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caste census: जातीय गणना पर रोक वाली याचिका: SC सुनवाई को तैयार, 28 अप्रैल को होगी सुनवाई: जानिए क्यों जरुरी है जातीय गणना

बिहार में जातीय गणना (caste census) पर सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. जातीय गणना की रोक वाली याचिका पर 28 अप्रैल को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जनगणना क्षेत्र केंद्र सरकार का है. बिहार सरकार के पास जातीय गणना का अधिकार नहीं है. याचिका में इस संविधान के मूल अधिकारों का हनन बताया गया है.

हालाँकि सही मायने में यहाँ कहा जाये कि जातीय गणना (caste census) करने से यह आकड़ा साफ़ हो जायेगा कि किस समुदाय (दलित पिछड़े अल्पसंख्यक) की कितनी आबादी निवास करती है बिहार में. और इनकी वास्तविक स्थिति क्या है. आपको बता दें कि किस भी राज्य या देश के बजट इन्ही आकड़ो के आधार पर पेश किये जाते हैं.


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जरा सोचिये यदि ये आकड़े साफ नहीं हो तो कोई भी सरकार किस आधार पर बजट पास करेगी. यदि बिना डेटा के कोई भी बजट पास भी हो जाये तो किसे क्या मिला कैसे पता चलेगा. और फिर कैसे सबका साथ सबका विकास संभव हैं.

फ़िलहाल बिहार में कुछ वर्ग जातीय गणना के खिलाफ है उनका कहना हैं कि 

1. जनगणना कराना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. राज्य सरकार इसे नहीं करा सकती.
2. ट्रांसजेंडर की कोई जाति नहीं होती. यह जेंडर है, इसे बिहार में जाति में बांट दिया गया है, जो गलत है.
3. कई जातियों को उनके मूल जातियों से हटा दिया गया है.

दूसरी बार लगी याचिका

अखिलेश सिंह समेत 10 से 12 लोग याचिकाकर्ता हैं. जातीय गणना रोकने के लिए पहले भी याचिका लगाई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए हाई कोर्ट जाने के लिए कह दिया था. इसके बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई. दलील दी गई कि अगर इस पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई तो जातिगत जनगणना पूरी हो जाएगी. फिर इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

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