शिक्षा का उद्देश्य: विभिन्न दर्शनिक ने शिक्षा का अच्छा व्याख्या (Explain Education) कि समाज सुधारको तथा शिक्षामित्रों ने व्याक्ति तथा समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को निर्धारित किया है. जिसमे मुख्य रूप से तीन उद्देश्यों को निम्नलिखित में वर्णन किया गया है.
(1.) ज्ञान अर्जन का उद्देश्य, (2.) चरित्र निर्माण का उद्देश्य या चरित्र का विकास, (3.)जीविकोपार्जन का उद्देश्य व्यवसायिक
1. ज्ञान अर्जन का उद्देश्य
शिक्षा में ज्ञानार्जन के उद्देश्य के प्रतिपादक सुकरात, प्लेटो, अरस्तु, दांते, तथा बेकन आदि आदर्श वादी संप्रदायिक के विद्वानों ने किया है इन सभी का मानना है कि ज्ञान से ही सभी मनुष्यों का संपूर्ण विकास होता है वह ज्ञान से ही अपने जीवन में सुखी से एवं शांति पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करता है इस प्रकार कह सकते हैं कि ज्ञान अर्जन हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और या शिक्षा के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है अतः शिक्षा जगत में ज्ञान अर्जन का महत्वपूर्ण स्थान है.
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2. चरित्र निर्माण का उद्देश्य या चरित्र का विकास
शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य बालक का चरित्र का विकास करना होता है। चरित्र का अर्थ है आंतरिक दृढ़ता और एकता. चरित्रवान व्यक्ति अपने जीवन में जो भी कार्य करता है वह उसके आदेशों से तथा सिद्धांतों के अनुसार होता है. शिक्षा का उद्देश्य यह होना चाहिए कि मानव की प्रवृत्तियों का परिमार्जन हो. जिससे उसके आचरण नैतिक बन जाए. हरबर्ट का इस बारे में यह विचार है कि बालक जन्म से ही कभी सदाचारी नहीं होता.
उसकी सारी प्रवृतियां मानवीय होती है. बालक का नैतिक विकास करने के लिए उसकी दानवीयें प्रवृत्तियों को छोड़ना आवश्यक होता है. शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा उसके मन में पुण्य के प्रति प्रेम, पाप के प्रति घृणा, उत्पन्न करके बालक के अंदर प्रेम, सहानु भूति, दया, सद्भावना, न्याय आदि सामाजिक एवं नैतिक गुणों को विकसित करके उसको चरित्रवान बनाया जा सकता है.
3. जीविकोपार्जन का उद्देश्य व्यवसायिक
शिक्षा को केवल ज्ञान और संस्कृति से ही अलंकृत करना उचित नहीं है. शिक्षा का उद्देश्य (Explain Education) व्यव सायिक भी होना चाहिए. वर्तमान युग में व्यक्ति के समक्ष जीविका का समस्या प्रमुख समस्या है. रोटी कपड़ा और मकान यह एक प्रमुख समस्या है अगर व्यक्ति स्वयं के लिए शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद भी यह सभी प्राप्त नहीं कर सकता है तो उनकी शिक्षा व्यर्थ है.
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अतः आधुनिक शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य (Explain Education) व्यव सायिक अथवा जीविको पार्जन होना चाहिए. इस उद्देश्य को सामने रखकर अधिकांश माता-पिता अपने बालकों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल भेजते हैं. जिससे वे शिक्षा प्राप्त करके किसी नौकरी में आ जाए और अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।