टियां जो चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड होती हैं, लेकिन इन्हें मान्यता नहीं मिली होती. क्योंकि या तो ये बहुत नई होती हैं या इन्होंने इतने वोट हासिल नहीं किए होते कि क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा दिया जा सके. भारत में ऐसी लगभग 2,796 पार्टियां हैं.
  2. क्षेत्रीय पार्टी: जिन्हें चुनाव आयोग से राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा मिला है. भारत में ऐसी 59 पार्टियां हैं.
  3. राष्ट्रीय पार्टी: जिन्हें चुनाव आयोग ने नेशनल पार्टी का दर्जा दिया है.

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