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Star Health Claim Reject: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सूरत जिला उपभोक्ता निवारण आयोग ने एक निजी स्वास्थ्य बीमाकर्ता स्टार हेल्थ को कोविड-19 मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के क्लेम को अस्वीकार करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय पूरी तरह से इलाज करने वाले डॉक्टर पर निर्भर करता है, न कि बीमा कंपनी पर.
गुजरात के तापी जिले के व्यारा निवासी अमित कुमार गोयल के पक्ष में उपभोक्ता अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है. अमित कुमार के अस्पताल के बिल 86,250 रुपये के मेडिक्लेम को स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी ने ‘एडमीशन नॉट रिक्वायर्ड’ का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था. मामले की सुनवाई में उपभोक्ता अदालत ने स्टार हेल्थ को फटकार लगाई है.
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अमित गोयल ने 30 अप्रैल 2020 से 29 अप्रैल 2021 की अवधि के लिए बीमा कंपनी स्टार हेल्थ से 10 लाख रुपये के कवरेज वाली मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदी थी. 18 नवंबर 2020 को उन्हें सूरत के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें वायरल निमोनिया और कोविड -19 का पता चला था. उपचार के बाद उन्हें 25 नवंबर को छुट्टी दे दी गई. हालांकि, 22 फरवरी 2021 को कंपनी ने उनके दावे को खारिज कर दिया, जिसके बाद गोयल ने मानसिक उत्पीड़न और अस्पताल के खर्च के लिए मुआवजे की मांग करते हुए उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था.
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मामले की सुनवाई के बाद उपभोक्ता अदालत ने स्टार हेल्थ को फटकार लगाई और टिप्पणी में कहा कि केवल डॉक्टर ही अस्पताल में भर्ती होने के बारे में निर्णय ले सकते हैं, बीमा कंपनी नहीं. अदालत ने बीमा कंपनी को 86,250 रुपये के क्लेम का भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज के साथ करने का आदेश दिया है. साथ ही मानसिक उत्पीड़न के लिए अतिरिक्त 3,000 रुपये भी देने को कहा है.