National Politics: उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक पार्टियां दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए कमर कस चुकी हैं. करीब 21 फीसदी आबादी के साथ देश के दूसरे सबसे बड़े दलित वोट बैंक वाले सूबे में 18 सीटें शेड्यूल्ड कास्ट के लिए सुरक्षित हैं. यह आंकड़ा बीजेपी के ‘मिशन-80’ के लिए काफी अहम है.
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यही वजह है कि बिहार की राजनीति में लगभग हाशिए पर पहुंच गए चिराग पासवान अब यूपी की राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं और NDA के हनुमान बनकर अपनी भूमिका में उतर भी चुके हैं. उत्तर प्रदेश के कौशांबी में दिल दहला देने वाले सामूहिक दलित हत्याकांड के बाद NDA की तरफ से चिराग पासवान ही वहां पहुंचे और पीड़ित परिवार से मिले. यूपी की कौशांबी लोकसभा सीट दलित बाहुल्य है और यहां दलित मतदाताओं का आंकड़ा करीब 36 फीसदी है.
सपा ने चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर अपनाया PDA फॉर्मूल
देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य यूपी में दलित वोटर बसपा का कोर वोटर रहा है. लेकिन बसपा के कमजोर पड़ने के साथ ही सभी पार्टियां दलित वोटर को अपने साथ जोड़ने में लगी हुई हैं. समाजवादी पार्टी ने हाल ही में घोसी विधानसभा में हुए उपचुनाव के दौरान अपने PDA फॉर्मूले का टेस्ट भी किया.
इससे पहले भी उन्होंने खतौली उपचुनाव के वक्त चंद्रशेखर आजाद के समर्थन से इस फॉर्मूले का प्रयोग किया था. बीजेपी ने पिछले कुछ समय से सूबे में गैर जाटव दलित वोटों को अपने साथ जोड़ने में सफलता हासिल की है और अब वह इस नंबर को बढ़ाना चाहती है.
अखिलेश के PDA की काट चिराग पासवान में ढूंढ रही बीजेपी
चिराग पासवान को एनडीए द्वारा उत्तर प्रदेश में सक्रिय करने के पीछे एक बड़ी रणनीति है. दरअसल, मायावती और चंद्रशेखर आजाद दोनों ही जाटव समाज से आते हैं.ऐसे में चिराग पासवान के जरिए एनडीए गठबंधन यहां गैर जाटव दलित समाज को टारगेट कर रही है. बीजेपी के ओर से अखिलेश यादव के PDA फॉर्मूले की काट के तौर पर ये खास रणनीति अपनाई गई है.
सपा को घोसी के चुनाव में दलित वोटर्स के जरिए मिली सफलता ने बीजेपी खेमे में टेंशन बढ़ा दी है. इसलिए भी बीजेपी अखिलेश यादव के PDA फॉर्मूले की काट चिराग के सहारे तलाश रही है. इसलिए कौशांबी की घटना के बाद बीजेपी ने सपा और कांग्रेस से पहले चिराग के नेतृत्व में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया था.
मायावती के कमजोर होने का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश
National Politics: दरअसल, यूपी में चिराग को सक्रिय करने की बीजेपी की रणनीति को एक और आंकड़े के जरिए समझा जा सकता है. बीते चुनावों में मायावती की जाटव वोट पर पकड़ कमजोर होती चली गई है. मायावती को 2017 के विधानसभा चुनाव में करीब 87 फीसदी जाटव वोट मिले थे. लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में करीब 65 फीसदी जाटव वोट ही उनको मिले.
National Politics: राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि मायावती को बीते चुनाव में मिले दलित वोट 12.8 वोट में से करीब 8 से 9 फीसदी वोट जाटव वोट हैं. इससे समझा जा सकता है कि जाटव के अलावा दलित समाज के अन्य वोटर्स मायावती की सक्रियता कम होने के कारण बसपा का साथ छोड़ रहे हैं. इन्हीं वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी रणनीति बना रही है. उत्तर प्रदेश में दलित समाज के अंदर गैर जाटव उपजातियों की संख्या 60 से ज्यादा है. बीजेपी की रणनीति है कि बसपा का साथ छोड़कर आने वाले इस वोटर को समय रहते साधा जाए.
चिराग के कौशांबी दौरे से गैर जाटव वोटों को साधने की कोशिश
उत्तर प्रदेश में करीब 55 फीसदी दलित वोटर जाटव बिरादरी से आता है जो बसपा का कोर वोटर रहा है. बाकी के गैर जाटव वोटर को बीजेपी ने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अपनी ओर करने में सफलता हासिल की है. चिराग पासवान भी गैर जाटव समुदाय से आते हैं. उनके पिता और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रहे रामविलास पासवान भी अपने राजनीतिक शिखर में यूपी में इतने एक्टिव नहीं रहे, जितना फिलहाल चिराग दिख रहे हैं.
मोदी ने दिए हनुमान बनाने के संकेत, चिराग ने संभाली कमान
National Politics: खास बात ये है कि एनडीए में चिराग पासवान अभी बड़े दलित चेहरे के तौर पर हैं. चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान की पहचान बड़े दलित चेहरे के तौर पर ही थी. रामविलास पासवान दलित चेहरे के तौर 80 के दशक से सक्रिय रहे हैं. लेकिन उनके निधन के बाद चिराग पासवान उनकी विरासत संभाल रहे हैं. हिंदी पट्टी की बात करें तो चिराग पासवान एक जाना पहचाना नाम है. ऐसे में बीजेपी चिराग पासवान को उत्तर प्रदेश और बिहार में दलित वोट को साधने के लिए आगे करने की रणनीति पर काम कर रही है.
जुलाई 2023 में NDA की मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिराग पासवान को गले लगाकर उन्हें अपना ‘हनुमान’ बनाने का संकेत दिया था. चिराग ने पीएम के पैर छूकर जिम्मेदारी उठाने का इशारा कर दिया था. सियासत में इशारों में काफी कुछ कहा-समझा जाता है. इस नजर से देखें तो चिराग ने यूपी में सक्रियता बढ़ाकर इसकी शुरुआत भी कर दी है.