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विद्यालय संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए

विद्यालय संस्कृति वो हैं जो विद्यालय एक सही दिशा और साझा संस्कृति का विकास करने तथा उसे कायम रखने में सक्षम होता है. वह जानता है कि सीखने के लिए प्रभावी वातावरण विकसित करने में संस्कृति के कौन से पहलू महत्वपूर्ण होते हैं. वह अपने विद्यार्थियों को ये मूल्य जानबूझ कर सौंपता है. सामूहिक जागरूकता और कार्यवाही के माध्यम से, विद्यार्थियों के सीखने और उपलब्धि को बढ़ाने के लिए संस्कृति का सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है.

विद्यार्थियों और अन्य हितधारकों के लिए

चाहे छोटे कामों के माध्यम से जैसे सार्व जनिक समारोहों में उप लब्धियों का उत्सव मनाना, या अधिक बड़े पैमाने की परि योजनाओं से जैसे पाठ्य चर्या के सुधार में योगदान करने के लिए शिक्षकों, विद्या र्थियों और अन्य हित धारकों के लिए प्रजा तांत्रिक  प्रक्रिया विकसित करना.

सीखने और उपलब्धि के लिए संस्कृति का प्रयोग

यद्यपि वह स्थिर दिखाई देती है संस्कृति एक गतिशील अंतराल है जो कानूनों, नीतियों और नेतृत्व के परि वर्तनों से प्रभा वित होता है. इसलिए ‘विद्या लय प्रमुख‘ का इस बात से अवगत रहना कि विद्या लय की संस्कृति को क्या चीज प्रभा वित करती या बदलती है. चाहे जानबूझ कर या उसके बिना, और यह सु निश्चित करना जरूरी है कि सीखने और उपलब्धि के लिए संस्कृति को कभी जोखिम में न रखा जाय.

अनु संधान दर्शाता है कि यह सुनिश्चित करने में कि संस्कृति विद्या र्थियों की उपलब्धि का समर्थन करे, विद्या लय प्रमुख की महत्व पूर्ण भूमिका होती है (मैकनेल और अन्य, 2009). लेकिन – जैसा कि बुलाक (2001) ने पहचाना है– कि विद्यालय प्रमुख को संस्कृति को बदलने का प्रयास करने से पहले उसे पहचानना चाहिए.


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सकारात्मक विद्यालय संस्कृति को मोटे तौर पर निम्नलिखित को शामिल करके परिभाषित किया जा सकता है ( चरित्र शिक्षा सहयोग, 2010)

सामाजिक वातावरण, जिसमें एक सुरक्षित और देखभाल करने वाला वातावरण शामिल है जहाँ सभी विद्यार्थी आमंत्रित और मह्त्व पूर्ण महसूस करते हैं, और अपने विद्या लय के प्रति अपनापन महसूस करते हैं, इससे विद्यार्थियों को उनके नैतिक विकास में मदद मिलती है.

बौद्धिक वातावरण, जिसमें हर कक्षा के सभी विद्या र्थियों को उनका सर्वो त्तम कार्य प्रदर्शन करने और गुणवत्ता पूर्ण काम करने के लिए सहयोग और चुनौती दी जाती है; इसमें एक समृद्ध, कड़ी और जुड़कर करने वाली पाठ्यचर्या, और इसे पढ़ाने के लिए योग्य व शक्ति शाली अध्यापक समूह शामिल है.

समस्याओं का समाधान करने और विद्यालय के वातावरण

नियम और नीतियाँ जो विद्यालय के सभी सदस्यों को सीखने और व्यवहार के उच्च मानकों के लिए उत्तर दायी ठहराती हैं परम्पराएं और दिन चर्याएं उन साझा मूल्यों से निर्मित जो विद्या लय के शैक्षणिक और सामाजिक मानकों का सम्मान और उन्हें सुदृढ़ करती हैं.

संरच नाएं स्टाफ और विद्यार्थियों को समस्या ओं का समाधान करने और विद्या लय के वाता वरण और उनके सामान्य जीवन को प्रभा वित करने वाले निर्णय लेने में और उसके लिए साझा उत्तर दायित्व प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों के सीखने और चरित्र के विकास में सहायता करने के लिए माता-पिता के साथ प्रभावी ढंग से काम करने के तरीके संबंधों और व्यवहार के लिए नियम जो उत्कृष्टता और नैतिक परिपाटी की व्याव सायिक संस्कृति की रचना करते हैं.


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शैक्षणिक और सामाजिक

इस परिभाषा में विद्यालय का संपूर्ण जीवन, शैक्ष णिक और सामाजिक दोनों, शामिल है. तथापि प्रत्येक बड़े निशान को विद्यार्थियों के सीखने पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते देखा जा सकता है, चाहे वह उत्कृष्टता की संस्कृति के विकास के माध्यम से हो, या विद्यार्थियों को सुरक्षित होने और सुने जाने की अनुभूति प्रदान करना सुनिश्चित करके हो.

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) इसे यह कहकर पहचानती है कि ‘‘विद्या लयों को यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभानी है कि बच्चों को एक स्वाव लंबन, संसाधन पूर्णता, शांति की ओर उन्मुख मूल्यों और स्वास्थ्य की संस्कृति में सामाजी कृत किया जाय‘.

विद्यालय संस्कृति का विकास करने के सन्दर्भ में विशेष महत्व

अभी हाल में, शिक्षा का अधिकार कानून 2009 (RTE) की धारा 17 को सकारात्मक विद्या लय संस्कृति का विकास करने के सन्दर्भ में विशेष महत्व का पाया गया है, क्योंकि वह कहती है कि ‘किसी भी बालक को शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा या उसका मानसिक उत्पीड़न नहीं किया जाएगा’.

यह विद्या लय नेतृत्व को विद्या लय के सभी बच्चों के लिए एक सक्षम कारक और सुगम करने वाला स्थान बनाने पर ध्यान देने को कहता है, जिससे एक तनाव-मुक्त, बाल-मित्रवत, शिक्षण पर केंद्रित कक्षा वातावरण प्रदान किया जा सके, जिसके लिए अनुशासन, दंड और विद्यार्थी-शिक्षक संबंधों के खयालों को पुन र्परि भाषित करने की जरूरत है.

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