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Lok Sabha Election fourth phase: बिहार की 5 सीटों पर कल वोटिंग, उजियार पुर और मुंगेर में कांटे की टक्कर, इन नेताओ की किसमत भी लगी दावं पर

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election fourth phase ) के चौथे चरण में बिहार में 5 सीटों पर 13 मई को वोटिंग होगी. इनमें से दरभंगा, समस्तीपुर मिथिलांचल का इलाका है.

वहीं, बेगूसराय, मुंगेर और उजियारपुर में वोट डाले जाएंगे. बेगूLok Sabha Election fourth phaseसराय कभी वाम पंथियों का गढ़ माना जाता था, इस बार भी लड़ाई वामदल और बीजेपी में है. वहीं, भूमिहार बाहुल मुंगेर में लड़ाई अगड़ा बनाम पिछड़ा हो गई है.


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पांचों सीट का हाल

लोकसभा चुनाव की पांचों सीट (Lok Sabha Election fourth phase ) में से चार सीटों पर एनडीए आगे और एक सीट उजि यारपुर में जोरदार टक्कर दिख रही है. यहां के सांसद केंद्र में तो मंत्री है, वहां मजबूत हैं, लेकिन अपने ही इलाके में कमजोर दिखाई पड़ रहे हैं. दरभंगा, बेगूसराय में मोदी के सहारे बीजेपी की नैया पार लगती दिख रही.

मुंगेर में जातियों की गोलबंदी से ललन सिंह बाजी मार सकते हैं. समस्तीपुर में दो मंत्रियों के बच्चों में कांटे की टक्कर है, लेकिन शांभवी का पलड़ा भारी नजर आ रहा. बता दें कि 2019 के चुनाव में इन पांच सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी जीते थे.

समस्तीपुर का हाल चाल 

समस्तीपुर शहर में शांभवी चौधरी का दबदबा तो गांव में सन्नी हजारी ताकतवर हैं. इस सीट से बिहार सरकार के मंत्री ही आपस में भिड़े हुए हैं. दनों के बच्चे लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी हैं.

मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी लोजपा (रामविलास) से हैं और मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी कांग्रेस के टिकट से मैदान में हैं. सन्नी हजारी राजनीति में नए नहीं हैं, जबकि शांभवी चौधरी राजनीति में फ्रेशर हैं.

आपको बता दे कि समस्तीपुर की सीट सुरक्षित सीट है. कभी रोसड़ा लोकसभा यहां हुआ करता था और दलित राजनीति के दिग्गज नेता रामविलास पासवान यहां से चुनाव जीते थे. सन्नी भी पासवान जाति से हैं और शांभवी पासी जाति से आती हैं. लेकिन शांभवी का पलड़ा भारी नजर आ रहा.

बेगूसराय का हाल चाल 

याहा दक्षिणपंथी हवा और वामपंथी हवा के बीच फैसला होना है. सीटिंग एमपी बीजेपी के गिरिराज सिंह के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है, लेकिन मोदी है तो मुमकिन है का असर है.

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी बेगूसराय में चुनाव प्रचार करने आए और कहकर गए कि साम्भो मटिहानी पुल गंगा नदी पर चुनाव के एक महीने में बना देंगे, गिरिराज सिंह को वोट कीजिए. लेकिन हां, गिरिराज सिंह काफी कंफिडेंस में जरूर दिख रहे हैं. मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान देना उनकी राजनीति का थिम रहा है.

शहर में बीजेपी मजबूत है

बेगूसराय में भूमिहार आबादी बड़ी है. इसके बाद मुस्लिम और यादव की आबादी है. अतिपिछड़ों और दलितों का भी अच्छा वोट यहां अच्छा है. गिरिराज सिंह भूमिहार हैं, लेकिन सभी भूमिहारों का वोट नहीं ले पा रहे हैं.

दूसरी तरफ यादव और मुस्लिम वोट बैंक की ताकत सीपीआई के अवधेश कुमार राय के साथ लालू प्रसाद के एमवाई समीकरण की वजह से है. गांवों में लेफ्ट की ताकत दिखती है, शहर में बीजेपी मजबूत है.

गिरिराज सिंह और राकेश सिन्हा के बीच बीजेपी (BJP) में जिस तरह से अंतर्कलह दिखा, उससे अच्छा मैसेज पब्लिक में नहीं गया है. गिरिराज सिंह और अवधेश कुमार राय दोनों अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. पिछली बार की तरह बीजेपी की ताकत नहीं है, सीपीआई पिछली बार से ज्यादा मजबूत है.

लंबे वक्त से दरभंगा में बीजेपी का कब्जा, इसबार मुश्किल

दरभंगा संसदीय क्षेत्र पर लंबे वक्त से भाजपा का कब्जा है. भाजपा के टिकट पर 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव को जीत कर पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद दो बार सांसद बने थे.

दोनों ही चुनाव में इन्होंने राजद के उम्मीदवार व पूर्व सांसद मो. अली अशरफ फातमी को हराया था. कीर्ति आजाद को दोनों ही चुनाव में अच्छे वोट मिले थे.

अब 2024 का लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election fourth phase )आ गया. जोर-शोर से भाजपा अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 4 मई को दरभंगा प्रचार करने आए थे. क्योंकि, यहां की लड़ाई को जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं है. सीधी टक्कर ललित यादव से है। जो लगातार 6 बार से दरभंगा ग्रामीण से राजद के विधायक भी हैं.

