बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने कुछ महीने पहले भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. मंगलवार को मायावती ने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर से हटा दिया.
मायावती ने उनको हटाने के पीछे अपरिपक्वता बताया है. मायावती ने ‘पूर्ण परिपक्वता’ हासिल करने तक उन्हें अपने उत्तराधिकारी की ज़िम्मेदारियों से भी मुक्त कर दिया है.
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एक के बाद एक तीन पोस्ट
उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर एक के बाद एक तीन पोस्ट किए. उन्होंने कहा कि विदित है कि बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान, स्वाभिमान और सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेन्ट है, जिसके लिए मान्यनीय श्री कांशीराम जी और मैंने खुद भी अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की है. इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है.
2. इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, श्री आकाश आनन्द को नेशनल कोओर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।
— Mayawati (@Mayawati) May 7, 2024
Mayawati ने लिखा, “इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, श्री आकाश आनन्द को नेशनल कोऑर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम ज़िम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है. जबकि इनके पिता श्री आनन्द कुमार पार्टी व मूवमेन्ट में अपनी ज़िम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे.
आकाश आनंद के पिता पर मायावती को भरोसा
आकाश आनंद मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं. इसी क्रम में पार्टी में अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही आकाश आनन्द को नेशनल कोओर्डिनेटर और अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी और मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है.
जबकि इनके पिता आनन्द कुमार पार्टी और मूवमेन्ट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेंगे. अतः बीएसपी का नेतृत्व पार्टी और मूवमेन्ट के हित में एवं बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर के कारवां को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का त्याग और कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटने वाला है.
आकाश आनंद के आक्रामक भाषणों से किसे हो रहा था घाटा?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती और उनकी पार्टी के लिए ये लोकसभा चुनाव करो या मरो का चुनाव है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ी थी. पार्टी ने दस सीटें जीती थीं लेकिन इसे सिर्फ़ 3.67 फीसदी वोट मिले थे. वहीं 2009 के चुनाव में इसने 21 सीटें जीती थीं. जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में यूपी में वो सिर्फ एक सीट जीत पाई.
बीएसपी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ अपने सुर नरम कर लिए थे
चुनाव में इस निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बीएसपी ने बीजेपी के ख़िलाफ़ अपने सुर नरम कर लिए थे. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता कहते हैं कि मायावती के बीजेपी से गठबंधन के कयास लगाए जाते रहे हैं. पिछले कुछ अर्से से बीएसपी बीजेपी के प्रति कम आक्रामक दिखी है.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “इस चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद जिस तरह से आक्रामक शैली में भाषण दे रहे थे उससे उन्हें समाजवादी पार्टी को फायदा होता दिख रहा था. शायद यही वजह है कि मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल को-ऑर्डिनेटर के पद से हटाकर हालात संभालने की कोशिश की है.