बिहार सरकार (Bihar News) ने अंचलाधिकारी (सीओ) से जमाबंदी का काम छीनकर अब DCLR और एडीएम को सौंप दिया है. विवादित और लंबित जमाबंदी और दाखिल खारिज के मामले में यह बदलाव किया गया है.
पुराने मामले को डीसीएलआर और एडीएम देखेंगे. इन्ही के हरी झंडी के बाद जामबंदी होगी. डिजिटाइजेशन के बाद बिहार में जमाबंदी के 9 लाख 56 हजार मामले लंबित हैं.
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माफिया तत्व और दलालों से मिलेगी निजात
बिहार (Bihar News) राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता (Alok Mehta) ने कहा है कि जमाबंदी पंजी को ऑनलाइन करने के दौरान हुई गलतियों को सुधारने के लिए परिमार्जन पोर्टल काम कर रहा है. लेकिन विभाग को यह शिकायत मिल रही थी कि बची हुए जमाबंदी को डिजिटलाइज करने के नाम पर कई तरह की अनियमितता बरती जा रही है.
9.65 लाख छूटी हुई जमाबंदी को डिजिटाइज और ऑनलाइन किया गया है. कई प्रकार के माफिया तत्व और दलालों के इस काम में सक्रिय होने की जानकारी मिल रही थी. इस प्रकार की गड़बड़ी पर रोक लगाने के लिए हमने विभाग को उचित कदम उठाने का आदेश दिया है। ताकि पूरी जांच पड़ताल के बाद ही आगे जमाबंदी कायम करने का काम किया जाए.
मंत्री आलोक मेहता ने कहा
जिन जमाबंदीयों को छूटी हुई बताकर ऑनलाइन किया गया है, नियम संगत नहीं पाए जाने पर संबंधित सीओ एवं जमाबंदी रैयत पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि डिजिटाइजेशन के लिए बड़ी संख्या में जमाबंदी पूरी तरह से छूट गई थी.
इस संबंध में हाल ही में विभाग ने सभी डीएम को पत्र लिख कर भविष्य में इन छूटी हुई जमाबंदी को डिजिटलाइज और ऑनलाइन करने से पहले अंचल अधिकारी को भूमि सुधार उप समाहर्ता की अनुमति लेने को कहा है.