मुंगेर में जातियों की गोलबंदी

मुंगेर में पिछले तीन चुनाव से संसद पहुंचने की जंग जहां भूमिहार बनाम भूमिहार के बीच हो रही थी. इस बार लालू प्रसाद यादव ने अपनी कूटनीति से इसे अगड़ा बनाम पिछड़ा बना दिया है. बहुत हद तक लालू प्रसाद यादव अपनी रणनीति में यहां कामयाब होते हुए भी दिखाई दे रहे हैं.

आपको बता दें कि मुंगेर (Lok Sabha Election fourth phase) में इस बार जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुंगेर से दो बार के सांसद ललन सिंह का मुकाबला 17 साल जेल गुजार कर बाहर आए अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी से है.

जब मुंगेर से लालू प्रसाद यादव ने अनीता देवी के नाम की घोषणा की थी, तब सियासी हलकों में इस बात की चर्चा होने लगी थी कि लालू प्रसाद यादव ने मुंगेर में ललन सिंह की जीत की राह को आसान बना दिया है.

मुंगेर में ललन सिंह को मिल रही कड़ी टक्कर

लेकिन, मुंगेर के अलग-अलग इलाकों में घूमने, यहां के लोगों की राय जानने और एक्सपर्ट से मुद्दों को समझने के बाद जो बातें निकल कर सामने आ रही है उसके मुताबिक अशोक महतो की पत्नी जदयू के चाणक्य को कड़ी टक्कर दे रही है. मुकाबला कितना टफ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि ललन सिंह पिछले एक महीने से लगातार मुंगेर में कैंप कर रहे हैं.

सीएम नीतीश कुमार की तो इलाके में सभाएं हुई ही हैं, पीएम नरेंद्र मोदी खुद ललन सिंह के जीत की अपील करने मुंगेर पहुंचे. इसके अलावा एलजेपी (आर) सुप्रीमो चिराग पासवान का भी यहां रोड शो चुका है. कुल मिलाकर एनडीए के हर बड़े नेता मुंगेर का दौरा कर चुके हैं.

एंटी भूमिहार

अशोक महतो की छवि पूरी तरह एंटी भूमिहार की है. भूमिहार किसी भी सूरत में उन्हें अपना नेता स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. इसका सीधा फायदा ललन सिंह को मिल रहा है. अशोक महतो का नाम सामने आते ही ऐसे भूमिहार जो ललन सिंह को पसंद नहीं करते हैं, वो भी उनके साथ लामबंद हो गए हैं.

लालू यादव ने 2024 के चुनाव से ही 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए मोहरे बिछाने शुरू कर दिए हैं. इसी रणनीति के तहत उन्होंने अपने वोट बैंक में यादव, मुस्लिम के साथ कुर्मी और कुशवाहा और ओबीसी के सभी वर्गों को गोलबंद करने का पासा फेंका है.

अशोक महतो को उम्मीदवार बनाकर उन्होंने 4 जिलों (मुंगेर, शेखपुरा, नवादा और जमुई) में कुर्मी वोटर को साधने की कोशिश की है, मुंगेर में कुछ हद तक वे इसमें कामयाब होते हुए भी दिखाई दे रहे हैं. वही लालू के प्रयोग के बाद भी ईबीसी और ओबीसी का एक बड़ा वर्ग नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़ा है.

कुर्मी नीतीश के साथ है

ये मुंगेर के इस चुनाव (Lok Sabha Election fourth phase) में एक्स फैक्टर साबित हो सकते हैं. शिक्षक से रिटायर्ड मानिकपुर के रमेश महतो कहते हैं कि कुर्मी नीतीश के साथ है. नीतीश हमलोग के नेता हैं. कुछ लोग है जो करेगा. हमलोग नीतीश को देख रहे हैं.

मुंगेर के वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि मुंगेर में फिलहाल जो मौजूदा परिदृश्य है, उसमें लोगों के पास चयन का विकल्प ही नहीं है. एक तरफ अशोक महतो की पत्नी हैं तो दूसरी तरफ ललन सिंह हैं. बिहार में लोग जाति के आधार पर ही राजनीति करते हैं.

लेकिन यहां लोगों की एक बड़ी शिकायत है कि महागठबंधन के प्रत्याशी को लोग जानते तक नहीं है. ललन सिंह से नाराजगी के बाद भी लोग मोदी के नाम पर ललन सिंह को वोट देने के बात करते हैं. फिलहाल आपको बता दें कि मुंगेर में भूमिहार, मुसलमान और यादव की बड़ी आबादी है. मुसलमान और यादव राजद के साथ एकजुट हैं.

उजियारपुर से आसान नहीं है, जीत-हार का अंदाजा लगा पाना

नित्यानंद राय की जाति ही इस बार विरोध कर रही है. इसलिए महागठबंधन के आलोक मेहता की स्थिति ठीक नजर आ रही है. एनडीए के प्रत्याशी के साथ एंटी अनकंबेंसी साफ दिख रही है. दो बार जीते, लेकिन पब्लिक में अपनी छवि नहीं बना पाए.

उनका कहना है कि इतने बड़े पद पर हैं, अलग जिम्मेदारी है, इसलिए क्षेत्र में समय कम दे पाते हैं, लेकिन उनका यह एक्सक्यूज इस बार काम नहीं आ रहा है. हालांकि एनडीए और महागठबंधन के कैंडिडेट एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं. यह काफी अहम सीट है, इस सीट पर भाजपा के आला कमान की नजर है, इसलिए महागठबंधन भी पूरा जोर लगाए है.

आपको बता दें कि 13 मई को बिहार के चौथे चरण में 5 सीटों पर वोटिंग होना हैं. साथ ही इन सभी दिग्गजों की किस्मत EVM में कैद हो जाएगी.

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